Friday, August 25, 2023

चंद्रयान-3 में कितने लोग गए हैं

 

दोस्तों सबसे पहले आपके जानकारी के लिए आपको बता दूं कि Chandrayaan 3 में कोई भी लोग नहीं गए हैं । उनमें सिर्फ Robot को भेजा गया है । जिसे ISRO अपने Office से उसे Control करता है । 

चंद्रयान-3 में कितने लोग गए हैं

और ऐसे कैसे हुआ । इसका बहुत बडा कहानी है । जो आपको समझने में काफी दिन लग सकते हैं । हम आपको Direct बताने की कौशिश करते हैं । तो चलिए शुरू करते हैं । 


चंद्रयान-3 का उद्देश्य क्या है

भारत के चंद्रयान 3 उपग्रह ने विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतार कर इतिहास रच दिया। विक्रम लैंडर को दक्षिणी ध्रुव के करीब सॉफ लैंड करना था जो ये अच्छे तरीके से हुआ। 


यह भारत के साथ-साथ दुनिया भर के लिए एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है। सारी दुनिया की निगाहें chandrayaan-3 पर टिकी थी । इस सफलता के साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बन गया। इसके अलावा भारत चांद पर सॉफ लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है। 


इससे पहले रूस चीन और अमेरिका भी चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं। लेकिन इन सब का काम भूमध्य रेखीय क्षेत्र में था। विक्रम लैंडर ने दक्षिणी ध्रुव के करीब सॉफ लैंडिंग की है जो भारत के लिए बहुत ही गर्व की बात है। 


चंद्रमा के साउथ पोल पर कैसे उतरा विक्रम लैंडर ? 

दोस्तों आपने कई बार सॉफ्ट लैंडिंग शब्द सुना होगा, लेकिन यह सॉफ्ट लैंडिंग इतने भी आराम से नहीं हुई थी। विक्रम लैंडर 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चांद की सतह पर उतरा था। अगर इसे छोड़ दिया जाए तो वह बहुत तेजी से गिरता जैसे chandrayaan-2 का लेंडर चांद की सतह पर आकर क्रैश हो गया था। 


लेकिन chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि वह आराम से चांद की सतह पर उतर सके और बाद में उसके जरिए बेंगलुरु इस्थित कमांड सेंटर से बात की जा सके। यह बहुत ही बड़ा और मुश्किल काम है। दुनिया में अब तक जितने भी सॉफ्ट लैंडिंग हुई है ।


उनमें से दो में से एक ही सॉफ्ट लैंडिंग सफल हुई है। इससे पहले भारत के चंद्रयान 2 का लैंड भी क्रस कर गया था। लेकिन इसके बाद chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर का चांद पर उतर जाना एक बड़ी उपलब्धि है। 


चंद्रयान-3 में कितने लोग गए हैं

विक्रम लैंडर का नाम भारत में स्पेस टेक्नोलॉजी के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर दिया गया है। चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले विक्रम लैंडर की रफ्तार कम करना भी एक चुनौती थी। इसके लिए chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर को 125 गुना 25 किलोमीटर की ऑर्बेट में रखा गया था। 


चंद्रयान-3 की स्पीड कितनी है

इसके बाद इसे डी ऑर्बिट किया गया। इसके बाद जब उसे चांद की सतह की और भेजा गया तब उसकी रफ्तार 6000 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की थी। इसके बाद कुछ ही मिनटों में जैसे चांद की सतह पर सॉप्लैंड किया गया तो उसकी गति बेहद कम कर दी गई। ऐसा करने में विक्रम लैंडर पर लगे चार इंजनों का सहारा लिया गया था ।


इसके बाद दो इंजनों की मदद से विक्रम को चांद की सतह पर उतार दिया गया chandrayaan-3 का विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर पहुंच गया है, लेकिन अब इंतजार उसके रोवर प्रज्ञान के बाहर निकलने का है। असल में प्रज्ञान को विक्रम लैंडर से बाहर निकलता हुआ देखने के लिए हमें थोड़ा इंतजार करना होगा। 


विक्रम लैंडर के लैंड होने की वजह से चांद की जमीन पर काफी दूर उडी। उसी धूल को अगले कुछ घंटों में जमीन पर वापस बैठने या विक्रम लैंडर से दूर जाने का इंतजार किया जाएगा। इसके बाद विक्रम लैंडर से एक रैंप खुलेगा। जिसके सहारे प्रज्ञान रोवर चांद की जमीन पर चलना शुरू करेगा। इसके बाद शुरू होता है। वैज्ञानिक खोजों का काम ।


Chandrayaan 3 चांद पर जानें का क्या मतलब है ? 

जो 14 दिनों तक जारी रहेगा। विक्रम और प्रज्ञान दोनों ही सोलर एनर्जी से चलते हैं। इन्हें चांद की रोशनी वाली जगह पर ठीक से पहुंचाया गया है क्योंकि अब चांद पर 14 दिनों तक रोशनी रहेगी और इस दौरान प्रज्ञान और विक्रम अपना काम कर सकेंगे ।


कुछ समय में चांद की सतह से पहली तस्वीरें आएंगी। जिन में प्रज्ञान विक्रम की तस्वीरें लेगा और विक्रम प्रज्ञान की तस्वीर है। यह चांद की सतह से खींची गई। इस तरह की पहली तस्वीरें होंगी। प्रज्ञान और विक्रम के बीच बातचीत का माध्यम रेडियो वेव्स है। इन्हें इस तरह से बनाया गया है कि प्रज्ञान अपने लैंडर विक्रम से बात कर सके। 


प्रज्ञान सीधा बेंगलुरु से कमांड सेंटर से बात नहीं कर सकता। लेकिन विक्रम सीधे कमांड सेंटर से बात कर सकता है। हालांकि chandrayaan-3 के प्रोपल्शन मॉडल में कोई कम्युनिकेशन डिवाइस नहीं है। इस पूरी प्रक्रिया में चंद्रमा से धरती तक संदेश आने में सवा सेकंड का समय लगता है और ऐसी सारी प्रक्रिया ऑटोमेटेड तरीके से होती है। 


लास्ट मिनट में किसके हाथ में था कंट्रोल ? 

आखिरी कुछ मिनटों में सबकी सांसें अटकी हुई थी तब सारा काम कंप्यूटर ने ले लिया। इसरो के वैज्ञानिकों ने सारी कमांड लोड कर ली थी। कंप्यूटर ने इन सभी को ठीक ढंग से अंजाम दिया, जिससे विक्रम लैंडर आराम से चांद की सतह पर पहुंच गया। 


इतना ही नहीं Chandrayaan 3 के कारण अब भारत के GDP में बढ़ोतरी होगा । और हमारा देश शक्तिशाली बन जायेगा । उम्मीद करता हूं कि ये जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । आपके मन में कोई सवाल है । तो आप हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । 


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