तो एक बार फिर से स्वागत है आपका Technical prithvi में मंगल ग्रह पर बशेगी की भारत की कॉलोनी दोस्तों आप यह बात जानते हैं। कि हम मनुष्य समुद्री दुनिया की मात्र 10% जगह पर ही पहुंच पाए हैं। यानी कि आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं। कि हम मनुष्य अभी तक हमारी पृथ्वी को भी ठीक तरह से जान नहीं पाए हैं। लेकिन फिर भी भारत से लेकर नासा के वैज्ञानिकों तक हर कोई पृथ्वी के बाहर दुनिया बसाने की सोच रहा है।
और ऐसा क्यों किया जा रहा है। इस बात का जवाब मैं यानी आपका दोस्त prayag kumar अपने इस post में आपको बताने वाला हूं। ऐसी आपको कुछ ऐसी बातें जानने को मिली जो वाकई में आपका दिमाग घुमा कर रख देंगे बस post के बिल्कुल लास्ट तक बने रहिये कियुकि post आपको सोच में डालने वाली है।चलिए अब ज्यादा समय न लेते हुए पोस्ट को शुरू करते हैं। लेकिन पोस्ट शुरू करने से पहले एक छोटी सी रिक्वेस्ट है। post के नीचे रेड कलर का सब्सक्राइब बटन दिख रहा होगा उस पर क्लिक करके सब्सक्राइब करें। ताकि आपको पोस्ट मिले सबसे पहले
जैसा कि आप इस बात को बहुत अच्छे से जानते होंगे कि हम मनुष्य से पहले डायनासोर हमारी पृथ्वी पर राज करते थे। लेकिन उल्कापिंड के गिर जाने की वजह से विशालकाय डायनासोर का खात्मा हो गया उसके बाद से ही हम मनुष्य का जन्म इस पृथ्वी पर हुआ इसके बाद धीरे-धीरे हमने तरक्की की और आज हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं। कि नसीर पृथ्वी बल्कि पृथ्वी के बाहर की दुनिया को भी खंगालने में जुटे हुए हैं।
अलार्म एडवांस टेक्नोलॉजी में जी रहे हो लेकिन अगर हल्का सा भी कोई एस्ट्रॉयड यानी कि उल्कापिंड हमारी पृथ्वी से टकराया तो कितना भयानक विनाश होगा आपलोग अंदाजा भी नहीं लगा सकते यही सबसे बड़ी वजह है। कि आज दुनिया भर की स्पेस रिसर्च एजेंसी लगातार पृथ्वी के बाहर की दुनिया खंगाल रही है।
ताकि ह्यूमैनिटी यानी कि इंसानियत को बचाए रखा जा सके क्योंकि अगर कहीं गलती से भी कोई प्राकृतिक आपदा आए जो कि आएगी क्योंकि वैसा डायनासोर के टाइम पर हुआ है। पृथ्वी का विनाश हुआ और हम वापस से जिंदगी जीने लगे इससे पहले भी कई बार हमारी पृथ्वी का विनाश हुआ है। क्योंकि पृथ्वी की बात है। कि स्पेस में तरह-तरह के पास जमा कर दें
और कब किस की टक्कर किस से हो जाए किसी को भी नहीं पता और सबसे बड़ी बात तो यह है कि हम लाख टेक्नोलॉजी को विकसित क्यों ना कर ले फिर भी हम बीच में होने वाली चीजों को कंट्रोल नहीं कर सकते क्योंकि वह पूरा नियंत्रण ब्रह्मांड का है। इस बार किसी का भी कोई कंट्रोल नहीं है। ऐसे में हमारे पास सिर्फ और सिर्फ यही चारा बचता है। कि कैसे भी करके हमें पृथ्वी में मौजूद लोगों और यहां की टेक्नोलॉजी को बचाए रखना है।
पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों पर भी नजर डालनी होगी अब जब हम किसी ऐसे ग्रह को ढूंढ रहे हैं। जिस में रहना है। तो जाहिर सी बात है। कि इंसानों के रहने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। उस ग्रह में एटमॉस्फेयर और पानी की मौजूदगी होनी चाहिए क्योंकि वो चीज है जो इंसान को पृथ्वी पर जीवित रखती है वरना ब्रह्मांड में बाकी कितने ग्रह मौजूद है।
जो पृथ्वी से ज्यादा विशाल का है। लेकिन बात सिर्फ इतनी है। कि हर ग्रह मेट्रो फेयर और पानी की मौजूदगी नहीं है। अनुमान जाएगी अगर कोई ग्रह से भी होंगे जहां पर यह सब होगा तो हम वहां तक पहुंच नहीं सकते हैं। क्योंकि चाँद पर पहुंचने में तो हम मनुष्य को इतने साल लग गए और फिर मंगल पर जाने के लिए कई सारे मिशन लॉन्च किए जाते हैं।
लेकिन उसमें से कुछ ही सफल हो पाते हैं। हालांकि जब मंगल पर नासा क्या क्यूरोसिटी रोवर गया था तो उसके द्वारा भेजी गई तस्वीर से पता चलता है। कि कभी ना कभी मंगल ग्रह पर पानी मौजूद हुआ करता था जो किसी कारण सूख गया होगा और वहां पर 8 मशहूर भी है।
वह बात अलग है। कि वहां पर एटमॉस्फेयर हमारी पृथ्वी के मुकाबले काफी ज्यादा कमजोर है। जिस वजह से बात नहीं कर रही है वहां पर रहने वाले लोगों के शरीर में डायरेक्ट पड़ेंगे और उन्हीं को अपनी करो इसकी वजह से इंसानों को कैंसर और तरह-तरह की बीमारियों के सकती है।
टीवी बहुत बड़ी समस्या है और दोस्तों समस्या यही खत्म नहीं होती बल्कि मंगल ग्रह का ग्रेविटेशनल फोर्स भी हमारी पृथ्वी के मुकाबले कम है। पर सबसे बड़ी समस्या कॉस्मिक रेज की है जो डायरेक्ट मंगल ग्रह में मौजूद लोगों पर पड़ेगी वैसे तो अभी हमारी टेक्नोलॉजी भी इतनी ज्यादा एडवांस नहीं हुई है कि हम मंगल पर पहुंच पाए लेकिन आने वाले समय में मान लिया जाए कि हम वहां पर पहुंचने में कोई रास्ता बना ही लगे ।
कोई भी सरल नहीं होने वाली है। क्योंकि हम जब कभी भी पृथ्वी से बाहर जाते हैं। तो हमें स्पेस सूट पहने की जरूरत पड़ती है। और अगर हम स्पेस सूट पहनकर कितनी दूर ट्रेवल करेंगे तो आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि जिस कितनी खतरनाक हो सकती है।
पर फिर भी वैज्ञानिक तेजी से मंगल ग्रह पर इंसानों को बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। क्योंकि उन्हें पता है। कि उनके पास बहुत कम समय है। और इस चीज को सफल बनाने के लिए सबसे ज्यादा मेहनत है। जो शख्स कर रहा है। वह कोई और नहीं बल्कि लैंडमार्क है।
जो अपनी कंपनी स्पेसएक्स में ऐसे रॉकेट भी तैयार कर चुके हैं। जिन्हें एक बार यूज करने के बाद दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले रॉकेट की मदद से काफी ज्यादा खर्चा भी बच जाएगा और हम मनुष्यों की मंगल ग्रह की यात्रा के लिए और भी कई सारी चीजें इस्तेमाल में ली जा रही है। ताकि आने वाले तीन चार दशकों बाद हम मंगल ग्रह की यात्रा करने में सफल हो जाए
अगर अभी की बात की जाए तो वाकई में एक सपने की तरह लगता है। जो सच तो होगा लेकिन उसके सच होने में कितना सारा पैसा समय और रिसोर्सेस लगेंगे इसका कोई भी अंदाजा नहीं है। हम तो यही चाहेंगे कि कोई भी आपदा आने से पहले हम पृथ्वी के बजाय दूसरे ग्रहों पर भी जिंदगी बचाने का तरीका ढूंढ ले ना हमें इतना एडवांस माहौल बनाने में लाखों साल लग गए हैं।
और अगर वापस से सब कुछ खराब हुआ तो शायद उससे भी ज्यादा समय लग सकता है। बाकी दोस्तों आपका इस पर क्या कहना है हमें कमेंट करके बताइएगा और इसी तरह के जबरदस्त पोस्ट को लगातार देखने के लिए हमारे website को सब्सक्राइब करना बिल्कुल ना भूलें और हम मिलेंगे तब तक के लिए जय हिंद जय भारत
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