Tuesday, August 29, 2023

पाताल लोक जाने का रास्ता कहां से है । पाताल लोक जाने का रास्ता


पाताल यह शब्द सुनते ही हमारे मन में ख्याल आता है कि कहीं होगी दूर हमारी पृथ्वी के नीचे कोई ऐसी दुनिया जहां पर शायद दानव दैत्य ओर राक्षस रहते हैं। जहां पर इंसानों का आना मना है जहां पर तापमान शायद सूरज के बराबर ही है। जहां पर एक क्रूर राजा राज करता है और शायद मरने के बाद इंसानों को यहां भेज कर सजा दी जाती है। 

पाताल लोक जाने का रास्ता कहां से है । पाताल लोक जाने का रास्ता

मगर क्या यह सिर्फ हमारा ख्याल है या सच में ऐसी कोई दुनिया है जो हमारी दुनिया से अलग है ओर  पर और हम आपको इसके बारे में बताएंगे जिसके बारे में हमने सुना तो है मगर उसके होने को लेकर आज भी सवाल खड़े हो तो चली आपको लेकर चलते हैं। पृथ्वी के नीचे मौजूद पाताल लोक पर और वह सारे शक दूर करते हैं जिसमें कहा जाता है कि यह एक काल्पनिक जगह है जो अंत तक हमारे साथ बने रहिए ।


पाताल लोक कहते हैं । यह दुनिया है जो जमीन के नीचे है और जहां इंसानों का पहुंचना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। आपको बता दें। आज तक इंसान पृथ्वी में सिर्फ 8 मील की गहराई नाप पाया है। आणि हमने सिर्फ पृथ्वी को 8 मील तक ही जाना है जबकि अंतरिक्ष में हमने इतनी तरक्की हासिल कर ली है कि हम दूसरे ग्रह पर नई पृथ्वी बनाने की सोच रहे हैं। 


पाताल लोक जाने का रास्ता कहां से है । पाताल लोक जाने का रास्ता

अब जरा सोचिए इंसान को ब्रम्हांड का ज्ञान तो है लेकिन हम आज तक नहीं जान पाए कि पाताल लोक जिसका वर्णन पौराणिक कथाओं में कितनी बार हुआ है वो जगह है भी या नहीं कि हमारे पूर्वज सिर्फ अपनी कल्पनाओं में ही खो कर कुछ भी लिख देते थे या फिर इसका वास्तविकता से कोई संबंध है दोस्तो संबंध तो है। इनके अस्तित्व पूरी तरह से नहीं नकारा जा सकता। 


हमारी दुनिया में ऐसे कई जगह हैं जिनके नाम के आगे पाताल शब्द लगा हुआ है। जैसे पातालकोट, पातालपानी पातालदुर्ग , पाताल भैरवी , पटेल द्वार ओर 


देव लोक पाताल भुवनेश्वर अगर पाताल की दुनिया काल्पनिक है तो इन नामों का वजूद कैसे सामने आया क्योंकि दोस्तो पहले के जमाने में और आज भी जगहों का नाम रखा जाते हैं। उनका कोई ना कोई महत्वपूर्ण जरूर होता है। 


नर्वदा नदी को पाताल लोक कहा जाता है ? 

अब अगर पाताल जैसा शब्द दुनिया में है तो पाता नाम दुनिया होने की  कितने प्रतिशत Chances है। इसके साथ नर्मदा नदी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। उस नदी को भी पाता नदी कहा जाता है। कहते हैं कि नर्मदा नदी के अंदर कई ऐसे रहते हैं जो कभी खत्म नहीं। गलत दुनिया की तरफ इशारा करते हैं। 


कई लोगों का कहना है कि नदी और इसके यह विचित्र रास्ते पाताल लोक की तरफ जाते हैं। इसलिए स्थानीय लोग इस को पाताल नदी भी कहते हैं। इसके अलावा पाताल लोक तक पहुंचने के लिए ऐसे कई रास्ते समुद्र की गहराइयों में भी देखे गए हैं। हमारी धरती का 75% भाग पानी से ही गिरा हुआ है और चारों ओर पानी होने के कारण पाताल लोक होने के बारे में कल्पना करना। वैसे तो एक चुनौतीपूर्ण दावा है। 


पोराणिक  कथाओं के अनुसार पाताल लोक के बारे में क्या कहते है ? 

महातल ओर पाताल अब अगर आपका पौराणिक कथाओं ओर बिसावस नही है। तो रामायण भी एक पोराणिक  कथाओं ही है । जिसका सबूत राम सेतु है।  जो आज भी श्रीलंका और भारत के किनारो को जोड़कर ऐसे  तो सिर्फ कथा मानने वालों को सच्चाई का रास्ता दिखाता है। 


भारत मे पाताल लोक जाने का रास्ता कहाँ है ? 

चलिए यह तो फिर भी किताबों में लिखी एक गाथा है जिसको झूठ लाने वाले झुठला सकते हैं तो आइए अब आपको असल जिंदगी में मोहजूद पाताल लोक की सैर करवा देते हैं। एक ऐसी जगह जो भारत में ही मौजूद है और जहां से शुरू होता है। पाताल लोक जाने का रास्ता। 


राजस्थान में पाताल लोक जाने का रास्ता

यह जगह है। भारत के राजस्थान State  जोधपुर जिले में बताया जाता है कि जोधपुर में कई गुफाएं हैं जिनमें से 1 गुफाएं कुछ इस प्रकार से मिली है जिनके दूसरे शुरू को आज तक कोई नहीं खोज पाया है। अब आप जानते हैं कि दुनिया में जितने भी गुफाएं हैं।


चाहे कितनी ही बड़ी क्यों ना हो। उसका एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक का सफर तय किया जा सकता है या फिर दूसरे चोर का पता लग चुका है। मगर जोधपुर में गुफाओं की बस शुरुआत की हमें मिली है, अंत नहीं मिला। इसका अंत कहां पर है कि वैज्ञानिकों के लिए भी एक रहस्य बना हुआ है।


गुफ़्फ़ा के अंदर क्या है ? 

इसके अलावा  पिथौरागढ़ की गुफाओं में भी इस प्रकार के रहस्य छुपे हुए हैं। इसलिए इन्हें पाताल भुवनेश्वर गुफा ओं के नाम से जाना जाता है। इस अंधेरी गुफा में देवी-देवताओं की मूर्तियों के अलावा एक ऐसा खंबा है। जिसका आकर लगातार बढ़ता जा रहा है। 


अब 1 मिनट रुके और सोचिए आज तक के पेड़ पौधे इंसान जानवर यहां तक कि पहाड़ों को भी बढ़ते हुए देखा है और सुना है और एक खंभा जिसको कभी ना कभी किसी इंसान नहीं बनाया होगा। वह बढ़ता जा रहा है। यह तो किसी और ही बात का संकेत दे रहा है। 


अच्छा दोस्तों आप सब ने यह तो सुना ही होगा कि पाताल में अजीबो गरीब जानवर रहते हैं। चलिए इसको एक कल्पना ही मान लेते हैं कि वहां आधे जानवर और आधे मनुष्य रहते हैं। बड़े-बड़े त्या त्या कार हैवान हो, शैतान भी रहते हैं और साथ ही शेष नागिन का वर्णन विष्णु पुराण में भी किया गया है 


जिसमें बताया गया है कि वहां एक सर और 10 वर्ष से लेकर 100 और 1000 सिर वाले सांप भी रहते हैं। चलिए इन कल्पनाओ मैं थोड़ी असलियत शामिल कर ली जाए। आपको बता दें कि बंगाल की खाड़ी के पास है।


बंगाल की खाड़ी में पाताल लोक जाने का रस्ता है  ? 

एक नाग लोक के होने का रहस्य छुपा हुआ है। जी हां, यहां पर नाग लोक होने के पुख्ता सबूत मिले हैं। कहा जाता है कि यहां पर सिर्फ नाथ संप्रदाय ही रहता था और इस संप्रदाय का उल्लेख पुराणों में भी बताया गया है। इसके साथ ही पाताल लोक का उल्लेख आज से कई हजार साल पहले रामायण में भी किया गया है। 


हनुमान जी पाताल लोक कैसे गए थे?

रामायण के अनुसार जब भगवान राम को रावण ने अपने चंगुल में फंसा लिया था तो उनके भक्त हनुमान जी उनको वहां से छुड़ाने के लिए पाताल लोक पहुंचे थे। इस कथा की मानें तो पाताल लोक ठीक धरती के नीचे है और वहां तक पहुंचने के लिए हनुमान जी को 70 हजार योजन जिस को आम भाषा में कहें तो करीब 900000 किलोमीटर की गहराई तक जाना पड़ा था । 


एक मनुष्य के शरीर के लिए तो कहीं से भी मुमकिन नहीं है। यह तो रही कथा की बात अब इस तथ्य को सच साबित करने के लिए आपको बता दें कि अगर भारतीय श्रीलंका से सीधे नीचे की तरफ खुदाई करेंगे तो हम सीधा मध्य अमेरिका में पहुंच जाएंगे और जिस जगह पहुंचेंगे उस जगह का नाम Houndu राज जिसकी खोज हाल फिलहाल में ही साइंटिस्ट ने आधुनिक लाइटर तकनीकी से की है।


एस जगह को देखकर साफ कहा जा सकता है कि यहां पर किसी वानर का राज था क्योंकि यहां पर जितने भी मूर्तियां और हस्तकला ए मौजूद मिली है वह सब किसी न किसी वानर की है। लोगों का कहना है कि यहां पर रहने वाले लोग वानर यानी बंदरों की पूजा करते थे। हिंखोज के सामने आते ही कई विशेषज्ञों का मानना है।


कि यह वही पाताल है जिसको हनुमान जी खोजते - खोजते पर अपने भगवान राम जी के लिए पहुंचे थे। दोस्तों अब इतने सारे सबूतों के आधार पर आप यह तो मान ही सकते हैं कि पाताल लोक जैसी चीज कोई कल्पना तो नहीं है। मगर अगर अभी भी हल्का सा संदेह है। तो आये पोस्ट में थोड़ी और बची है। 


पाताल लोक किसे कहाँ जाता है ? 

उसमें आपका बच्चा कुछ संदेश भी दूर कर देते हैं। हम ऐसे बहुत से लोग एक पौराणिक कथा के बारे में जानते हैं। जहाँ  देवताओं ने दैत्यों का नाश कर अमृत पान किया था। उन्होंने तब अमृत पीकर उसका छोटा सा भाग जहां छुपाया था । उसको पाताल लोक ही कहा जाता है। 


ओर इस कथा के अनुसार यह भी जगह है जो पानी के चारों तरफ से घिरी हुई है।  मगर इसको बीचो-बीच अग्नि है और अग्नि भी सूरत के जितने तेज  ज्वाला वाली रागनी अपने स्थान से ज्यादा नहीं फैलती और उस तरल पदार्थ के अंदर ही रहती है। अब आपको बताए तो पृथ्वी के अंदर जितनी भी लेयर्स मौजूद है।


उनमें से सबसे अंदर वाली लेयर का नाम है। आउटक्लास जो कि तरल पदार्थ के रूप में मौजूद है और तरल पदार्थ के अंदर एक निकृष्ट मौजूद है। जिसको आग का गोला भी कहा जाता है और इसका  तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा है जो कि सूरज के ही बराबर है। 


अब आप कड़ी से कड़ी मिलाए तो देवी देवताओं वाला अमृत एक तरल पदार्थ के अंदर आग के गोले में पाताल के अंदर छुपाया गया है। इन सब से यह तो साफ है कि पाताल जैसी चीज कहीं ना कहीं हमारी पृथ्वी पर ही है। भले इसके होने के सबूत पुख्ता नहीं है। 


मगर इतने सबूत जरूर है जिससे एक नकारना भी बेवकूफी होगी तो यह थी हमारी पाताल की खोज अगर आपने भी हमारे साथ - साथ इस पाताल के सफर को तय करते समय इसके होने के सपूतों पर यकीन किया था 


तो comment box में जरूर बताये । ओर ऐसे ही हेरटिंग पोस्ट को लगातार पढ़ने के लिए हमारे blogg को subscribe जरूर कर ले। तो आज के लिए बस इतना ही उम्मीद करता हूं। कि ये जानाकरी आपको अच्छा लगा होगा । 


तो हमारे blog के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो का दिल से धन्यवाद ,,,

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