Saturday, May 27, 2023

हावड़ा ब्रिज 12:00 बजे क्यों बंद होता है । ऐसा कौन सा पुल है जो 12:00 बजे टूट जाता है

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दोस्तों अगर भारत में बनने वाली सबसे बेहतरीन चीजों की बात करें तो उनमें से एक है। कोलकाता में बना हावड़ा ब्रिज । जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। पर इसकी खूबसूरती के बारे में तो आपने बहुत बार सुना होगा। लेकिन क्या इसके पीछे की सच्चाई आपको मालूम है। 

हावड़ा ब्रिज 12:00 बजे क्यों बंद होता है । ऐसा कौन सा पुल है जो 12:00 बजे टूट जाता है

हावड़ा ब्रिज 12:00 बजे क्यों बंद होता है । ऐसा कौन सा पुल है जो 12:00 बजे टूट जाता है

क्या आपको इसका इतिहास पता है पर क्या आप यह जानते हैं कि हावड़ा ब्रिज बनने से पहले क्या हालात थे अगर नहीं तो दोस्तों चिंता मत करो क्योंकि जब हम आपको हावड़ा ब्रिज की सच्चाई सुनाएंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे जहां दुनिया के सबसे लाजवाब ब्रिज में से इंजीनियरिंग की मिसाल के तौर पर पहचाने जाने वाले इस ब्रिज ने अपने अंदर कई सारे ऐसे राज छुपा रखे ।


 जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी तो क्या है । हावड़ा ब्रिज की पूरी सच्चाई जानने के लिए मेरे आने अपने दोस्त के साथ ब्लॉग में बना रहें  । तो चलिए शुरू करते हैं । और जानते हैं । 


हावड़ा ब्रिज कब बना था

दोस्तों आज से करीब 80 साल पहले जब भारत आजाद नहीं हुआ था तो हावड़ा ब्रिज को बनाकर तैयार किया गया था जो कि दुनिया के सबसे बेहतरीन और महंगे बृजेश में से एक के तौर पर जाना जाता है। इस ब्रिज की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इंजीनियरिंग के चमत्कार से कम नहीं है । 


जहां ब्रिज को संभालने के लिए बीच में कोई भी स्तंभ नहीं बनाया गया है बल्कि साइड में दो फूल बने और उसी के सहारे यह पूरा ब्रिज खड़ा है। लेकिन इस ब्रिज को यूंही नहीं बनाया गया । बल्की इसकी शुरुआत होती है। 19वीं शताब्दी से यह वह दौर था जब भारत पर अंग्रेजों का राज हुआ करता था और उस वक्त देश में ब्रिटिश राज होने की वजह से पूरा देश अंग्रेजी चलाते थे। 


देश के अंदर क्या हो रहा है। क्या नहीं हो रहा देश में क्या बनना चाहिए। क्या नहीं बनना चाहिए। यह सब कुछ अंग्रेजों के हाथ में ही था। भारत के लोग अपने देश पर कोई भी हक नहीं रखते थे। ऐसे में हावड़ा और कोलकाता के बीच बहने वाली नदी बहुत ही ज्यादा हम थी क्योंकि दोनों ही जगह को जोड़ती थी और लोग बड़ी आसानी से एक जगह से दूसरी जगह आ जा सकते थे । 


हावड़ा ब्रिज क्यों बनाया गया ? 

पर उन्हें कहीं भी आने-जाने के लिए वोट का इस्तेमाल करना पड़ता था। जिस वजह से लोगों को काफी दिक्कत भी होती थी क्योंकि एक समय में बहुत कम लोग इधर उधर जा पाते थे। यही वजह थी। अंग्रेज सरकार ने नदी के ऊपर तैरने वाले पुल को बनाने की सूची असल में हुगली नदी के ऊपर चढ़ता हुआ पुल बनाने का कारण यह था कि हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने वाली यह नदी बहुत ही गहरी और चौड़ी थी । 


इसी वजह से नदी में बहुत से बड़े-बड़े जहाजों का आना जाना रहता था। अगर यहां पर कोई बड़ा पुल बनाया जाता तो उसको मजबूती देने के लिए नदी के बीच में खंभे भी लगाए जाने होते ताकी उन्हे बेस मिल पाए जिसकी वजह से बड़ी बड़ी जहाज तो जो इस नदी से होते हुऐ जाती है । उनका रास्ता रुक जाता और यह चीज अंग्रेजों की सरकार कभी नहीं चाहती थी।


इसलिए यहां पर तैरने वाले पुल का निर्माण करने का विचार उनके मन में आया। लेकिन विचार केवल विचार तक ही सीमित रह गया । हावड़ा ब्रिज एक्ट पास करने के बावजूद यहां पर तैरने वाले पुल को ठीक तरह से नहीं बनाया गया। जिससे लोगों को आने जाने में आसानी हो और काफी लंबे समय बीत जाने के बाद सरकार ने यहां पर प्रॉपर तरीके से ब्रिज बनाने की सोची और उन्होंने हावड़ा ब्रिज एक्ट पास किया ।


हावड़ा ब्रिज कितने साल में बना ? 

लेकिन इस योजना को बनने में बहुत ज्यादा वक्त लगा और इसके बनने का काम साल 1937 में शुरू हुआ। उसके बाद ही ठीक है। कुछ सालों के इंतजार के बाद 1942 में हावड़ा पुल बनकर तैयार हो गया, लेकिन दोस्तों आपको बता दें। हावड़ा ब्रिज बनने से पहले नदी के ऊपर एक तेरता हुवा पुल था जिसे बहुत कम बजट पर केवल टेंपरेरी बेस पर तैयार किया गया था। 


इसलिए बार-बार उसमें पानी भर जाता था जिसके कारण पुल में जाम लग जाता था। इस जाम को देखते हुए उसी जगह पर एक बडा तैरने वाला पुल बनाने का ख्याल पहले सरकार को आया लेकिन फिर काफी लंबे समय बाद अंग्रेजों ने सोचा कि यहां पर एक प्रॉपर पुल बनना चाहिए। 


हावड़ा ब्रिज कोण से स्टील से बना है ? 

इस पुल को बनाने का काम जिस ब्रिटिश कंपनी को सौंपा गया था, उसे कहा गया कि वह भारत में बनने वाले स्टील इस्तेमाल करें। ना ही किसी बाहर के देश का और यह वजह की हावड़ा ब्रिज में इस्तेमाल की जाने वाले स्टील का लगभग 80% टाटा स्टील ने प्रोवाइड करवाया था । और आपको बता दें। इसकी एक पाठ के ढांचे का फेब्रिकेशन कोलकाता में स्थित कारखानों में किया गया । 


जहा इस ब्रिज को बनाने में कुल 26500 टन स्टील की खपत हुई जिसके साथ इस ब्रिज को बनाने के लिए 19 में दशक आनी की  उस वक्त जब अंग्रेज भारत पर राज करते थे। ढाई करोड रुपए में बनवाया गया और सालों की मेहनत और इतना पैसा खर्च करने के बाद तैयार हुआ। हावड़ा ब्रिज जो कोलकाता और हावड़ा को आपस में जोड़ने का काम करता है। 


हावड़ा ब्रिज की लंबाई और चौड़ाई कितना है ?

अब हम आपको बता दें। 82 मीटर ऊंचा 705 मीटर लंबा और 71 मीटर चौड़ा इस पुल में सभी लोगों के आने-जाने के लिए 7 फुट चौड़ा फुटपाथ भी दिया गया। सन् 1942 में पुल के निर्माण के बाद पूरे 1 साल तक पुल को चेकिंग के लिए रखा गया था ताकि ये चैक किया जा सके। कहीं पुल में कोई गड़बड़ी तो नहीं है ।


लेकिन जब इसे ब्रिज की पूरी जांच पड़ताल हो गई तो आखिरकार ऐसे 1943 में आम जनता के उपयोग के लिए खोल दिया गया। पर हैरानी वाली बात तो यह है कि हावड़ा ब्रिज का उद्घाटन नहीं हुआ था। उस वक्त दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था, जिसमें कई सारे लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में अंग्रेजों की सरकार मुश्किल वक्त में उद्घाटन करके किसी भी तरह का जश्न नहीं मनाना चाहती थी। 


हावड़ा ब्रिज का क्या नाम है ? 

इस लिए इस ब्रिज को ऐसे ही खोल दिया गया। भारत का यह शानदार ब्रिज जो बनकर तैयार हुआ तो इसका नाम न्यू हावड़ा ब्रिज  । उसके बाद 14 जून 1965 में इसका नाम बदलकर रवींद्र सेतु कर दिया गया। लेकिन फिर भी आज लोग इसे हावड़ा ब्रिज के नाम से जानते हैं । 

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