Sunday, August 20, 2023

मनुष्य के शरीर में बुखार क्यों आता है?

 

दोस्तो बुखार एक ऐसी चीज है जो लोगो को महीने 2 महीने में एक ने एक बार तो अपनी चपेट में ले लेते हैं  । लेकीन क्या आप ने कभी सोचा है कि बुखार होता क्या है । इसके पीछे कौन सा विज्ञान होता है और जब किसी को बुखार होता है तो शरीर में किस तरह के चीजे होते हैं । 

मनुष्य के शरीर में बुखार क्यों आता है?

और बुखार से बचे रहने का सबसे बेहतर तरीका क्या है और सबसे अहम सवाल कि वह कौन सी चीज है। जिन्हे हम बुखार में गलत करते हैं और बाद में हमें पछताना पड़ता है। आज के इस पोस्ट में सभी सवालों के जवाब देने वाले है । तो चलिए शुरू करते हैं । 


मनुष्य के शरीर में बुखार क्यों आता है?

बचपन में अपने स्कूल वगैरह में पड़ा होगा कि बाहर का तापमान चाहे जैसा भी हो। लेकीन हमारे शरीर का अंदरूनी तापमान आमतौर पर 37% सेल्सियस या 98.6 डिग्री फारेनहाइट तक ही रहता है हालाकि पुरे दिन में तापमान 1 डिग्री सेल्सियस तक घटता और बढता रहता है । 


लेकीन जब हमारे शरीर का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस या फिर उससे ऊपर हो जाता है तो हमें शरीर में अजीब सा महसूस होना शुरू हो जाता है। सबसे पहले तो हमारे सिर में तेज दर्द होता है। आंखों में जलन होती हैं । आंखों के ऊपर वाले हिस्से में काफी तेज दर्द महसूस होता है। बदन में येथन और कमजोरी महसूस होते हैं । और कभी-कभी तो उल्टियां भी होने लगते हैं। 


इन सारी चीजों की वजह से शरीर कमजोर हो जाता है और हमारा बिस्तर से उठने तक का मन नहीं करता। बुखार के लोगों पर दो प्रकार का असर होता है। कई बार लोगों को बुखार हो जाता है, लेकिन उनके शरीर पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको एक बार अगर कायदे से बुखार हो जाए तो उनका पूरा शरीर कमजोर पड़ जाता है और उनके अंदर किसी भी काम को करने के हिम्मत नही होती है । 


कितने डिग्री बुखार में लोग मर जाते हैं ? 

शरीर तो छोड़िए उनका दिमाग भी काम करना बंद कर देता है और इस तरह का भयानक बुखार कभी न कभी आपको भी जरूर हुआ होगा। वैसे तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हम मनुष्य 44 डिग्री सेल्सियस या फिर उससे अधिक तापमान होने पर मर जाता है क्योंकि हमारी बॉडी से ज्यादा तापमान झेल नहीं पाते ।


और इंसान की मौत हो जाते हैं। कई बार आपने देखा भी होगा कि लोगों को दिमागी बुखार हो जाता है और वह मर जाते हैं क्योंकि उनका बुखार इतना तेज होता है की वो डायरेक्ट दिमाग पर असर करता है और उनके जान चले जाते हैं। अब यहां सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर हमारे बॉडी का टेंपरेचर बढता कैसे है । और हमें बुखार कैसे होता है तो इसका सीधा सा जवाब है। 


हमे बुखार कैसे होता है ? 

दिमाग का एक हिस्सा जैसे हाइपोथैलेमस कहा जाता है। वह हमारी बॉडी में बुखार होने का सबसे बड़ा कारण है। अब अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर दिमाग हमारे शरीर के टेंपरेचर को कैसे रेगुलेट कर सकता है। असल में टेंपरेचर हमारे हेल्थएुरियम सिस्टम पर असर डालता है जैसे कि मान लिया जाए आपके पास कोई व्यक्ति है जो किसी प्रकार के वायरस इनफेक्टेड हैं । 


उसे जुखाम और बुखार है और वो छींक छिक कर अपने आसपास के वातारण को वायरस से भर देता है जो वायरस उसे हुआ है। अब वो वातावरण में जितने भी लोग होते हैं, वह सांस लेते हैं तो इनफेक्टेड इंसान से निकला हुआ वायरस उनके सांस के ज़रिए उनके शरीर में पहुंच जाता है। 


जेसे ही वायरस का छोटा सा कण शरीर के अंदर पहुंचता है। बॉडी के अंदर जाते हैं और भी ज्यादा मजबूत हो जाता है और फिर अपनी तरह के कई और वायरस पैदा करता है जिसमें पूरा प्रोसेस होता है तो उसमें कुछ घंटों का वक्त लगता है। ऐसे में शुरुआत में आपको पता नहीं चलता, लेकिन जैसे ही वायरस अपनी संख्या शरीर के अंदर बढ़ा देता है उसके बाद आप भी पूरी तरह से इनफेक्टेड हो जाते हैं और आपको भी जुखाम और बुखार अपनी चपेट में ले लेता है ।


अब जैसे ही शरीर में मौजूद सेल्स पैथोजन यानी कि वायरस इनफेक्टेड होता है। यह पायरोजन नाम के एक प्रोटीन को रिलीज करता है । और फिर पाचन प्रोटीन हमारे खून में मिलकर हमारे दिमाग तक पहुंचता है और हमारे दिमाग में मौजूद हाइपोथैलेमस जो शरीर के थरमस सेट की तरह होता है।


पर जिन के संपर्क में आने पर दिमाग का हाइपरप्थाल्मस पूरे शरीर के तापमान को बढ़ाने का सिग्नल देता है, जिसके बाद शरीर के टेंपरेचर का जो सेट प्वाइंट 37% सेल्सियस होता है, उसे बढ़ाकर एक नया सेट प्वाइंट बना देता है। इसी वजह से पूरे शरीर का टेंपरेचर बढ़ जाता है। दिमाग पूरे शरीर को विभिन्न क्रिया करके शरीर का तापमान बढ़ाने का सिग्नल देता है जिसमें शरीर का तापमान 2 तरीके से बढ़ता है। 



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