Friday, July 28, 2023

मणिपुर के बारे में जानकारी हिंदी में

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मणिपुर यानी मणियों की भूमि इसे आभूषणों की धरती भी कहा जाता है। इस राज्य को यह नाम अपने प्राकृतिक सौंदर्य की वजह से मिला। हालांकि 1724 के पहले तक इस इलाके को इस नाम से नहीं जाना जाता था। तब इसका नाम था कांग्लेईपाक मणिपुर को उसका यह खूबसूरत इनाम मिला । सन 1724 में और इसे देने वाले थे। यहां के महाराजा गरीब नवाज । 

मणिपुर के बारे में जानकारी हिंदी में

मणिपुर का धर्म

उन्होंने साल 1709 से 1751 तक इस क्षेत्र पर राज किया। उन्होंने ही 1717 सत्रह में हिंदू धर्म को मणिपुर में स्थापित किया था। गरीब नवाज के बचपन का नाम था पमहीबा वो मणिपुर के राजा चेराई रोंगबा के छोटी रानी नंगछेल  छायबी के बेटे थे। मणिपुर में उन दिनों एक प्रथा थी। कि बड़ी रानी के अलावा बाकी रानियों के बेटों को मरवा दिया जाता था। 


ऐसा इसलिए होता था ताकि बाद में उत्तराधिकार को लेकर झगड़े ना हो। इसीलिए पमहिबा के पैदा होते ही नुंग्शीर छाई भी ने उसे नागा सरदार के यहां गुपचुप तरीके से भिजवा दिया। राजकुमार पमहिबा के परवरिश वहीं पर हुई थी। इस बीच जब बड़ी रानी को पता चला कि पमहीब जिंदा है तो उसने उसे मरवाने की तमाम कोशिशें की । 


लेकिन वह कामयाब ना हो सकी। बड़ी रानी पम हिबा को मरवाना तो चाहती थी। लेकिन उसकी खुद की कोई औलाद ना थी। वक्त बीता तो चराई रॉन्ग बा को अपने उत्तराधिकारी की चिंता सताने लगी। उन्हें जब पमहिबा के बारे में मालूम चला तो वह अपने बेटे को वापस महल में ले आए । इस तरह से पमहिबा को मणिपुर की सत्ता मिली। 


मणिपुर में हिंदू धर्म स्थापित कब हुआ ? 

आपको बता दें कि पंहीबा का संबंध में मैथी वंश से था । इतिहासकार बताते हैं कि पमहिबा ने ही मणिपुर में हिंदू धर्म की स्थापना की थी। उन्होंने 1717 में मेथी धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया था और पूरे साम्राज्य में हिंदू धर्म लागू कर दिया । 


इस तरह से वह मणिपुर के पहले हिंदू महाराज हुए। तकरीबन चार दशकों के उनके शासन में उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि उन्हें महाराजा गरीब नवाज के नाम से लोग पुकारने लगे। पमहिबा को भी यह प्रशन नाम पसंद आया। और वो खुद भी अपने लिए इस नाम का इस्तेमाल करने लगे थे। 


जब पमहिबा अपने साम्राज्य में हिंदू धर्म लागू किया तो उनका झुकाव वैष्णव पंथ की तरफ बढ़ चला पमहिबा के हिंदू धर्म अपनाने का किस्सा कुछ इस तरह बताया जाता है कि बंगाल के क्षेत्र के कुछ साधु संत मणिपुर पहुंचे थे। 


मणिपुर में हिंदू धर्म का स्थापना कैसे हुआ ? 

वे गोडिया वैष्णव धर्म का प्रचार कर रहे थे। मणिपुर पहुंचने वाली टोली का नेतृत्व कर रहे थे। शांति दास अधिकारी और गुरु गोपाल दास उन्होंने राजा पमहिबा से बातचीत की और उन्हें हिंदू धर्म अपनाने के लिए मना लिया। पमहिबा खुद हिंदू धर्म अपनाने के साथ मेथी धर्मावलंबियों को भी हिंदू धर्म अपनाने के लिए तैयार किया । 


मणिपुर का पहले कितने नामों से जाना जाता था ? 

1724 से पहले मणिपुर का नाम पहले कांग्लेईपाक था लेकिन तमाम जगहों पर इसके दूसरे नाम भी मिलते हैं। पड़ोसी राज्य मणिपुर को अलग-अलग नामों से पुकारते थे। इतिहास में जिक्र मिलता है कि बर्मा के लोग इस राज्य को Kathe कहा करते थे जबकि असम के लोग इसे मोगली नाम से पुकारा करते थे । 


इतिहास के कई अन्य स्रोतों में मणिपुर का नाम Mikli , Maitrebach  , KALAMPUN , PONTHOCLAM भी पढ़ने और सुनने को मिल जाते हैं। गरीब नवाज यानी कि पमहिबा ने सन 1751 तक मणिपुर पर शासन किया। इस दौरान उन्होंने वर्मा के टांगों वंश के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ी बर्मा के विरुद्ध युद्ध की शुरुआत तब हुई जब वहां के राजा ने गरीब नवाज की बहन का अपमान किया था।


मणिपुर राजा गरीब नवाज का मृत्यु कैसे हुआ ? 

इतिहास की किताबों में लिखा है कि बर्मा के राजा ने राजकुमारी के बजाय गरीब नवाज की दूसरी बहन से शादी का प्रस्ताव रख दिया था। मणिपुर के राजा को यह राजकुमारी का अपमान लगा इस युद्ध में खूब खून बहा गरीब नवाज की सेना ने बर्मा की कई सैनिकों और दरबारियों को युद्ध बंदी बना लिया । 


बाद में भी उन्होंने वर्मा पर कई आक्रमण किए और साथ ही साथ खूब लूटपाट भी कि इस तरह गरीब नवाज का साम्राज्य बढता रहा । हालाकि जीवन भर वर्मा के साथ युद्ध लड़ते रहे। गरीब नवाज की मौत भी वर्मा से लौटते वक्त ही हुई थी। 1751 में जब वह अपने बड़े बेटे श्याम शाह के साथ इस नियत ऐसे बर्मा गए थे कि वहां कुछ राजनीतिक मसलों को सुलझाए जा सकेगा ।


लेकिन उनके दूसरे बेटे अजीज साह को लगा कि गरीब नवाज राज्य की सत्ता श्याम शाह को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं इसलिए उसने अपने ही पिता के खिलाफ षड्यंत्र रचना शुरू कर दिया था वर्मा से मणिपुर लौटते वक्त अजीज शाह ने अपने लोगों से दोनों पर गुप्त रूप से हमला करवा कर उनकी हत्या करवा दी। 


मणिपुर भारत में कब मिला ? 

इसके बाद मणिपुर पर गरीब नवाज के वंशजों और फिर कई दूसरे वंशजों का शासन रहा। यह क्रम 1949 तक चला। इसके बाद मणिपुर के राजा ने भारत में विलय का फैसला कर लिया। मणिपुर के महाराजा ने शिलांग में 21 सितंबर 1949 को भारत के साथ विलय के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए और इसके साथ ही 15 अक्टूबर 1949 को मणिपुर भारत का अभिन्न अंग बन गया । 


इसकी औपचारिक घोषणा भारतीय सेना के मेजर जनरल अमर रावल ने की थी। मणिपुर का भारत में विलय करने वाले महाराजा बोधचंद्र का निधन 1955 में हुआ था। विलय के साथ ही मणिपुर में एक निर्वाचित विधायकों के माध्यम से सरकार का गठन किया गया था। हालांकि 1956 में इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया जो 1972 तक कायम रहा । 


तमाम आंदोलन हुए और आखिरकार 21 जनवरी 1972 को मणिपुर को स्वतंत्र राज्य का दर्जा दे दिया गया। दोस्तों अगर आप इतिहास के पन्नों में दर्ज की तरह की और भी हैरत अंगरेज कहानियां पढ़ना पसंद करते हैं । तो आप हमारे ब्लॉग पर विजिट करें । धन्यवाद ,,,,,,,,

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