Friday, September 1, 2023

चांद पर आवाज क्यों नहीं सुनाई दे सकती?

 

दोस्तो एक बार फिर से स्वागत है। चांद पर आदमी गूंगा बहरा क्यों हो जाता है। दोस्तों इंसान चांद पर तो पहुंच गए । लेकिन चांद से जुड़े ऐसे कई सारे सवाल है जो अभी तक हमारे पल्ले नहीं पड़ते। जैसे कि चांद पर जाते ही इंसान गूंगा बहरा क्यों हो जाता है या फिर चंदामामा की उम्र ज्यादा है या धरती माता की और सबसे बड़ा सवाल कि अगर चांद ना होता तो क्या धरती पर रात नहीं होती । अगर चंद्रमा नहीं होगा तो क्या इंसान को नींद आना बंद हो जाएगा। 

चांद पर आवाज क्यों नहीं सुनाई दे सकती?

हमे मालुम है कि यह सवाल कभी ना कभी आपके मन को विचलित करते होंगे। पर चिंता मत कीजिए क्योंकि आज के इस पोस्ट में आपको दोस्त आपको चांद से जुड़ी एक से बढ़कर एक रोचक जानकारी देने वाले है । तो आप हमारे ब्लॉग के साथ अंत तक बने रहे ।


चांद का जन्म कैसे हुआ ? 

चांद का जन्म तब हुआ जब भटकता हुआ ग्रह पृथ्वी से जाकर टकरा गया । दोनों की टक्कर से बहुत सारा मलबा निकला जो पहले धरती की कच्छा में घूमता रहा । फिर धीरे-धीरे एक जगह पर इकट्ठा होने लगा। अब जब सारा मलबा एक जगह पर इकट्ठा होकर एक बड़ा सा पिंड बन गया। तब जाकर चंद्रमा का निर्माण हुआ । 


अब आप सोच रहे होंगे जब चंद्रमा पृथ्वी से टकराकर जन्मा है । तो इनमें से कौन किसकी ज्यादा हुई तो दोस्तों जाहिर सी बात है। इस तरह हमारी पृथ्वी की उम्र ज्यादा बड़ी हुई ना जहां चंद्रमा साडे चार अरब साल पुराना है और यह बात तब पता चली जब कुछ अंतरिक्ष यात्री धरती पर चांद के चट्टानों को लेकर आए थे और उसी की रिसर्च से पता चला कि चंद्रमा का निर्माण साडे चार अरब साल पहले हुआ था । 


लेकिन चंदा मामा की छोटा होने के बावजूद यहां पर दिन काफी बड़ा होता है। तभी तो चांद पर एक दिन हमारे यहां के 14 दिनों के बराबर है। तभी तो जो विक्रम लैंडर और रोवर chandrayaan-3 के जरिए चांद पर भेजे गए हैं वो 14 दिनों तक काम करेंगे जो सूरज की रोशनी में 14 दिनों तक सौर ऊर्जा लेते रहेंगे और इस सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करके धरती पर इंफॉर्मेशन भेजते रहेंगे ।


14 दिनों के बाद जब चांद पर अंधेरा होगा यानी कि रात होगी तब तक मिशन moon पूरा हो चुका होगा। अब सवाल यह भी बड़ा प्रचलित है कि आखिर चंद्रमा क्या है और उसका क्या पोजीशन है। क्या वह तारा है या ग्रह है तो 


चंद्रमा तारा है या ग्रह ? 

दोस्तों चांद ना ही ग्रह है और ना ही तारा है। बल्कि पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है जो पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। तभी तो चांद दूर जरूर है लेकिन पृथ्वी के साथ है । उसका कनेक्शन बना रहता है क्योंकि दोस्तों अगर चंद्रमा ना होता तो रात में बिल्कुल अंधेरा होता ठीक वैसे ही जैसे अमावस की रात में अंधेरा होता है। 


उसे भी घना अंधेरा होता और जो अमावस और पूर्णिमासी है, उसका पूरा चक्कर खत्म हो जाता। चंद्रमा के बिना पृथ्वी ने 1 दिन से 6 से 12 घंटे का होता क्योंकि तब सूर्य की रोशनी डायरेक्ट पृथ्वी पर पड़ती चंद्रमा के ना होने से पृथ्वी पर समुद्र में ज्वार भाटा का आकार बदल जाता है। समुंद्र के लहरे चंद्रमा के आकर ना होने से एक और ऊंची उठने लगती और अगर चंद्रमा ना होता तो सूर्य ग्रहण भी ना होता । 


क्योंकि तब पृथ्वी और सूर्य के बीच में आने वाला कोई होता ही नहीं। वैसे एक इंटरेस्टिंग बात यह भी कि चांद के पास अपनी कोई लाइट का सोर्स नहीं होता बल्कि वह तो सूरज की रोशनी से लाइट लेकर पृथ्वी तक पहुंचाता है । चांद की तुलना में सूरज कई गुना ज्यादा चमकीला होता है। 


ऐसे में सूरज के बराबर रोशनी करने के लिए 398110 पूर्णमासी के चंद्रमा और जन्म ले ले। तब भी वह रोशनी देने के मामले में सूरज के बराबरी नहीं कर पाएंगे। चांद पर माइनस डिग्री में टेंपरेचर होता है। चांद ठंडा उपग्रह है। 


क्या अंतरिक्ष में आवाज सुनी जा सकती है?

दोस्तों चांद पर आवाज सुनाई नहीं देती और इसका सबसे बड़ा कारण है। चांद पर वायुमंडल है ही नहीं, वहां पर कोई आवाज नहीं सुनी जा सकती क्योंकि साउंड वेव्स ट्रैवल ही नहीं कर सकती। आप अपना मुंह चाहे जितना भी चलाते रहेंगे, लेकिन आपके मुंह से कोई भी आवाज बाहर नहीं निकल पाएगी। इसलिए कहा जाता है। इंसान चांद पर गूंगा बहरा हो जाता है और चांद से देखा जाए तो आकाश बिल्कुल काला दिखाई देता है।


तो आप ने ये समझ गए होगे कि चांद पर लोग एक दूसरे से बात नही कर सकते हैं । उन्हे गूंगा बहरा बनकर रहना पड़ता है । उम्मीद करता हूं जानकारी अच्छा लगा होगा । आज के लिए इतना ही हमारे ब्लॉग के साथ अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,

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