दीनदयाल विरद संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी । जे सकाम नर सुनहि जे गावहि। सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
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विष्णु पुराण के अनुसार किसी भी मनुष्य को निर्वस्त्र होकर अर्थात नग्न होकर नहीं करनी चाहिए। यह तीन काम । विष्णु पुराण के 12वें अध्याय में ग्रह संबंधी सदाचार का वर्णन किया गया है। इसमें एक मनुष्य को सुखी जीवन जीने के लिए और धन संपत्ति अर्जित करने हेतु महत्वपूर्ण नियमों का वर्णन किया गया है।
विष्णु पुराण के अनुसार मनुष्य को नित्य देवता, गौमाता तथा अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए। उसे ऐसा कोई भी अनुचित कार्य नहीं करना चाहिए जिससे देवता , पितृगण उससे रुट जाएं। आइए जान लेते हैं विष्णु पुराण के अनुसार मनुष्य को कौन से कार्य नहीं करने चाहिए जिससे उसे देवताओं के एवं पितरों के श्राफ का सामना न करना पड़े।
कभी कोई स्त्री को गंदी नजर से नहीं देखना चाहिए ?
सबसे पहली बात विष्णु पुराण के अनुसार मनुष्य को कभी भी न मगन पराई स्त्री के दर्शन नहीं करनी चाहिए। अर्थात दूसरे की पत्नी को कभी नग्न अवस्था में देखना नहि चाहिए । बुद्धिमान मनुष्य को कभी भी रात्रि के समय चौराहा शमशान उपवन और दुष्ट स्त्री अर्थात व्यभिचारिणी स्त्री के समीप जाना नहीं चाहिए।
ऐसा करने से उसके जीवन में दुर्भाग्य आता है। मनुष्य को दूसरों का थोड़ा भी धन चुराना नहीं चाहिए और कभी किसी से कड़वी वाणी में बातें नहीं करनी चाहिए। अर्थात किसी का अपमान भी नहीं करना चाहिए। चंद्रमा सूर्य अग्नि की तरफ मुख करके मल मूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए। इससे मनुष्य का पुण्य नष्ट हो जाता है। भोजन करते समय देव पूजा कर कोई भी मांगलिक कार्य करते समय थूकना नहीं चाहिए। इससे पूजा का फल व्यर्थ हो जाता है।
मनुष्य को निर्वस्त्र होकर क्या नही करना चाहिए ?
अब जान लेते हैं मनुष्य को निर्वस्त्र होकर कौन से कार्य नहीं करनी चाहिए। सबसे पहली बात नग्न होकर ना करें आसन्न । विष्णु पुराण के 12 अध्याय में कहा गया है कि वक्ति को पुरी तरह से नग्न होकर आसन्न नही करनी चाहिए। अगर आप आसन्न करने जा रहे हैं । तो आपके दंपत में एक कपड़ा तो होना ही चाहिए। दर्शल श्री कृष्ण ने अपनी लीलाओं में नहाते वक्त गोपियों के वस्त्र चुराकर यह संदेश दिया था कि मनुष्य को स्नान करते वक्त निर्वस्त्र नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे जल के देवता का अपमान होता है।
निर्वस्त्र होकर नही सोना चाहिए ?
दूसरी बात नग्न होकर नहीं सोना चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार पूर्ण रूप से नग्न होकर नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से चंद्र देवता का अपमान होता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है। रात के समय पितृगान अपने परिजनों को देखने के लिए आते हैं और उन्हें नग्न देखकर पितरों को काफी दुख होता है। साथ ही यह कहा जाता है कि नत्न होकर सोने से नकारात्मक शक्तियां आप को अपना शिकार बना सकती हैं।
साथ ही नग्न होकर देखे गए शुभ सपनो का फल मनुष्य को नहीं मिलता है। महिलाओं को अपने बाल खोल कर भी नहीं सोना चाहिए। इससे उन्हें मानसिक परेशानी उठानी पड़ सकती है।
पूजा अर्चना करते समय ये काम नही करना चाहिए ?
तीसरी बात नग्न होकर पूजा ना करें। कुछ लोग निर्वस्त्र होकर देवी देवताओं की आराधना करते हैं। लेकिन विष्णु पुराण के अनुसार पूजा के दौरान नग्न होने के बजाय बिना सिले हुए वस्त्र पहने चाहिए ।
इसके अलावा पूजा या यज्ञ के दौरान नग्न होकर आचमन करना विधि के खिलाफ माना जाता है। इसलिए पूजा या आचमन के दौरान व्यक्ति को निर्वस्त्र नहीं होना चाहिए । तो वह तीन कार्य जो निर्वस्त्र होकर नहीं करनी चाहिए ।
उम्मीद है। आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। आप अपना विचार को कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। तो बस आज के लिए इतना ही अब हम चलते है। फिर मिलेंगे न्यू जानाकारी के साथ तब तक हमारे ब्लॉग के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,
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