Thursday, August 24, 2023

मांस मछली खाना चाहिए या नहीं

 

मांस मछली खाना पुण्य है या पाप जानिए गरुड़ पुराण क्या कहता है भक्तों मांसाहार पुण्य है या पाप आज इस संदर्भ में हम आपको एक कथा सुनाने जा रहे हैं तो आप इस कथा को ध्यान से सुनिए और बताइएगा। मांसाहार पुण्य है या पाप 

मांस मछली खाना चाहिए या नहीं


मांस मछली खाना चाहिए या नहीं

यह बात उन दिनों की है जब भगवान श्री कृष्ण बालपन में थे। एक बार जब श्री कृष्ण ने एक पेड़ के नीचे बैठे बांसुरी बजा रहे थे, उसी तरह एक हिरण दौड़ता चला आया और उनके पीछे जाकर छुप गया। वो हिरण बहुत ही घबराया हुआ था ।


भगवान श्री कृष्ण ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, क्या हुआ तुम क्यों छुप रहे हो उसका पीछा करते हुए एक शिकारी भी वहा आ पहुंचा और बोला, यह मेरा शिकार है। उसे मुझे दे दो। इस पर मेरा अधिकार है तब भगवान श्रीकृष्ण बोले हर जीवित जीव पर उसका खुद का अधिकार होता है । ना किसी का ।


तब वह शिकारी क्रोध में बोला। यह मेरा शिकार है। इसे पका कर खा लूंगा। तब भगवान श्रीकृष्ण बोले किसी भी जीव को मारकर खाना पाप की श्रेणी में आता है क्या तुम पाप के भागी बनना चाहते हो, मांसाहार पुण्य है या पाप क्या तुम धर्म को नहीं जानते तब वह शिकारी बोला, मैं तुम्हारे जितना शिक्षित तो नहीं कि यह जानू कि मशाहर पुण्य है पाप पर मैं यह जानता हूं ।


कि जीव को मारकर खाना इसमें कोई हर्ज नहीं। मांसाहार से तो एक तो वह जी को जीव बंधन से मुक्त कर रहा है। फिर क्यों मांसाहार से मना किया जाता है। मांसाहारी होने को क्यों नहीं कहा जाता। वैसे भी मैं इसको मार कर नीच योनि से मुक्ति दिलाकर पुणे ही कमा रहा हूं ।


फिर इस पर पाबंदी क्यों इसे तो प्रोत्साहित करना चाहिए। जहां तक मैंने सुना है जीव हत्या तो शास्त्रों में भी बताया गया है। राजा लोग भी शिकार किया करते थे। ऐसे तमाम तर्क देते हुए श्री कृष्ण से पूछा कि फिर क्यों है, मांसाहार गलत है और पाप की श्रेणी में आता है। आप ही बताइए मांसाहार पुण्य है या पाप


गीता में मांस खाने के बारे में क्या लिखा है

दोस्तों जीवन का यह मूल्य है की हम यह ना भूले कि जिस तरह हमे अपनी जान प्यारी है । उसी तरह सभी जीवों को जान प्रिय होती है । अपने दिल से जानिए पराए दिल का हाल । यदि संसार के सभी बंधनों से मुक्त करने का तर्क सही है । 


यदि जीव हत्या जीव को संसार बंधन से मुक्त करने का तरीका है । तो अत्याचारी द्वारा किया गया । नर्शंघर भी मान्य है । वह भी यह तर्क दे सकता है । कि वह लोग जीवन के कष्ट से आप लोगों को मुक्त कर रहें हैं । 


अगर उसके लिए वह जीवन बोझ होता । तो कभी भी अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष नही करता । आप से भागता नही । जो आपके सामने रुक जाता है । उसे प्राण गबाने पड़ते हैं । जिन जीवो को मारकर आप खा रहे हैं । उन्हे तो प्राण बचाने का अवसर भी नही मिलता है । 


तो दोस्तो आप समझ गए होगे । कि मांस मछली खाना पाप है । और मनुष्य को मांस मछली नही खाना चाहिए । बल्कि कोई खा रहा है । तो उसे मना भी नही किया जा सकता है । 


उम्मीद करता हूं जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । आप इसी प्रकार के जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं । तो आप हमारे ब्लॉग पर विजिट करें । आज के लिए इतना ही हमारे ब्लॉग के साथ अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,,,,



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