Sunday, August 27, 2023

2023 में रक्षाबंधन कब है - रक्षा बंधन कब है ?

  

मित्रों रक्षाबंधन का त्योहार प्रत्येक वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है जो कि इस वर्ष 11 अगस्त 2022 गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाई के दाहिनी कलाई पर रक्षा सूत्र बंधती है और भाई बहन की रक्षा करने का वचन देता है। लेकिन प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन बनाने का शुभ मुहूर्त होता है। 

2023 में रक्षाबंधन कब है - रक्षा बंधन कब है ?

अगर इस शुभ मुहूर्त में रक्षाबंधन नहीं मनाया गया तो घर में गरीबी और नकारात्मक शक्तियां पैदा हो सकती है तो आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे। की बरस किस समय रक्षाबंधन बनाने का शुभ मुहूर्त है। रक्षाबंधन का जो विधान है वह हमेशा शुभ मुहूर्त में ही संपन्न करना चाहिए। रक्षाबंधन का कार्य कभी भी भद्रा काल के दौरान नहीं करना चाहिए। 


2023 में रक्षाबंधन कब है - रक्षा बंधन कब है ? 

जोतिषो के अनुसार इस वर्ष भद्रा काल का समय 11 अगस्त शाम 5:17 पर भद्र पूज यानी भद्राकाल शुरू हो जाएगा और शाम 6:18 पर खत्म हो जाएगा। यानी 1 घंटे भद्राकाल रहेगा। फिर 6:18 से ही भद्रा मुख शुरू हो जाएगा जो 8:00 बजे तक रहेगा। इस वक्त बहने अपने भाई को राखी ना बांधे  । इस दौरान रक्षाबंधन का कार्य बिल्कुल भी संपन्न नहीं करना चाहिए। 


रक्षा का शुभ मुहूर्त कब तक है ? 

11 अगस्त 2022 गुरुवार के दिन राखी का जो सबसे पहला शुभ मुहूर्त रहेगा वह चंचल बेरा मे रहेगा ।  जो कि सुबह 6:12 से 7:50 तक रहेगा। फिर दूसरा शिवपुर आज 12 तारीख को सुबह 7:25 के पहले तक है। यानी 7 मिनट से पहले तक आप इस पावन त्यौहार को मना सकते हैं। इन दोनों में से आप कोई भी शुभ मुहूर्त देखकर भाई की कलाई पर राखी बांध सकती है ।


2023 रक्षा बंधन कब है ? 

बुधवार 30 August


2024 में रक्षा बंधन कब है ? 

सोमवार 19 AUGUST 


2025 में रक्षा बंधन कब है ? 

शनिवार 9 AUGUST 


2026 में रक्षा बंधन कब है ? 

शुक्रवार 28 August 


2027 में रक्षा बंधन कब है ? 

मंगलवार 27 AUGUST 


2028 में रक्षा बंधन कब है ? 

शनिवार 5 अगस्त 


2029 में रक्षा बंधन कब है ? 

गुरुवार 23 August 


2030 में रक्षा बंधन कब है ?  

मंगलवार 13 August 


2031 में रक्षा बंधन कब है ? 

शनिवार 2 August 


रक्षा बंधन के शुरुवात कैसे हुई ? 

मित्रों हम सब रक्षाबंधन का पर्व तो मानते हैं लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि हम रक्षाबंधन का पर्व कब से मनाते हैं और इसकी शुरुआत कैसे हुई आखिर किस प्रकार एक भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देकर उसकी रक्षा के लिए प्रतिबंध हो जाता है। अगर नहीं जानते तो चलिए जानते हैं ।


रक्षा बंधन के शुरुवात कैसे हुई ? 

इस कथा की शुरुआत राजा बलि से होती है जिनका जन्म तो राक्षस कुल में हुआ था, परंतु उनका बर्ताव बाकी राक्षसों जैसा नहीं था। ऐसा इसलिए था क्योंकि वह देवों के देव महादेव के परम भक्त थे। महादेव की भक्ति से उन्होंने कई सारी शक्तियां हासिल कर ली थी। राजा बलि ने 108 यज्ञ संपूर्ण करने का अनुष्ठान तक कर लिया था। 


तब देवताओं को यह चिंता होने लगी कि अगर राजा बलि ने ये अनुठान  पूरा कर लिया तो स्वर्ग लोक और यमराज दोनों ही राक्षसों के हाथों में चले जाएंगे, जिससे दानव पृथ्वी पर आतंक मचा देंगे। इसी दुविधा के कारण श्रीहरि विषाणु राजा बलि के पास शिकवटो ब्राह्मण के रूप में जाते हैं क्योंकि राजा बलि को महादानी भी कहा जाता है ।


जब भगवान विष्णु वामन अवतार में एक युवक के रूप में राजा बलि के पास आती है तो राजा बलि उसे कुछ मांगने को कहते हैं जिस पर भगवान बामन उनसे तीन पग भूमि मांगते हैं। राजा बलि वचनबद्ध होकर उन्हें तीन पग भूमि देने का वचन दे दे। राजा बलि से बचन प्राप्त करते ही  ब्राह्मण बामन एक विराट रूप धारण कर लेते हैं। तब उन्होंने एक पद में स्वर्ग दूसरे पद में धरती नाप ली। अब वह तीसरा पद कहा नापते तभी राजा बलि ने वचन का पालन करते हुए तीसरा पैर उन्हें अपने सर पर रखने को दिया। 


राजा बलि की दान सरिता को देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और राजा बलि वर मांगने को कहा तभी राजा बलि ने भगवान विष्णु से ऐसा वर मांगा जिसके कारण भगवान विष्णु को वह कुंड त्यागकर पाताल लोक में पहरा देना पड़ा, परंतु माता लक्ष्मी को भगवन विष्णु को पाताल लोक में पहरा देना सही नहीं लगा जिसके कारण माता लक्ष्मी इसके निवारण हेतु राजा बलि के पास जाती है और उनसे सहायता के लिए अनुग्रह करती है। 


फिर माता लक्ष्मी राजा बलि के हाथों में एक रक्षा सूत्र बांधकर उनको मन से अपना भाई मान लेती है और उपहार में श्री हरि विष्णु को मांगती है। तब राजा बलि कहते हैं कि आज से जो भी स्त्री किसी पुरुष को रक्षा सूत्र बांधकर मन से भाई मानकर रक्षा का वचन मांगेगी तो भाई बहन की रक्षा करने के लिए बंधन में बंध जाएगा। इस प्रकार रक्षाबंधन पर्व की उत्पत्ति होती है। 


सबसे पहले राखी किसने बंधी थी ? 

भगवान श्री कृष्ण ने रक्षाबंधन के विषय में धर्मराज युधिष्ठिर को बहुत ही महत्वपूर्ण ज्ञान दिया था और एक ऐसे महामंत्र के बारे में बताया था जिससे प्रतक बहन को अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधते समय बोलना चाहिए। इस मंत्र के उच्चारण मात्र से स्त्री के जीवन से समस्त संकटों का नाश होता और साक्षात यमराज उस स्त्री और उसके भाई को अभय दान देते हैं। 


उनकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती। दोस्तों रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। आपको बता दें कि इस वर्ष दो पूर्णिमा  होने के कारण आप 11 अगस्त और 12 अगस्त इन दोनों दिन रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं। रक्षाबंधन के पर्व को भाई-बहन, प्रेम और विश्वास के बंधन के तौर पर देखा जाता है। किंतु आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रक्षाबंधन जिस रक्षा सूत्र भी कहा जाता है ।


पत्नी पति को राखी बांध सकते हैं ?

यह परंपरा एक पत्नी ने इसका शुरु किया था । जिसका प्रमाण हमें ग्रंथों में मिलता है। रक्षा सूत्र को केवल बहन ही भाई की कलाई पर बांधी है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। पत्नी भी अपने पति के लंबी उम्र के लिए अच्छे स्वस्थ के  लिए आपने पति की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा सकती है और उनसे अपनी रक्षा का और सात जन्म तक साथ निभाने का वचन लेती है ।


यू तो रक्षाबंधन से जुड़ी कई सारी पौराणिक मान्यताएं है और कथा भी प्रचलित  है किंतु यह कथा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी जिसका महत्व उन्होंने कुछ इस तरह से बताएं है । यह रक्षा सूत्र केवल यह धागा नबी ये बंधन है । कवच है । जो शत्रु को तुम तक पहुंचने नहीं देगा ।  करना विनाश होगा जो भी कवच के सामने खड़ा होगा। 


युधिष्ठिर के आग्रह पर भगवान श्री कृष्ण ने यह कथा सुनाई थी जो रक्षाबंधन के पर्व के आरंभ से जुड़ी हुई व कथा इस प्रकार सत्य है । सत्य युग में वृत्रासुर नाम का दानव था व्रत सुर ने देवताओं के साथ युद्ध करके स्वर्ग पर जीत हासिल कर ली थी। दरसल इस असुर को वरदान मिला था कि उस पर किसी भी अस्त्र का और शस्त्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। 


इसी कारण इंद्र बार-बार वृत्रासुर से पराजित हो रहे थे। देवताओं की जीत के लिए महर्षि दधीचि ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था और उनकी हड्डियों से अस्त्र और शस्त्र बनाए गए थे। इनमें से इंद्र के अस्त्र ब्रज को भी बनाया गया था। देवराज इंद्र जब रत्न सुर के साथ युद्ध लड़ने के लिए जा रहे थे तो वे पहले अपने गुरू के पास पहुंचे । 


तो उन्होंने गुरु बृहस्पति से कहा कि मैं वृत्रासुर से अंतिम बार युद्ध करने के लिए जा रहा। इस युद्ध में मै या तो जीत हासिल कर लूंगा या पराजित होकर लौटूंगा। इस संवाद को सुनकर देवराज इंद्र की पत्नी चिंतित हो गई और उन्होंने अपनी साधना और मंत्र के बल पर एक विशेष रक्षा सूत्र को तैयार किया और देवराज इंद्र की कलाई पर बांधा जिस दिन इंद्राणी सचिन देवराज इंद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध दिया । 


सावन के पूर्णिमा में ही रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है ? 

उस दिन श्रवण की पूर्णिमा तिथि थी। इसके बाद जब इंद्र युद्ध करने के लिए पहुंचे तो  उनका साहस और बल देखने लायक था। देवराज ने अपनी शक्ति के बल पर वृत्रासुर को मार गिराया। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं हे उधिस्थिर जेसे इंद्राणी ने अपने तपस्या और प्रेम के बल पर इंद्र  को रक्षा सूत्र में बांधकर उनकी रक्षा की थी। 


उसी प्रकार से अगर कोई स्त्री अपने पति की लंबी उम्र और अच्छी उन्नति और स्वयं के सौभाग्य के लिए अपने पति की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है तो वह मेरा आशीर्वाद प्राप्त करती है। श्रीकृष्ण की इस कथा को सुनकर उधिस्थिर सोच में पड़ गए और उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछा। भाई बहन को रक्षा सूत्र क्यों बांधती है और भाई उसकी रक्षा का वचन किस प्रकार से देता है । 


राखी बहन भाई को क्यों बांधती है ? 

इस पर भगवान श्री कृष्ण मुस्कुराए और उन्होंने कहा, यह परंपरा तो मुझसे ही आरंभ हुई है। हे धर्मराज जब मैं ने शिशुपाल का वध करने के लिए चक्र धारण किया था । उस वक्त मेरे हाथों से रक्त की धाराएं बहने लगी थी । जिसे देखकर द्रोपदी ने अपनी सारी से टुकड़ा फार कर मेरे हाथ पैर बांध दिया था। उसी वक्त मैंने वचन दिया था कि जब भी उसे मेरी सहायता की आवश्यकता होगी, 


उसकी रक्षा करूंगा और जब द्रोपदी का चीर हरण हुआ तो मैंने भाई का वचन निभाया और द्रोपदी की लाज बचाई इसी प्रकार से यदि  कोई भी बहन अपने भाई से रक्षा का वचन लेती तो भाई उसके रक्षा के बंधन में बन जाता है और बहन के बांधे हुए रक्षा सूत्र से भाई की सलामती सदैव बनी रहती है। 


हे धर्मराज रक्षा का सूत्र केवल एक धागा नही किंतु प्रेम विश्वास, शपथ, भक्ति और आस्था का प्रतीक है अगर किसी को भी सिर्धा से बांध दिया जाए तो उसकी रक्षा अवश्य करता है । प्रत्येक बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण अवश्य करें। 


राखी बांधते समय कोण सा मंत्र बोलना चाहिए ? 

ॐ येन बधू बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल: । 

तेन ट्वामापी बधामी रक्षे मां का मां चल । 


इस प्रकार मंत्र बोलना चाहिए । ये मंत्र भगवन विष्णु के के लिए है । जब ये मंत्र में राजा बली का उदाहरण दिया है । 


तो अगर आपके मन में कोई सवाल है । तो आप हमे comment box में जरूर बताएं । और इसे ही जानकारी के लिए आप हमारे ब्लॉग को subscribe जरूर करें । हमारे साथ बने रहने के लिए आप सभी को धन्यवाद ,,,,,,,,



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