Friday, November 10, 2023

शरीर के सात चक्र की जानकारी pdf

 

शरीर में मौजूद इन सात चक्रों पर टिका है। मनुष्य का आधार जिस व्यक्ति ने इन 7 चक्र को जागृत कर लिया, उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। चक्र साधना को योग का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। हमारे शरीर में सात प्रकार के चक्र होते हैं जिनका अपना अपना महत्व है योग एवं तंत्र क्रियाओं के माध्यम से शरीर में मौजूद ऊर्जा का निहित संचार कर सकते हैं । 

शरीर के सात चक्र की जानकारी pdf

योग को मनुष्य के सरल और सुखद जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वर्तमान समय की और देखा जाए तो हमारी दिनचर्या में तेजी से बदलाव आ रहा है जिसके कारण व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से कई प्रकार के समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं । जो ऊर्जा आप अपने जीवन में अर्जित करते हैं। 


उसका सारा श्रेय शरीर में मौजूद सात चक्रों को जाता है। योग शास्त्र में बताया गया है। कि शरीर में मोजूद यह चक्र यदि सही प्रकार से कार्य करते हैं तो व्यक्ति अपना जीवन सरलता से व्यतीत कर पाता है। अन्यथा मानसिक व शारीरिक तनाव शरीर पर हावी होने लगता है। 


शरीर के सात चक्र की जानकारी pdf

योग शास्त्र में बताया गया है कि मनुष्य के शरीर में 7 मुख्य चक्र हैं। जिसका नाम इस प्रकार से है । मूलाधार चक्र , स्वाधिष्ठान चक्र , मणिपुर चक्र , अनाहत चक्र , विशुद्ध चक्र , ज्ञान चक्र , सहस्त्र चक्र है । 


यह सभी चक्र हमारे विचारों भभनाओ स्मृतियों अनुभवों और कर्मों के कारण है । एक वक्ती हट योग के माध्यम से इन चक्रों को पुनतः जागरीक कर सकता है । 


No.1  मूलाधार चक्र 

योग शास्त्र के अनुसार मूलाधार चक्र शरीर में रीड की हड्डी के सबसे निचले भाग में मौजूद रहता है। इसे भाव मंडल के नाम से भी जाना जाता है। इस चक्र का रंग लाल होता है और इसका bij अक्षर लर्न है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह धर्म अर्थ काम और मोक्ष का नेतृत्व करता है। वक्ती को भोग या वासना की लालसा और  अध्यात्मिक इच्छा इसी चक्र से प्राप्त होती है। 


No.2 स्वाधिष्ठान चक्र

स्वाधिष्ठान चक्र रीड के हड्डी पर मौजूद होता है । इसका स्वरूप आधा चांद के जैसा होता है इस चक्र का तत्व जल है और यह सामान्य बुद्धि का आभाव, अविश्वास, सर्वनाश क्रूरता और अवहेलना जैसी निन्न भावनाओं को नियंत्रित करता है। इस चक्र से काम भावना और उन्नत भाग जन्म लेता है इस चक्र का बीज अच्छर वह है । 


No.3 मणिपुर चक्र 

योग शास्त्र में बताया गया है कि मणिपुर चक्र नाभी के नीचे और रीड के हड्डी पर मौजूद होता है । इसका आकार त्रिकोण रूपी होता और यह लाल रंग का होता है। इस चक्र को ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र बताया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी चक्र से ऊर्जा का प्रसारण शरीर में होता है। इस चक्र का भी अक्षर रहे और यह दुष्ट भाषा, विचार, कृष्णा, मीणा और भई जैसे भावनाओं को नियंत्रित करना है । बता देते हैं कि चक्र का प्रभाव सीधे मन और शरीर पर पड़ता है । 


No.4 अनाहत चक्र 

षटकोण रूपी इस चक्र को स्वर मंडल भी कहा जाता है इस चक्र का रंग हल्का हरा होता है और इसमें 12 पंखुड़ियां होती है इस चक्र को आशा चिंता, हंकार, कपट , भाव , अनुताप, दंभ और विवेक इत्यादि जैसी भावनाओं का स्वामी कहा गया है। इस चक्र का बीज अच्छर यह है और इसका संबंध व्यक्ति की भावनाओं से हैं । 


No.5 विशुद्ध चक्र 

शरीर में विशुद्ध चक्र की उपस्थिति कंठ से ठीक नीचे वाले भाग में होती है। इसी चक्र के सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है। बहुरंगी इस चक्र का कोई एक स्वरूप नहीं है। साथ ही यह भौतिक ज्ञान कल्याण कार्य, ईश्वर के प्रति समर्पण एवं अमृत जैसी भावनाओं का नितृत करता है। और इसमें 16 पंखुड़ियां हैं वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए । तो यह चक्र ठीक से काम नही करता है । तो शरीर में कई सारे समस्या पैदा हो सकती है । 


No.6 आज्ञा चक्र 

आज्ञा चक्र का स्थान आंख के ठीक ऊपर और दोनों भौहों के मध्य में होता है। इस चक्र के 2 बीज अच्छर है। साथ ही इस चक्र में केवल दो पंखुड़ियां ही मौजूद रहती हैं और जिनका रंग भी अलग है। एक पंखुड़ी काले रंग की है तो दूसरे का रंग सफेद है। सफेद रंग की पंखुड़ी ईश्वर की आराधना का नेतृत्व करती है और काले रंग की पंखुड़ी संसार एकता की ओर ले जाती है। 


No.7 सहस्तर चक्र 

योगसहस्त्रार चक्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मस्तिष्क के ऊपरी भाग में मौजूद है और यह सहस्त्र पंखुड़ियों वाला होता है। जिनका रंग पूर्णता सफेद होता है । इस चक्र का कोई भी बीज अच्छर नही है । ओर इसके माध्यम से केवल गुरू का ध्यान किया जाता है । 


योग शास्त्र में इस चक्र को काशी के अस्थान बताया गया है । ऐसा इसलिए क्योंकि जब आदमी इस चक्र तक पहुंचती है । तो वक्ति को पूर्ण साधना की प्राप्ति हो जाती है । ओर उसके लिए मोक्ष प्राप्ति का मार्ग सरल हो जाता है । 

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