Thursday, June 22, 2023

अदालत में गीता की कसम क्यों खिलाई जाती है?

 

मित्रों आपने देखा या सुना होगा कि जब भी किसी को अदालत में पेश किया जाता है तो उसके कुछ भी बोलने या कहने से पहले उसे भगवत गीता की शपथ दिलाई जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है । हिंदू धर्म ग्रंथ में अलावा भी कई पवित्र पुराण और भेद होते हुए भी गीता की शपथ क्यों जलाई जाती है। 

अदालत में गीता की कसम क्यों खिलाई जाती है?

अदालत में गीता की कसम क्यों खिलाई जाती है?

हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार भगवान विष्णु अर्थात भगवान श्री हरि मयूर नाम के दयतय के वध करने के बाद अपनी सेस की शैया पर आंखें मूंदकर लेते हुए थे और माता लक्ष्मी उनके चरण दबा रही थी। तभी माता लक्ष्मी ने देखा कि श्री हरि मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं। 


यह देख देवी लक्ष्मी के मन में कई सवाल उठने लगे, लेकिन वह श्री हरि को ध्यान से जगाना नहीं चाहती थे । परंतु जब काफी देर तक श्रीहरि मुस्कुराते रहें तो देवी लक्ष्मी से रहा नहीं गया और उन्होंने अपने स्वामी से पूछ ही लिया। हे स्वामी आप तो सारे जगत के पालनहार है। फिर भी सारे जगत की ओर मुख मोड़ कर यहां शीर सागर में सोए हुए हैं। इसका क्या कारण है ।


देवी लक्ष्मी की बातें सुनकर श्रीहरि मुस्कुराते हुए बोले। हे देवी मैं सो नहीं रहा हूं बल्कि अपने अंतर्दृष्टि से अपनी उस दिव्य स्वरूप का साक्षात्कार कर रहा हूं जिसका योगी जन अपने दिव्य दृष्टि से दर्शन करते हैं। हे देवी मेरे जो शक्ति के अधीन यह पूरी सृष्टि है। उसका जब मैं अपने अंतर्मन से दर्शन करता हूं तो आपको ऐसा लगता है कि मैं सो रहा हूं । लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। 


भगवान श्री हरि की बातें सुनकर देवी मन ही मन सोचने लगे कि आखिर उन्होंने क्या कहा क्योंकि देवी लक्ष्मी को अपने स्वामी की पूरी बातें समझ में नही आई । इसीलिए उन्होंने पुनः भगवान विष्णु से प्रश्न किया हे स्वामी इसका अर्थ ये हुआ कि आपके इस शक्ति के अलावा भी कोई शक्ति है जिसका आप ध्यान करते हैं ।


गीता का ज्ञान ? 

तब भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी से बोले। हे देवी मेरी शक्ति को समझने के लिए आपदा के रहस्यों को समझना होगा। मैंने कृष्णावतार में जो अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था, उसके समस्त अध्याय में मेरे उस शरीर के समर्थ अंग हैं, जिनकी आप दिन सेवा करती हैं कि गीता के 1 से लेकर 5 वीं अध्याय तक मेरे पांच मुख ओं का वर्णन है।


अध्याय 6 से अध्याय 15 तक 10 भुजा ओं का वर्णन है। 16 अध्याय में मेरा उधर अर्थात में पीट समाहित जहां सुधा शांत होती है और अंतिम के 2 अध्याय अर्थात 17वें और 18वें अध्याय में मेरे दोनों चरण कमल का वर्णन है। अपने स्वामी के मुख से गीता के बारे में ऐसी बातें सुनकर माता लक्ष्मी उलचन में पड़ गई । 


उनका मुख्य संख्या से भर गया। यह देख भगवान श्रीहरि समझ गए कि देवी लक्ष्मी को मेरी बातें पूर्णतया समझ में नहीं आई है। फिर भी उन्होंने कहा देवी जो भी मनुष्य गीता के 1 अध्याय का अध्याय प्रतिदिन पड़ता है वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यह सुन माता लक्ष्मी बोलि है स्वामी आपकी यह बातें मुझे और भी उलझाती जा रही है।


कोर्ट में गीता की कसम क्यों खाते हैं?

मनुष्य गीता का प्रथम अध्याय पड़ता है या सुनता है उसे भवसागर पार करने में कोई कठिनाई नहीं होती और मित्रों जैसा कि आपने ऊपर देखा कि गीता के सभी अध्यायों में भगवान विष्णु के सभी अंग समाहित है और ऐसे में जो भी मनुष्य गीता को स्पर्श करता है ।


इसका अर्थ यह हुआ कि वह श्री नारायण के सभी अंगो का स्पर्श कर रहा है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि जो भी गीता को स्पर्श कर कोई बात बोलता है । वो सही बोलेगा और यही कारण है कि अदालत में गीता की सौगंध दिलाई जाती है । 


सो अब आप ये समझ गए होगे कि क्यों कोर्ट में गीता पर हाथ रख कर सपथ दिलाई जाती है । वैसे गीता पर हाथ रख कोई झूठ बोलता है । तो उसे भगवान कठोर आनी नर्ग में भेज देता है । आशा करता हूं जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । धन्यवाद ,,,,,,,,,,



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