दोस्तों आज भी हम ऐसे समाज में जी रहे हैं जो आज भी पुरुष प्रधान है। आज भी जब लड़की का जन्म होता है तो अधिकतर घरों में मायूसी छा जाती है और मित्रों यह और कुछ नहीं बल्कि हम मनुष्यों की अज्ञानता है। लड़की को बोझ समझते हैं ।
परंतु आपको जानकर हैरानी होगी कि लड़की का जन्म हर किसी के घर में नहीं होता । बल्कि उसी के घर होता है जो भाग्यशाली होते हैं और अपने पुण्य कर्म अर्जित किए होते हैं और आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि भगवान कैसे घरों को लड़की का जन्म देने के लिए चुनते हैं और वह कौन से पुण्य कर्म है जिसकी वजह से कोई भी इंसान बेटी का मां या बाप बनता है।
बेटी किसके घर में पैदा होती है गरुड़ पुराण
दोस्तों भगवान श्री कृष्ण से अर्जुन पूछते हैं कि माधव किन कर्मों के कारण किसी के घर पुत्री धन की प्राप्ति होती है। अर्थात कैसे घरों में बेटियों का जन्म होता है तब श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहते हैं। हे पार्थ अगर किसी के घर बैठे ही भाग्य अच्छे होते हैं तो बिटिया सौभाग्य से और जो भी स्त्री या पुरुष अपने पूर्व जन्म में पुण्य कार्य वर्जित किए होते हैं, उन्हें ही एक बेटी के माता-पिता होने का स्वभाग प्राप्त होता है ।
बेटियों को जन्म के लिए उन्हीं घरों को चुना जाता है जो बेटियों का भार सहन कर सके क्योंकि तीनों लोगों में स्त्री अर्थात बेटियां ही ऐसी होती है जिसका भार हर कोई सहन नहीं कर सकता। वह बेटियां ही होती है जो इस सृष्टि को निरंतर चलाती है। मां होने के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देते है । हे अर्जुन जिस दिन इस सृष्टि में बेटियो का जन्म लेना रुक जायेगा ।
उस दिन धीरे-धीरे इस सृष्टि का अंत हो जाएगा। मित्रों को भगवान श्री कृष्ण के इन बातों पर गौर किया जाए तो उनका कहा बिल्कुल सही है क्योंकि बेटियां अगर नहीं होंगी तो किसी का भी वंश आगे नहीं बढ़ सकता। दोस्तों आपने भी कई लोगों को कहते सुना होगा। कि जिस घर में बेटी का जन्म होता है। वह घर स्वर्ग के समान होता है ।
क्योंकि बेटा तो केवल एक कुल को रोशन करता है। बेटियां तो दो कुलों को रोशन करती हैं । माता पिता के घर वह बेटी के रूप में अपने उत्तर दायित्व का निर्वहन करती है तो ससुराल आकर एक बहू के रूप में सारे कर्तव्यों का पालन करती है।
लड़कियां पिंडदान कर सकती है ?
दोस्तों आज कल आप सुनती ही हो बेटियां वो परिवार में किसी के मर जाने पर उसका पिंडदान नही कर सकती है । लेकिन यह बिल्कुल भी सही नहीं है क्योंकि रामायण में बताया गया है कि प्रभु श्री राम के पिता राजा दशरथ की मृत्यु हो गई तो माता सीता अर्थात राजा दशरथ की बहू ने भी उनका पिंडदान किया था ।
जिससे उन्हें जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिल गई थी। इतना ही नहीं हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि बेटियां भी अपने पिता के नाम का पिंडदान कर सकती है। वहीं अगर ससुराल पक्ष में कोई पुरुष नहीं है तो इस स्थिति में बहू भी पिंडदान कर सकती हैं।
इसलिए मित्रों वह लोग बहुत किस्मत वाले होते हैं जिनके घर में बेटी जन्म लेती है। वही वह प्रबल किस्मत के होते हैं जिनके घर एक से ज्यादा बेटियां होती हैं। शायद यही कारण है कि बेटियों को लक्ष्मी कहां गया है। दोस्तों बहुत से लोगों की सोच यही होती है। बेटी है तो बिना समय गवाएं और इस पर पढ़ाई में पैसे लगाएं ।
लड़कियां जन्म क्यों लेती है ?
गरुड़ पुराण में बताया गया है। कि जब आत्मा को नया जन्म मिलता है तब आत्मा को शरीर के अनुसार व्यवहार में चलकर अपने कर्म करने होते हैं। शरीर के जरिए कर्म करके ही एक आत्मा अपनी जन्म के उद्देश को सार्थक भी बना सकती है और निरर्थक भी यदि कोई पुरुष महिलाओं का आचरण करता है।
स्वभाव में महिलाओं वाले याद ले आता है या वही काम करना चाहता है। जो एक महिला को करना चाहिए तो ऐसे ही पुरुषों का आत्मा स्त्री का शरीर धारण करती है। वहीं गरुड़ पुराण में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के अंतिम चरण में किसी स्त्री को याद करते हुए प्राण त्याग करता है । तो वह अगले जन्म स्त्री के रूप में जन्म लेता है । वही अंतिम चरण में भगवान का नाम लेता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तो उम्मीद करता हूं कि आप ये भली भांति समझ गए होगे । कि स्त्री का जन्म क्यों मिलता है । साथ ही बेटियों का जन्म कोन से घर में होता है । आज के लिए इतना ही हमारे ब्लॉग के साथ अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Garur puran me muslim k bare me kaise likha gya
ReplyDeleteक्योंकि बेटा तो सिर्फ एक कुल को रोशन करता है। बेटियां तो दो कुलों को रोशन करती हैं। माता-पिता के घर में वह बेटी के रूप में अपनी उत्तरदायित्व का दायित्व निभाती है तो मुस्लिम एक बहू के रूप में सारी जिम्मेदारी का पालन करती है।
Is article me galat likha gya hai..
ReplyDeleteJo hindu dharm ko thes pahuchane ka kam hai ye prayag verma kon hai madarchod galat likhta hai.
Jo galat likha h copy paste karke comment ko post kiya hu
क्योंकि बेटा तो सिर्फ एक कुल को रोशन करता है। बेटियां तो दो कुलों को रोशन करती हैं। माता-पिता के घर में वह बेटी के रूप में अपनी उत्तरदायित्व का दायित्व निभाती है तो मुस्लिम एक बहू के रूप में सारी जिम्मेदारी का पालन करती है।