Saturday, August 19, 2023

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है

 

नाग पंचमी के दिन भूल से भी नहीं करनी चाहिए। यह पांच काम भविष्य पुराण के अनुसार सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। पंचमी ति थि नागों को अत्यंत प्रिय है और उन्हें आनंद देने वाली है। इस दिन नागलोक में विशिष्ट उत्सव होता है। 

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है

पंचमी तिथि को जो व्यक्ति नागों को दूध से स्नान कर आता है, उसके कुल में बासुकी , कालिया, मणिभद्र एरावत, धृतराष्ट्र, कर्कोटक तथा धनंजय यह सभी बड़े-बड़े नाग अभय दान देते हैं। उसके कुल में सर्प का भय नहीं रहता। एक बार माता के श्राप से नाग लोग जलने लग गए थे। इसीलिए उस दाह की व्यथा को दूर करने के लिए पंचमी को गाय के दूध से नागों को आज भी लोग स्नान कराते हैं। 


इससे सर्प भय नहीं रहता। हिंदू धर्म में नागों की पूजा के इस पावन पर्व का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान शिव के आभूषण नागराज वासुकी की उपासना की जाती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नागों की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति, अपार, धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। 


नाग पंचमी कब है 2023

इस बार नाग पंचमी का त्यौहार 21 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा। इस पावन पर्व पर महिला नाग देवता की पूजा करती हैं और सांपों को दूध अर्पित करती हैं। इस दिन स्त्रियां अपने भाइयों तथा परिवार की सुरक्षा के लिए प्रार्थना भी करती हैं। 


नाग पंचमी शुभ मुहूर्त कब है हिंदू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस साल पंचमी तिथि का आरंभ 21 अगस्त को रात 12:21 पर होगा और पंचमी तिथि की समाप्ति 22 अगस्त को रात 2:00 नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5:53 से लेकर 8:30 तक रहेगा । इस दिन नाग पंचमी की पूजा करके नाग पंचमी की कथा सुननी चाहिए। 


नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है

दोस्तों भविष्य पुराण के अनुसार मनुष्य को नागपंचमी के दिन इन कार्यों को भूल से भी नहीं करना चाहिए। अन्यथा घर से धन-धान्य का नाश होता है। जीवन में सर्पों का भय सताता है और अनेक कष्टों को भोगना पड़ता है तो चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं। पंचमी का दिन ही नागों को क्यों प्रिय है और इस दिन ऐसा क्या हुआ था। 


भविष्य पुराण के अनुसार एक बार राक्षस और देवताओं ने मिलकर समुद्र का मंथन किया । उस समय समुद्र से अतिशय सफेद रंग का उच्च श्रवा नाम का एक घोड़ा निकला। उस घोड़े को देखकर समस्त नागों की माता कडरू ने अपनी सौतन विनीता से कहा। यह विनीता ये घोड़ा तो सफेद रंग का है किंतु उसकी पूंछ काले रंग की दिखाई पड़ती है। 


गरुड़ की माता विनता ने कहा नहीं देवी कद्रो। यह यश पूर्ण सफेद रंग का है। इस पर कहीं पर भी काले बाल नही है । यह सुनकर माता कडरू ने कहा तुम मेरे साथ शर्त लगाओ । कि यदि मैं घोड़े के बालों को काले रंग का दिखा दूंगी तो तुम मेरी दासी हो जाओगे और यदि मैं नहीं दिखा सकी तो मैं तुम्हारी दासी हो जाऊंगी । 


फिर देवी भी विनता ने उस शर्त को स्वीकार कर लिया। दोनों क्रोध करती हुई अपने-अपने स्थान को चली गई। फिर कदरू ने अपने सभी पुत्र नागों को बुला लिया और उन्हें सारी बात बता दी और कहा है नाग तुम सभी सूक्ष्म रूप धारण करके घोड़े की पूंछ के बालों में लिपट जाओ जिससे उसकी पूंछ काले रंग की दिखाई पड़े।


ताकि मैं मेरी सोत विनता को अपनी दासी बना सकूं। अपनी माता के ऐसे वचन सुनकर नागों ने कहा हे मां यह तो छल है। माता- विनता ने हमारे साथ कभी बुरा नहीं किया और छल से जीतना अधर्म होता है। चाहे तुम्हारी जीत हो या हार हो। हमेशा धर्म में तुम्हारा साथ नहीं देंगे। 


अपने पुत्रों का यह वचन सुनकर माता कद्दू बहुत क्रोधित हो गई और कहा तुम लोग मेरी आज्ञा नहीं मानते हो। इसीलिए मैं तुम्हें श्राप देती हूं कि तुम महा भयंकर यज्ञ में जलकर भस्म हो जाओ इतना कहकर कद्र चुप हो गई। माता का शाप सुनकर सभी नाग भयभीत हो गए। 


फिर वे नागराज वासुकी को साथ में लेकर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और ब्रह्मा जी को अपना वृत्तांत सुना दिया। फिर ब्रह्म देव ने कहा, हे वासुकी तुम चिंता मत करो। मेरी बात सुनो। यायावर वंश में एक बहुत बड़ा तपस्वी जन्म लेगा। उसका नाम जरत्कारु होगा। तुम अपनी बहन मनसा का विवाह उस राशि के साथ कर देना और दोनों से आस्तिक नाम का पुत्र होगा जो संसार में कीर्ति प्राप्त करेगा ।


वह द्वापर युग के अंत में होने वाले। जन्म नामक यज्ञ से तुम्हारी रक्षा करेगा। ब्रह्मा जी के इस वचन को सुनकर सभी नाग प्रसन्न हुए और उन्हें प्रणाम कर के अपने लोक में चले गए। ब्रह्मा जी ने पंचमी के दिन ही नागों को यह वरदान दिया था और आस्तिक मुनि ने पंचमी के दिन ही जन्म जय यज्ञ से नागों की रक्षा की थी।


नागों से क्या प्रार्थना करना चाहिए ? 

इसीलिए पंचमी की तिथि नागों को अत्यंत प्रिय है। इस पंचमी के दिन नागों की पूजा करके यह प्रार्थना करनी चाहिए कि जो नाक पृथ्वी में आकाश में स्वर्ग में सूर्य की किरणों में सर ओवरों में वापी खूब, तालाब आदि में रहते हैं, वह सब हम पर प्रसन्न हों । हम उनको बार-बार नमस्कार करते हैं। 


नाग पंचमी की पूजन विधि 

दोस्तों नाग पंचमी के आठ देव माने गए हैं। आनंद बासुकी पद्म, महापद्मा तक्षक, कुलिर करकट और शंख नामक अष्ट नागों की उपासना की जाती है। नाग पंचमी से 1 दिन पहले चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए।


पूजा करने के लिए नाग का चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थान दिया जाता है। फिर हल्दी रोली चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा की जाती है उसके बाद कच्चा दूध घी चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित किया जाता है। 


पूजन करने के बाद सिर्फ देवता की आरती उतारी जाती है। सुविधा की दृष्टि से किसी सपेरे को देकर यह दूध सबको पिला सकते हैं। पंचमी के दिन द्वार के दोनों और गोबर से नागों की आकृति बनानी चाहिए। पंचमी को कुछ का नाग बनाकर गंध, पुष्प आदि से उनका पूजन करें। 


दूध घी जल से स्नान कराएं । दुध में पके हुए गेहूं और विविध ने बेटियों का भोग लगाएं। इस पंचमी को नाग की पूजा करने से वासुकी आधी नाग संतुष्ट होते हैं और वह पुरुष नागलोक में जाकर वकालत सूख का भोग करता है। इस प्रकार नियमानुसार जो पंचमी को नागों का पूजन करता है, उसे शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्त होता है। 


उसे धन-धान्य की प्राप्ति होती है और मृत्यु के पश्चात व श्रेष्ठ विमान में बैठकर नागलोक को जाता है। पंचमी तिथि को नागों का पूजन करके इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। ओम गुरुकुल फट स्वाहा। इस मंत्र के उच्चारण से जीवन से सर्पों का भय समाप्त होता है। जिस स्थान पर यह मंत्र बोला जाता है, उस स्थान पर नाग कभी नहीं आते हैं। और कभी कष्ट नहीं देते हैं। ऐसा वचन समस्त नागों ने दिया है। 

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