दुर्गा पूजा दक्षिणी एशिया में मनाए जाने वाला एक वार्षिक हिंदू पर्व है जिसमें हिंदू देवी दुर्गा की पूजा की जाती है इसमें 6 दिनों को महाले षष्टि सप्तमी अष्टमी नवमी और विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है दुर्गा पूजा को मनाए जाने की तिथियां प्रारंभिक हिंदू पंचांग के अनुसार जाता है तथा इस पर्व से संबंधित पखवाड़े को देवी पक्ष देवी पखवाड़े के नाम से जाना जाता है । दुर्गा पूजा का पर्व हिंदू देवी दुर्गा की बुराइयों के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है ।
दुर्गा पूजा कब पर्व बुराई पर भलाई के विजय के रूप में भी मनाया जाता है दुर्गा पूजा भारतीय राज्य असम बिहार झारखंड मणिपुर उड़ीसा त्रिपुरा पश्चिम बंगाल में व्यक्त रूप से मनाया जाता है जहां इस समय 5 दिन की वार्षिक छुट्टी रहती है बंगाली हिंदू और असमी हिंदुओं का बहुमूल्य क्षेत्र में पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में या वर्ष का सबसे बड़ा उत्साह माना जाता है यहां केवल सबसे बड़ा हिंदू उत्साह है बल्कि यहां बंगाली हिंदू समाज में सामाजिक संस्कृति के रूप से सबसे महत्वपूर्ण उत्साह भी हैं।
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Durga Puja kya hai दुर्गा पूजा क्या है ?
दुर्गा पूजा का पर्व हिंदू देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है दुर्गा पूजा के पर्व बुराइयों पर भलाई की विजय के रूप में भी मनाया जाता है यह न केवल में सबसे बड़ा हिंदू धर्म उत्साह है बल्कि यह बंगाली हिंदुओं समाज में सामाजिक संस्कृति के रूप में सबसे बड़ा महापर्व मनाया जाता है
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दुर्गा पूजा कैसे मनाते हैं।
दुर्गा पूजा मनाने वाले भक्तों पूरे 9 दिन तक व्रत रखने का संकल्प लेते हैं पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और फिर अष्टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्या को भोजन कराया जाता है इन 9 दिनों में रामलीला का आयोजन भी किया जाता है वहीं पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के आखिरी 4 दिनों आनी कि 8 से लेकर 9 मई तक दुर्गा उत्सव पूरा रंगारंग कार्यक्रम किया जाता है।
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नवरात्र में पूजा कैसे किया जाता है ?
नवरात्र के समय पूजा में ताजा पानी और दूध से माता जी को स्नान करवाया जाता है फिर कुमकुम चंदन अक्षत फूल और सुगंधित चीजों से पूजा करें और मिठाई का भोग लगाकर आरती करें नवरात्रि के पहले ही दिन भी आ तेल का दीपक जलाया जाता है ध्यान रखें कि वह दीपक 9 दिन तक बुझ ना पाए ।
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नवरात्रि में 9 दिन क्या करना चाहिए ?
9 दिन तक सूरज उदय के साथ ही स्नान कर स्वस्थ वस्त्र पहनना चाहिए और नवरात्रि से पहले अपना घर का सब सफाई कर लेना चाहिए। मंदिर में नए वस्त्र प्रयोग में काले रंग के पर इतना नहीं पहनना चाहिए ना ही चमड़े का बेल्ट पहने और ना ही कोई चमड़ा का सामान लेकर मंदिर में ना जाए।
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नवरात्र में क्या-क्या काम नहीं करना चाहिए ?
नवरात्र के समय उपवास करने वाले व्यक्ति को दाढ़ी मूंछ या बाल नहीं कटवाना चाहिए दाढ़ी मूंछ और बाल नवरात्र से पहले कटवा लेना चाहिए कलश स्थापना के बाद घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए 9 दिन तक सात्विक भोजन करना चाहिए इस दौरान नॉनवेज व लहसुन प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।
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नवरात्रि के 9 दिन के नौ कलर कौन सा है ?
पहला दिन नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की आराधना का दिन होता है मां शैलपुत्री का पश्चिम क रंग लाल है
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दूसरा दिन नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए विशेष दिन होता है पीला रंग उत्सव प्रिया है अतः नवरात्रि के दूसरे दिन पीले रंग का वस्त्र धनी पहनना चाहिए मां की आराधना करना शुभ होता है।
तीसरा दिन कृत्य चंद्र घटती अर्थात नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है तीसरा दिन हरे रंग का विशेष महत्वपूर्ण कपड़ा पहनना चाहिए उस दिन हरे रंग का प्रयोग करने से मां की कृपा एवं सुख शांति का प्राप्ति हो जाती है।
चौथा दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप का पूजन नवरात्रि के चौथे दिन किया जाता है चौथा दिन का रंगों का दूर कर धन की प्राप्ति के लिए सिलेक्ट रंग से आपका आप मां कुष्मांडा का प्रश्न कर सकते हैं।
पांचवा दिन नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता की आराधना के लिए सम प्रतीक है पांचवा दिन का रंग नारंगी है इस दिन नारंगी रंग का कपड़ा पहनना से पहनने से शुभ फल प्रदान करता है।
छठा दिन नवरात्रि का छठा दिन आने मां दुर्गा कल्याण कल्याणी स्वरूप की आराधना का दिन होता है उस दिन सफेद रंग का कपड़ा पहने से मां दुर्गा का शुभ माना जाता है।
सप्तमी सप्तमी तिथि को मां काला स्त्री के रात में की जाती है मां कल स्त्री की पसंदीदा रंग गुलाबी है सतमी सप्तमी में गुलाबी रंग गुलाबी रंग पहनने से पसंद किया जाता है।
अष्टमी नवरात्रि की अष्टमी तिथि महागौरी का समा प्रतीक है अष्टमी के दिन हल्का नीला आसमानी रंग का कपड़ा प्रयोग करना चाहिए जो असीम शांति प्रदान करता है।
9वी नवरात्रि की नवमी दिन मां दुर्गा की सिद्धि दात्री स्वरूप का पूजन होता है मां नौवां दिन नीले रंग का कपड़ा प्रयोग करना चाहिए चंद्रमा की पूजा के लिए यह सर्वोत्तम दिन होता है।
दुर्गा पूजा कलश स्थापना कब है ?
Date नवरात्रि Puja
26 सितंबर 2022 (सोमवार) प्रतिपदा
(नवरात्रि दिन 1) माँ शैलपुत्री पूजा/घटस्थापना
27 सितंबर 2022 (मंगलवार) द्वितीया (नवरात्रि दिन 2) माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
28 सितंबर 2022 (बुधवार) तृतीया (नवरात्रि दिन 3) माँ चंद्रघंटा पूजा
29 सितंबर 2022 (गुरुवार) चतुर्थी (नवरात्रि दिन 4) माँ कुष्मांडा पूजा
30 सितंबर 2022 (शुक्रवार) पंचमी (नवरात्रि दिन 5) माँ स्कंदमाता पूजा
1 अक्टूबर 2022 (शनिवार) षष्ठी (नवरात्रि दिन 6) माँ कात्यायनी पूजा
2 अक्टूबर 2022 (रविवार) सप्तमी (नवरात्रि दिन 7) माँ कालरात्रि पूजा
3 अक्टूबर 2022 (सोमवार) अष्टमी (नवरात्रि दिन 8) माँ महागौरी / दुर्गा महा अष्टमी पूजा
4 अक्टूबर 2022 (मंगलवार) नवमी (नवरात्रि दिन 9) माँ सिद्धिदात्री / दुर्गा महा नवमी
नवरात्रि पर निबंध ?
नवरात्रि त्यौहार प्रतिवर्ष मुख्य रूप से हिंदू धर्म में दो बार मनाया जाता है हिंदू महीनों के अनुसार पहला नवरात्रि चैत्र मास में मनाया जाता है जो दूसरा नवरात्रि आश्विन मास में मनाया जाता है अंग्रेजी महीनों के अनुसार पहले नवरात्र मार्च 4 अप्रैल के बीच में आते हैं और दूसरा नवंबर और सितंबर अक्टूबर की बीच में आते हैं धूमधाम से मनाया जाता है नवरात्रि के 9 दिन तक चलने वाली पूजा अर्चना के बाद दसवे दिन दशहरा के रूप में पड़े इस और जोर से मनाया जाता है ।
नवरात्रि के 9 दिन तक चलता है और इसमें 9 दिन के बाद मां दुर्गा के नौ रूप के पूजा अर्चना की जाती है इसलिए तो इस प्यार का नाम नवरात्रि रखा गया है मां दुर्गा के नौ रूप में और उनके अनुसार मनाया जाता है निम्नलिखित
शैलपुत्री।नवरात्रि के पहला दिन मां शैलपुत्री के दिन के रूप में मनाया जाता है और उनका पूजा अर्चना की जाती है मां शैलपुत्री के पहाड़ों की पुत्री भी कहा जाता है जो शैलपुत्री के अर्चना से हमें एक प्रकार की ऊर्जा प्राप्त होती है ताकत शरीर के अंदर मिलता है उर्जा को इस्तेमाल हमें अपने मन में विचारों को दूर करने में कर सकते हैं।
ब्रह्मचारिणी।नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के दिन के रूप में मनाया जाता है इस दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है और इस पूजा अर्चना करके मां अनंत स्वरूप को जानने की कोशिश करते हैं जिससे कि उनकी तरह हम भी इस अनंत संसार में अपनी कुछ पहचान कुछ पहचान करने के लिए कायम हो सके।
चंद्रघंटा।नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के दिन के रूप में मनाया जाता है स्वरूप चंद्रमा की तरह चमकाता है इसलिए इनको चंद्रघंटा के नाम दिया गया है इस दिन हम हम मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा अर्चना करते हैं और मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना से हमारे मन में उत्पन्न इससे गिरना और नकारात्मक दिखती से लड़ने का साहस और ताकत मिलता है और इन सभी चीजों से छुटकारा मिलता है।
कुष्मांडा।नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा के दिन के रूप में मनाया जाता है कुष्मांडा स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है मां कुसमुंड छत पर ले जाने की मदद करती हैै
स्कंदमाता।नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता के 300 मनाया जाता है अर्चना की जाती है भगवान कार्तिकेय माता के रूप में भी जाना जाता है अर्चना करने से हमारे अंदर की व्यवसायिक ज्ञान को बढ़ाने के आशीर्वाद प्राप्त होता है और हमें व्यवसायिक चीज से निपटने में सक्षम प्रदान करती है।
कात्यानी।नवरात्रि के छठवें दिन को मां कात्यानी के दिन के रूप में मनाया जाता है इस दिन कप्तानी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है आराधना करने हमारे शरीर के नकारात्मक शक्ति को खत्म होता है और मां के आशीर्वाद से हमें सकारात्मक मार्ग से चलने के लिए प्रेरणा करती है जय मां काली।
कालरात्रि।नवरात्रि के सातवें दिन को मां कालरात्रि के रूप में मनाया जाता है कल रात्रि के रूप में अर्चना की जाती है देवी के रूप में माना जाता है मां कालरात्रि की आराधना करने से हमें वैभव और वैराग्य की प्राप्ति होती है।
महागौरी।नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी के दिन के रूप में मनाया जाते हैं इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप के पूजा अर्चना की जाती है मां महागौरी के सफेद रंग वाली देवी के रूप में भी माना जाता है और पूजा आराधना करने पर हमें अपनी मनोकामना को पूर्ण होने का वरदान प्राप्त होता है।
सिद्धिदात्री।नवरात्रि के नौवें दिन को मां सिद्धिदात्री की टीम के रूप में मनाया जाता है इस दिन हम मां दुर्गा को सिद्धिदात्री के रूप की पूजा अर्चना की जाती है आराधना आराधना करने से हमारे अंदर एक ऐसी क्षमता उत्पन्न होती है जिससे हम अपने सभी कार्यों का आसानी से कर सके और उनका पूर्ण रुप से संपन्न ताकत बन सके।
दशहरा पर एक निबंध। Essay on dussehra in Hindi ?
दशहरा आने की विजयदशमी अपने देश का एक महात्वपूर्ण दिन इसे हम लोग आयुष पूजा के नाम से जाने जाते हैं दशहरा प्रतिवर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसर अश्विनी मतलाब अक्टूबर नवंबर मन के दसविन को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। अवकाश राहत .है और स्कूल में बच्चों का दशहरा प्रति बंधन लिखाने को दिया जाता है दशरे के हम बुरे पर अच्छे की जीत के दिन की रूप माने हैं तमम लोग है तीन एक दसरे को संदेश भेज कर बुरा और छाया की जीत के लिए आज के जाते हैं आपके लेख में हम पढेंगे की वर्ष 2021 है.में दशहरा कब है दशहरा कितने तारीख को है दशहरा का महत्व क्या है।
भारत में कई ऐसे त्यौहार मनाए जाते हैं जो आपको बुराई और अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार जो इस बात को चिन्हित करता है जो दशहरा है यह दिवाली से 2 सप्ताह पहले मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार दशहरे विजयदशमी देश भर में अश्विनी के महीने उज्जवल पखवाड़े के दसवें दिन मनाया जाता है दशहरा विजयदशमी दशहरा कभी-कभी दस दस के रूप में भी मनाया जाता है
दशहरा क्यों मनाया जाता है ?
दशहरा प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है या मनाया जाता है क्योंकि श्रीराम ने 9 दिन की लड़ाई के बाद दानव सजा रावण को मार डाला और रावण की कैद से अपनी पत्नी देवी सीता को मुक्त कराया. इस दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को मार डाला और इसलिए यह आज भी विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है लोग प्रार्थना करते हैं और आज भी देवी दुर्गा से आशीर्वाद मांगते हैं ।
ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने देवी दुर्गा की शक्ति के लिए प्रदान प्रार्थना की थी भगवान राम जी ने 108 कमल से प्रार्थना कर रहे थे उसमें से एक कमल हटा दिया जिसके साथ हुआ प्रार्थना कर रहे थे जब श्रीराम उनकी प्रार्थना ओं के अंत तक पहुंचे और महसूस किया कि एक कमल गायब था तो उन्होंने अपने आप को काटना शुरू कर आपकी प्रार्थना पूरी करने के लिए जिससे देवी उनकी भक्ति से प्रसन्न थी और रावण पर उन्हें विजय थी.
दशहरा का महत्व ?
दशहरा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है दशहरा त्योहार का महत्व इस के धार्मिक मौज में है यह हमें बुरा एवं अच्छाई की जीत सिखाता है यह रावण पर राम की जीत के सम्मान में पूरे देश में मनाया जाता है यह आमतौर पर अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है विभिन्न हिस्सों में दशहरा त्योहार विभिन्न तरीकों के तरीकों से मनाया जाता है पंजाब में उत्साह लगभग 10 दिन तक जारी रहता है सीखने वाले पंडित रामायण की कहानियों को पढ़ते हैं लोग इसे महान सम्मान के साथ सुनते हैं और लगभग हर शहर में रामलीला कोई रात के लिए उचित के कार्यक्रम हजारों लोग इकट्ठा होकर आनंद लेते..
कलर्स का स्थापना कब किया जाएगा तो मैं पूरी डिटेल इस वीडियो में पूजा के बारे में कर दोस्तों मेरे प्रति भी लोग चरण में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम बात करने वाले हैं। दुर्गा पूजा के बारे में 2021 में दुर्गा पूजा कब पड़ेगी, इसकी तिथि कब कब है और कौन से दिन क्या होने वाला है तो और कलश स्थापना कब होगी? सप्तमी कब पड़ेगी। अष्टमी कब होगा और नवमी कब होगी। विजयादशमी कब मनाया जाएगा और दुर्गा पूजा के पहले जो महालया होता है। वह कब मनाया जाएगा। कलर्स का स्थापना कब किया जाएगा तो मैं करते हैं
दुर्गा पूजा के बारे में दोस्तों दुर्गा पूजा हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध त्योहार है। दोस्तों देवी दुर्गा की आराधना का यह पर्व दुर्गा उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा पूजा 10 दिनों तक चलने वाला पर्व है। हालांकि सही मान्य में इसकी शुरुआत शस्त्र से होती है। दुर्गा पूजा उत्सव में सस्ती माहा सप्तमी, महाअष्टमी, महा नवमी और विजयदशमी का विशेष महत्व होता है और दोस्तों मान्यता यह है कि देवी दुर्गा की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में दुर्गा पूजा का पर्व मनाया जाता है। इसलिए दुर्गा पूजा पर्व को बुराई और अच्छाई की जीत के तौर पर भी मनाया जाता है।
यह पर विशेष रूप में पश्चिम बंगाल, आसाम, उड़ीसा, त्रिपुरा, मणिपुर, बिहार और झारखंड में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दोस्तों और दोस्तों मान्यता यह भी। दुर्गा पूजा के समय स्वयं देवी दुर्गा कैलाश पर्वत को छोड़ धरती पर अपने भक्तों के बीच रहने आती है और मां दुर्गा देवी लक्ष्मी देवी, सरस्वती, कार्तिकेय और गणेश के साथ धरती पर अवतरित होती है। दोस्तों अब मैं आप लोगों को बता देती हूं कि दुर्गा पूजा को स्टार्ट करने से पहले मोहल्ले मनाया जाता है और इसका क्या महत्व होता है तो
दुर्गा पूजा उत्सव का पहला दिन मोहल्ला कहलाता है। इस दिन पितरों को तर्पण करने का विधान होता है और बताया जाता है कि मोहल्ला के दिन ते हो और और शुरू में युद्ध हुआ था। इसमें बहुत से देव और ऋषि मारे गए थे। इन्हें तर्पण देने के लिए मोहल्ला का पर्व मनाया जाता है और दोस्तों मोहल्ले 6 अक्टूबर 2021 बुधवार को मनाया जाएगा। उसके बाद दुर्गा पूजा का शुरुआत होता है। प्रारंभ तीन है कलश स्थापना की यानी कि 7 अक्टूबर 2021 को कलश स्थापना की जाएगी। शुक्रवार दिन पड़ रहा है, शुरुआत हो रही है। 11 अक्टूबर से और खत्म हो रहा है। 15 अक्टूबर को हमें पड़ रहा है। 11 अक्टूबर 2021 दिन मंगलवार है। सप्तमी है।
12 अक्टूबर 2021 बुधवार है। अष्टमी 13 अक्टूबर को है। गुरुवार दिन पड़ रहा है और नवमी तिथि है। जिस दिन कन्याओं को खिलाया जाएगा उस दिन 14 अक्टूबर पड़ रहा है। शुक्रवार और विजयदशमी मनाया जाएगा। 15 अक्टूबर दिन शनिवार को मैंने सारे डेडस्पिन परसों कर दिया है तो उसको अगर कोई प्रॉब्लम आ रही है तो आप फोन करके पढ़ सकते हैं। इसे 14 अक्टूबर को 6:52 से स्टार्ट होगी। शाम में और 15 अक्टूबर को शाम को 6:02 पर विजय दशमी समाप्ति का समय है तो दोस्तों मैंने पूरा डिटेल दुर्गा पूजा के चैट से लेकर कलश स्थापना विजयदशमी तक की पूरी डिटेल मैंने इस article में बता दी है।
त्यौहार की शुरुआत हिमालय से होते हैं ?
इस दिन पूर्वजों को पानी और भोजन देकर तर्पण किया जाता है। इस दिन केलास में अपने पौराणिक वैवाहिक घर से दुर्गा के आगमन का भी प्रतीक है। त्यौहार का 6 दिन महत्वपूर्ण है देवी शक्ति देवी का स्वागत करते हैं। और उत्सो समारोह का उद्घाटन किया जाता है।
सातवे यानी सप्तमी आठवें अनी अष्टमी और नवमी दिनों में लक्ष्मी सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय के साथ देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। वही दशमी को मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
बारहमासी त्यौहारों वाले इस देश अर्थात् भारतवर्ष में प्रमुख तौर पर प्रत्येक दिन, प्रति सप्ताह, प्रति माह और प्रति वर्ष किसी ना किसी त्यौहार की धूम मची ही रहती है और किसी ना किसी त्यौहार के आने का इंतजार लगा ही रहता है और भारतीय संस्कृति व सभ्यता को दर्शाती इसी परम्परा की प्रतीक कही जाने वाली दुर्गा पूजा अर्थात् दुर्गा पूजा त्यौहार पर निबंध हिंदी में ।। Durga Puja Essay in Hindi को समर्पित अपने इस आर्टिकल मे, हम, प्रमुख तौर पर आप सभी को विस्तार से दुर्गा पूजा के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे जो कि, ना केवल देवी शक्ति का सबसे बड़ा रुप है बल्कि नारी शक्ति का साक्षात प्रतिरुप भी हैं।
दुर्गा पूजा किस राज्य का प्रमुख त्योहार है? के जबाव में आपको बता दें कि, पश्चिम बंगाल सहित पूरे भारतवर्ष में, ना केवल बड़े ही भक्तिपूर्ण ढंग से दुर्गा पूजा का इंतजार किया जाता है बल्कि साथ बड़े ही धूम-धाम और हर्षो-उल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाया जाता है क्योंकि दुर्गा पूजा प्रमुख तौर पर एक लोकप्रिय हिंदू त्यौहार
जिसे भारत के पश्चिमी क्षेत्रों के साथ ही साथ उत्तरी क्षेत्रों अर्थात् उत्तर प्रदेश व बिहार आदि में, बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है क्योंकि दुर्गा पूजा ना केवल माता दुर्गा की महिमा को उजागर करता है बल्कि नारी के रुप में, उनकी शक्ति को भी स्वीकार्यता प्रदान करता है और इसी वजह से कई बार कहा जाता है कि, नारी शक्ति का सबसे बड़ा रुप दुर्गा पूजा ही है।
दुर्गा पूजा का त्यौहार कुल 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है जिसकी शुरुआत नवरात्रि अर्थात् नौ रातों तक माता दुर्गा की पूजा व आराधना की जाती है और इसके 10वें दिन प्रमुख तौर पर दुर्गा पूजा का पवित्र, पावन, ऊर्जावान व शक्तिदायी त्यौहार मनाया जाता है जिसे ना केवल सिर्फ एक त्यौहार के रुप मे देखा जाता है बल्कि साथ ही साथ इसे प्रमुख तौर पर बुराई पर अच्छाई की विजय के रुप में, महत्व प्रदान करके सामाजिक स्वीकार्यता प्रदान की जाती है।
अन्त, इस आर्टिकल / लेख में आप सभी को विस्तारपूर्वक दुर्गा पूजा त्यौहार पर निबंध हिंदी में ।। Durga Puja Essay in Hindi की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे और साथ ही साथ इस आर्टिकल में आपको विस्तार से बताया जायेगा कि – दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है?, दुर्गा पूजा का इतिहास?, दुर्गा पूजा कब मनाया जाता है?, दुर्गा पूजा कैसे मनाया जाता है?, दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है?, दुर्गा पूजा कहां मनाया जाता है? और दुर्गा पूजा किस राज्य का प्रमुख त्योहार है?
दुर्गा पूजा त्यौहार पर निबंध हिंदी में – दुर्गा पूजा एक हिंदू उत्सव है
दुर्गा पूजा पूरे भारतवर्ष का एक प्रमुख भक्तिपूर्ण व आस्थापूर्ण त्यौहार है जिसे सम्पूर्ण भारत में, बड़े ही हर्षो-उल्लास के साथ ना केवल मनाया जाता है बल्कि बड़े ही धूम-धाम के साथ इसका आयोजन किया जाता है जिससे पूरा माहौल मानो जीवन्त हो उठता है और पृथ्वी के कण-कण में माता दुर्गा की महिमा नज़र आती है।
Durga Puja Essay in Hindi – नवरात्रि से शुरु होता है दुर्गा पूजा का त्यौहार
दुर्गा पूजा एक दिन का त्यौहार नहीं बल्कि कुल 10 दिनों तक चलने वाला एक प्रमुख भव्य व दिव्य त्यौहार है जिसकी शुरुआत नवरात्रि के पहले दिन से होती है और इसी दिन से माता दुर्गा के नौ रुपों की नौ दिनों तक आस्थापूर्ण ढंग से पूजा-अर्चना की जाती है और इसी नवरात्रि के 10वें दिन माता दुर्गा की महिमा को समर्पित दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा को और किन – किन नामों से जाना जाता है?
दुर्गा पूजा, पूरे भारतवर्ष का त्यौहार है जिसे अलग – अलग राज्यों में अलग – अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि – बंगाल, असम व ओड़िसा आदि क्षेत्रो में, अलग – अलग नामों से दुर्गा पूजा को जाना जाता है। दुर्गा पूजा को अनेको अलग – अलग नामें से जाना जाता है जैसे कि – अकालबोधन ( दुर्गा माता का असामयिक जागरण ), शरादियो पूजो अर्थात् शरतकालीन पूजा, शरदोत्सव अर्थात् पतझड़ का उत्सव, मायेर पूजो और साथ ही साथ बांग्लादेश में, दुर्गा पूजा को ’’ भगवती पूजा ’’ के नाम से भी जाना जाता है।
दुर्गा पूजा किस तिथि या पंचाग के अनुसार मनाया जाता है?
दुर्गा पूजा की धूम सर्वत्र देखी जाती है क्योंकि इस दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है और हर दिशा से माता के जयकारे सुनाई देते है परन्तु क्या आपको पता है कि, दुर्गा पूजा किसी तिथि या पंचाग के अनुसार मनाया जाता है यदि नहीं पता है तो जान लीजिए कि, दुर्गा पूजा को भारतीय सभ्यता व संस्कृति को दर्शाती हिंदू पंचाग की तिथियों के अनुसार बड़े ही धूम-धान व भक्तिपूर्ण ढंग से मनाया जाता है।
भारत के किस-किस राज्य में दुर्गा पूजा मनाया जाता है?
दुर्गा पूजा, किसी एक राज्य का त्यौहार नहीं हैं बल्कि भारतीय संस्कृति व सभ्यता को दर्शाता माता दुर्गा को समर्पित दुर्गा पूजा का त्यौहार पूरे भारतवर्ष का एक प्रमुख भक्तिमय त्यौहार है जिसे बड़े ही हर्षो-उल्लास व उमंग के साथ भारत के अनेको राज्य में, मनाया जाता है जैसे कि – असम, बिहार, झारखंड, मणिपुर, ओड़िशा, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, राजधानी दिल्ली, यू.पी, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व केरल आदि राज्यों में, बड़े ही धूमधाम से दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है।
भारत के साथ किन अन्य देशों में दुर्गा पूजा मनाया जाता है? अर्थात् दुर्गा पूजा कहां मनाया जाता है?
आपको जानकर बड़ी ही हौरानी व सुखद अनुभूति होगी कि, दुर्गा पूजा ना केवल हमारे भारतवर्ष में मनाया जाता है बल्कि बड़े ही धूमधाम के साथ पूरे भारत के साथ अनेको अन्य देशों में भी मनाया जाता है जैसे कि – नेपाल ( जहां पर 91 प्रतिशत हिंदू आबादी रहती है ) में धूमधाम के साथ दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है, बांग्लादेश ( केवल 8 प्रतिशत हिंदू आबादी रहती है ) में भी दुर्गा पूजा को हर्षो-उल्लास के साथ मनाया जाता है।
साल 2006 में, ब्रिटिश संग्रहालय में बड़ी ही भक्तिपूर्ण ढंग से दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया जो कि, भारती सभ्यता व संस्कृति के लिए बेहद गौरवान्वित करने वाला अवसर था और भारत के साथ ही साथ दुर्गा पूजा का आयोजन अमेरीका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड्स, भूटान, सिंगापुर व कुवैत आदि देशों में भी मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का इतिहास?
दुर्गा पूजा भारतीय संस्कृति व सभ्यता के साथ ही साथ भारतीय नारी की नारी शक्ति का महत्वपूर्ण रुप है जिसका अपना एक गौरवमयी इतिहास है जिसके तहत 17वीं शताब्दी से लेकर 18वीं शताब्दी तक ज़मीदारों व बड़े लोगो द्धारा प्रमुखता से दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता था जिसके साक्ष्य स्वरुप हम, कोलकाता की ’’ आचला पूजा ’’ को भी दुर्गा पूजा के इतिहास का एक गौरवमयी पड़ाव के तौर पर मान सकते है।
दुर्गा पूजा कब मनाया जाता है?
दुर्गा पूजा त्यौहार पर निबंध पर केंद्रित इस आर्टिकल में, हम, आपको बता दें कि, दुर्गा पूजा जो कि, भारते के साथ ही साथ विश्व के अन्य कई देशों द्धारा बडे ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है लेकिन हमारे अनेको भक्तो व पाठकों को दुविधा होती है कि, दुर्गा पूजा कब मनाया जाता है तो हम, उनकी इस दुविधा को दूर करते हुए उन्हें बता दें कि, दुर्गा पूजा को प्रमुख तौर पर आश्विन माह के पहले दिन से लेकर 10वें दिन तक धूमधाम के साथ दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है जिससे ना केवल हमें शक्ति प्राप्त होती है बल्कि जीवन में, सुख व शांति की भी प्राप्ति होती है।
दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है?
दुर्गा पूजा जिसे हम, बडे ही धूमधाम व हर्षो-उल्लास के साथ मनाते है लेकिन क्या आप जानते है कि, दूर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है यदि नहीं जानते है तो जान लीजिए कि, दुर्गा पूजा को पूरे भारतवर्ष में विशेष तौर पर 9 दिनों तक चले भीषण युद्ध के बाद 10वें दिन महिषाशुर नामक बुराई की संहार करने वाली माता दुर्गा की महिमा को उजागर करने के लिए हम, दुर्गा पूजा मनाते है।
इसी प्रकार माता दुर्गा के द्धारा ही नौ दिनों के युद्ध के बाद 10वें दिन रावण का वध किया गया था और विश्व में, बुराई पर अच्छाई की पताका लहराई गई थी और इसी वजह से पूरे भारतवर्ष में दुर्गा पूजा का त्यौहार बड़े ही हर्षो-उल्लास के साथ मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का पौराणिक महत्व क्या है?
क्रूर व निर्दयता के प्रतीक कहे जाने वाले राजा महिषासुर के साथ 9 दिनों तक चले युद्ध के बाद माता दुर्गा के द्धारा 10वें दिन उनका वध कर दिया गया है जिसे बुराई पर अच्छाई की विजय का सबसे बड़ा प्रतीक माना व समझा जाता है और इसी से दुर्गा विजय से दुर्गा पूजा का पौराणिक महत्व उजागर होता है।
दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
दुर्गा पूजा, भारतीय संस्कृति व सभ्यता को दर्शाती है और यही दुर्गा पूजा का सबसे बड़ा सांस्कृतिक महत्व होता है क्योंकि दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है, दुर्गा पूजा के माध्यम से नारी शक्ति को प्राथमिकता प्रदान की जाती है, घर में सुख व समृद्धि का वास होता है।
दुर्गा पूजा के दिन सभी सरकारी संस्थानों व शैक्षणिक संस्थानों में अवकाश प्रदान किया जाता है और दुर्गा पूजा को भारत के साथ ही साथ पूरे विश्व में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है आदि। उपरोक्त बिंदुओँ की मदद से हमने आप सभी को बताया कि, दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक महत्व क्या है ताकि आप भी दुर्गा पूजा के सांस्कृतिक महत्व से जानकार हो सकें।
दुर्गा पूजा कैसे मनाया जाता है?
हमारे भक्तो द्धारा दुर्गा पूजा का इंतजार लम्बे समय से किया जाता है और जब दुर्गा पूजा आने वाला होता है तब दुर्गा पूजा आने से कुछ समय पहले ही पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है, दुर्गा पूजा के पहले दिन अर्थात् नवरात्रि के पहले ही बड़े ही उत्साहपूर्वक व भक्तिपूर्ण ढंग से माता दुर्गा की प्रतिमा को घर में स्थापित किया जाता है।
घर व मंदिरों में विशेष तौर पर दुर्गा पूजा के दौरान माता की आरती व भजन-कीर्तन किया जाता है, दुर्गा पूजा के दौरान ही आकर्षक मेलों, प्रतियोगिताओं व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और 10वें दिन विशेष तौर पर माता दुर्गा की आराधना की जाती है ताकि सभी भक्तों को सुख, शांति, समृद्धि और सुनहरे जीवन का फल मिल सकें।।
निष्कर्ष
दुर्गा पूजा केवल एक पूजा नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति व सभ्यता के साथ ही साथ नारी शक्ति का भी प्रतीक है जिसकी मदद से बेटियों को बोझ समझने की मानसिकता को बदलकर बेटियों को नई सोच के तौर पर मान्यता दी जाती है जिससे ना केवल हमारे घर का बल्कि पूरे सामाज के साथ ही साथ पूरे राष्ट्र का वास्तविक अर्थो में विकास होता है।
दुर्गा पूजा पूरे भारतवर्ष के साथ ही साथ विश्व के अन्य कई देशों का प्रमुख त्यौहार है जिसके महत्व को दर्शाने के लिए हमने इस आर्टिकल में आप सभी को विस्तार से दुर्गा पूजा त्यौहार पर निबंध हिंदी में ।। Durga Puja Essay in Hindi में प्रदान किया ताकि आप दुर्गा पूजा के महत्व को आत्मसात करके भक्तिपूर्ण ढंग से माता की आराधना करके अपने जीवन को सफल बना सकें।
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