Thursday, September 7, 2023

Prachin Bharat ka Itihas

 

हमारे देश में बदलते नामों का इतिहास रहा है और फिर से संविधान में संशोधन कर इंडिया का नाम भारत करने की मांग तेज हो रही है। इस खबर के सामने आने के बाद अब लोगों में भारत के नाम के इतिहास को जानने की उत्सुकता बढ़ गई है।

Prachin Bharat ka Itihas

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से भेजे गए रात्रि भोज के निमंत्रण पर मंगलवार 5 सितंबर 2023 को एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया G20 सम्मेलन के सिलसिले में भेजे गए इस निमंत्रण पत्र में उन्हें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है। सदियों से इस देश को कई नामों से बुलाया जा रहा है।  लेकिन इनमें से सबसे प्रचलित है। भारत आइए जानते हैं भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा और इसे इंडिया कब से कहा जा रहा है।


Prachin Bharat ka Itihas

अंग्रेजों के आने से पहले भारत को जंबूद्वीप, भारतखंड, आर्यवर्त , हिमवर्षा, अजनाब वर्ष , हिंद और हिंदुस्तान भी कहा जाता था लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद भारत को इंडिया कहा जाने लगा । जब अंग्रेजों को पता चला कि भारत की प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता से निकली है। 


दरअसल सिंधु नदी को यूरोपियन इंडस रिवर के नाम से जानते थे और जब उन्हें पता चला कि भारतीय प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता से निकली है तो उन्होंने भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया क्योंकि इंडस से ही इंडिया बना था ।


सिंधु घाटी को इंडस वैली भी कहा जाता था जिसे लैटिन भाषा में इंडिया कहा जाता है। इसलिए अंग्रेजों ने भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया। ब्रिटिश शासनकाल में भारत को इंडिया बड़े पैमाने पर कहा जाने लगा था। धीरे-धीरे उन्होंने आधिकारिक कागजों पर भी इंडिया ही लिखना शुरु कर दिया, जिसके बाद इंडिया नाम काफी प्रसिद्ध हो गया और हमारे देश को दुनिया में लोग इंडिया के नाम से जानने लगे ।


सिंधु नदी का नाम इंडस किसने रखा ? 

असल में सिंधु नदी का इंडस नाम भारत आए विदेशियों ने रखा था। सिंधु सभ्यता की वजह से ही भारत का पुराना नाम सिंधु भी था, जिसने यूनानी लोग इंडो या इंडस भी कहते थे। लेटिन भाषा में यही शब्द बदलकर इंडिया हो गया । अंग्रेजों को हिंदुस्तान या भारत बोलने में परेशानी होती थी ।


इसीलिए वह हमारे देश को इंडिया कहा करते थे। भारत भूमि को कई नामों से जाना जाता है। लेकिन भारत सबसे अधिक प्रचलित है। भारत भूमि को प्राचीन काल से ही कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। 


भारत को कितने नामों से जाना जाता है ? 

जैसे जंबूद्वीप , भारतखंड , हिमवर्ष , अजनभ वर्ष , भारतवर्ष , आर्यावर्त , हिंद, हिंदुस्तान और इंडिया लेकिन इनमें भारत का नाम सबसे ज्यादा प्रचलित है। यही वजह है कि भारत नाम कब क्यों और कैसे पड़ा। इसको लेकर सबसे ज्यादा धारणाएं और मतभेद है। जितनी विविधता पूर्ण भारत की संस्कृति है । उतनी ही ज्यादा इसको अलग-अलग काल खंडों में अलग-अलग नाम दिए गए हैं। 


भारत का नाम कैसे पड़ा ? 

पौराणिक काल में भारत नाम के कई व्यक्ति हुए हैं। अलग-अलग वक्त में इन महान व्यक्तियों के नाम पर भारत का नाम रखने का दावा किया जाता है। सबसे प्रचलित पौराणिक कहानी माने तो भारतवर्ष का नाम ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा है। 


अनेक पुराणों के मुताबिक नाभि राज के पुत्र भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा था। हिंदू ग्रंथ स्कंद पुराण अध्याय 37 के मुताबिक नाभि राज के पुत्र थे। ऋषभदेव और ऋषभदेव के पुत्र थे। भारत उनके ही नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा ।


लेकिन ज्यादातर लोग भारत नाम के पीछे की वजह शकुंतला राजा और दुष्यंत के पुत्र भरत को मानते हैं। महाभारत के आदि पर्व इस बात का जिक्र भी है। महर्षि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की बेटी शकुंतला और राजा दुष्यंत के बीच गंधर्व विवाह हुआ था। इन दोनों के पुत्र का नाम भरत था ।


बताया जाता है कि भारत के जन्म के बाद ऋषि करण ने आशीर्वाद दिया था कि भारत आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे और उनके नाम पर इस भूखंड का नाम भारत प्रसिद्ध होगा। इसी तरह मत्स्य पुराण में जिक्र है कि मनु को प्रजा को जन्म देने वाले वर और उसका भरण पोषण करने के कारण भारत कहा जाता था ।


इसके अलावा नाट्यशास्त्र वाले भरतमुनि भी इस नाम के पीछे की वजह बताए जाते हैं। वही दशरथ पुत्र भरत भी काफी प्रसिद्ध है जिन्होंने सिंहासन पर श्री राम की खड़ाऊ रखकर पूजा की देखभाल की वही गजराज इंद्रद्युम्न के दरबार में भी एक ऋषि थे। जिनका नाम भरत था । 


प्राचीन भारत का इतिहास प्रारंभ से 1205 ईस्वी तक

प्राचीन ग्रंथ महाभारत में भी भारत शब्द का जिक्र है इसलिए भारत को भारत कब से कहा जा रहा है। इसका सटीक इतिहास कोई नहीं बता सकता। माना जाता है कि हिंदू कुश के पास जो आर्य थे। उनका संग्राम ईरान कहलाया और पूर्व में जो थे उनका संघ आर्यभट्ट कहलाया ।


ये दोनों समूह महान थे और बहुत ही प्रभावशाली थे। दरअसल भारत का नाम सुदूरपश्चिम तक तो खुद ही ईरानियों ने ही पहुंचाया था। कुर्द सीमा पर शिलालेख हिन्दू शब्द इसकी गवाही देता है। फार्सियो ने अरबी भी सीखें मगर अपने अंदाज में ।


हिन्दू शब्द कितना पुराना है ? 

हिंदू शब्द तो ईशा भी 2000 साल पहले एकेडियन सभ्यता में था। एकेडियन सुमेर , मिश्र प्राचीन काल से ही सब के रिश्ते भारत से थे। हड़प्पा दौर की बात है। सिंध का 7 नदियों वाले प्रसिद्ध सप्तसिंधु क्षेत्र का प्राचीन फारसी में ऑफ द हिंदू कहा जाता था । 


जाहिर है कि हिंदू हिंद हिदून , हिंदुस्तान जेसे संज्ञा अत्यंत प्राचीन है। इंडस इसी हिंदुस्ता क्रीक समरूप है। ग्रेक में भारत के लिए इंडिया अथवा सिंधु के लिए इंडस शब्दों का प्रयोग दरअसल इस बात का प्रमाण है कि हिंद अत्यंत प्राचीन शब्द है और भारत की पहचान है। 


संस्कृत का स्थान शब्द फारसी में स्थान हो जाता है। इस तरह हिंदू के साथ अस्थान जुड़कर हिंदुस्तान बन जाता है। भारतीय यूरोपीय भाषाओं में हा बदलकर आ हो जाता है। मैं सुकुटामियां की संस्कृतियों से हिंदुओं का ही संपर्क था। जहां तक जंबूद्वीप की बात है तो यह सबसे पुराना नाम है।


जंबूदीप का नाम कैसे पड़ा ? 

जामुन फल को संस्कृत में जम्मू कहा जाता है। अनेक उदाहरण हैं। कि इस केंद्रीय भूमि पर यानी आज के भारत में किसी काल में जामुन के पेड़ बहुत अधिक मात्रा में रहे होंगे। इसी वजह से इसे जंबूद्वीप कहा गया होगा ।


दोस्तों bharat vs India वाले विवाद पर आपको क्या कहना है । हमे कमेंट बॉक्स में जरूर । आज के लिए इतना ही हमारे ब्लॉग के साथ अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,



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