Monday, October 23, 2023

दुश्मन बहुत ज्यादा परेशान करे तो क्या करें?

 

शत्रु से बचने और दुश्मन को मात देने के लिए किन बातों को ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इससे जुड़े कई उपाय आचार्य चाणक्य ने बताएं है  । अगर व्यक्ति कुछ बातों का ध्यान रखते हुए कुछ बातों को नहीं बोलता तो दुश्मन पर विजय हासिल कर सकते हैं । इस चीज को जानने के लिए आप हमारे आर्टिकल को अंत तक जरुर पढ़े । 

दुश्मन बहुत ज्यादा परेशान करे तो क्या करें?


दुश्मन बहुत ज्यादा परेशान करे तो क्या करें?

एक सफल व्यक्ति के ही दुश्मन नहीं होते बल्कि ऐसे लोगों के भी कई दुश्मन होते हैं जो सफलता की राह पर आगे बढ़ते हैं। जाहिर है। कई बार यह शत्रु नुकसान भी पहुंचा देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने शत्रुओं से खुद को सुरक्षित रखें। महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने शत्रु से बचने और शत्रु को परास्त करने के कई उपाय बताए तो आइए जानते हैं। उन उपायों के बारे में 


आचार्य चाणक्य द्वारा शत्रु पर विजय प्राप्त करने का तरीका 

अचार्य चाणक्य के अनुसार शत्रु को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए और उसका मुकाबला करने के लिए एक बेहतर योजना जरूर बनानी चाहिए। ध्यान रहे अपनी योजनाओं की चर्चा हर किसी से ना करें और इस भरोसे मंद व्यक्तियों के साथ ही चर्चा करनी चाहिए। यदि आप योजना बनाने में सावधानी नहीं रखते तो शत्रु आपके इस लापरवाही का फायदा उठाकर आपके कार्यों में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। 


चाणक्य नीति शास्त्र कहते हैं कि इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दुश्मन की हमेशा आप पर नज़र रहती है । वह आप की कमियों को ढूंढता रहता है इसलिए हमेशा सावधान रहना चाहिए और ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे शत्रु को आप पर विजय प्राप्त करने का मौका मिल जाए। 


नशे जैसी बुरी आदतों से हर व्यक्ति को दूर रहना चाहिए। नशा करने वालों को शत्रु आसानी से हरा देते नशे में धुत व्यक्ति अपनी बुद्धि और विवेक का इस तरह उपयोग नहीं कर पाता और ऐसे में वह ऐसी गलती कर बैठता है जिसका फायदा आपके शत्रु उठाते हैं। चाणक्य नीति कहती है कि शत्रु को परास्त करने के लिए 2 बातों का ध्यान रखते हुए अपने तन और मन को स्थिर रखना चाहिए ताकि आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें ।


जब तक आप शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत नहीं होंगे। दुश्मन आप पर हमला करने के लिए हर मौके का इस्तेमाल करेगा। दिमाग को बेहतर रखने के लिए ज्ञान प्राप्त करें। चाणक्य नीति के अनुसार जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी संयम से काम लेता है तो उसका शत्रु कुछ नहीं बिगाड़ पाता। अगर आप संयमित रहेंगे तो दुश्मन को भ्रमित करने में कामयाबी पा सकते हैं। 


आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बुराई से दूर रहना चाहिए। यदि आप जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करना चाहते और शत्रु को परास्त करना चाहते हैं तो ना तो किसी की बुराई करें और ना ही किसी की बुराई सुने बुराई करने और सुनने से भी हानि होती है और शत्रु को बल मिलता है। इसीलिए इस आदत को छोड़ देना चाहिए । 


आचार्य चाणक्य की नीति कहती है कि मानव जीवन में हर रिश्ते की एक सीमा होती है। इस सीमा को कभी भी पार नहीं करना चाहिए। आपकी इस आदत का फायदा दुश्मन भी उठा सकते हैं। शत्रु हमेशा ऐसे लोगों को अपने साथ मिलाने को तैयार रहते हैं जो आप से नाराज हैं। इसलिए रिश्तो में हमेशा अनुशासन बनाए रखना बेहद जरूरी है। 


अपने दुश्मन को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपने दुश्मन को कभी कम नहीं आंकना चाहिए। उसे हराने के लिए उसकी ताकत का सही अंदाजा होना बहुत जरूरी है। तभी आप उसकी कमजोर नस पर वार करके आसानी से जीत हासिल कर सकते हैं। शत्रु कितना भी शक्तिशाली क्यों ना घबराना नहीं चाहिए ना ही उसे देखकर हिम्मत हार नहीं चाहिए। 


अपने साहस और बुद्धि का उपयोग करके अपनी ताकत बढ़ाए शत्रु का सामना करने और उसे हराने के लिए खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी है। क्योंकि शत्रु कभी ना कभी गलती करेगा और आप उसका फायदा उठाकर जीत जाएंगे। अगर आप चाणक्य की नीति पर चलते हैं तो सबसे पहले दुश्मन के हथियार का पता लगाएं। 


अपने दुश्मन के कमजोरी का पता लगाएं 

शत्रु का हथियार आपका सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है। यह जानने के बाद आप उसे भड़काने की कोशिश कर सकते हैं ताकि वह अपना मानसिक संतुलन खो दें। आप दुश्मन से आधी लड़ाई वही जीत जाते हैं चाणक्य ने लिखा है । रुख , साप , और शत्रु 


इन तीनों को कभी भी घायल करके नहीं छोड़ना चाहिए । इन्हे घायल छोड़ना घातक होता है। अगर बीमारी का पूरी तरह इलाज न किया जाए तो यह कभी भी दोबारा हो सकती है। अगर आप को अधूरा छोड़ दिया जाए तो वह घायल अवस्था में पहले से ज्यादा खतरनाक हो जाता है। इसी तरह शत्रु घायल होकर रह जाता है तो वह अपनी पराजय के कारण बदले की आग में जलता रहता है और फिर वही शत्रु मौका मिलते ही दुगनी ताकत से आक्रमण कर देता है। 


इसलिए हमेशा दुश्मन से इस तरह लड़ना चाहिए। की फिर कभी ना उठ सके। क्रोध के कारण जीती हुई लड़ाई भी हार जाते हैं क्योंकि क्रोधी व्यक्ति सोचने समझने की क्षमता खो देता है। इसलिए अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें और शत्रु की हर चाल पर नजर बनाए रखें। चाणक्य नीति में बताया गया है कि अगर कोई आपका अपमान कर रहा है तो गुस्सा जाहिर करने के बजाय आप को चुप रहना चाहिए। 


चाणक्य कहते हैं कि चुप रहने वाले व्यक्ति के स्वभाव और कमजोरियों का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल होता है। अफसाना दुश्मन का सबसे घातक और खतरनाक हथियार होता है और हमारा दुश्मन हमेशा हमें भड़काने की कोशिश करता है ताकि हम गुस्सा हो जाए और कोई ऐसा कदम उठा ले जिसका फायदा उठा सकें । 


दुश्मन इस चाल से बचने के लिए चाणक्य हमे सलाह देते हैं कि जब आपका दुश्मन आप को भड़काने की कोशिश करें तो आपको अपना गुस्सा अपने अंदर उसी तरह समेट लेना चाहिए। जैसे कछुआ अपने शरीर को खोल के अंदर खींच लेता है। चाणक्य ने कहा है कि जो लोग आपके काम की सराहना करते हैं, आप का मनोबल बढ़ाते हैं। आपको अच्छी सलाह देते हैं ।


और आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। उन लोग और उनकी सभी बातें ध्यान से सुने और उनका पालन करें। लेकिन जो लोग आपका बुरा चाहते हैं, आपके बारे में बुरा बोलते हैं। आप का मनोबल तोड़ने की कोशिश करते हैं और आपके अंदर नकारात्मक बातें बैठाने का प्रयास करते हैं उनके प्रति आपको बहरा हो जाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति आपसे कहे कि आप इस काम को नहीं कर पाएंगे तो उसकी बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देना चाहिए। 


किसी दूसरे के बातों को कभी नहीं सुनना चाहिए 

आपको उन्हें यह दिखाना चाहिए उनकी बातों से आपको कोई फर्क नहीं पड़ता है। दरअसल खुद की काबिलियत पर शक करने वाला शख्स दूसरे लोगों को ऐसी बातें बताता है कि आप ऐसा कभी नहीं कर पाएंगे। लेकिन आपको इनकी बातों पर ध्यान नहीं देकर अपने अंदर की क्षमता को बढ़ाना है । हर इंसान के जीवन में कोई ना कोई ऐसा शुभचिंतक जरूर होता है और वह हर मौके पर आपको डिमोटिवेट अर्थात निराश करने की कोशिश करता है। 


अब आप उनकी बातों को सुनकर हार मान ले या उनकी बातों को नजरअंदाज कर आप सफलता की ऊंचाइयों को छू ले और उन्हें मुंहतोड़ जवाब दें। यह दोनों चीजें आप पर डिपेंड करती है। दुष्ट व्यक्ति का स्वभाव कभी नहीं बदलता। चाहे आप उसके साथ कितना भी अच्छा व्यवहार कर ले। चाणक्य कहते हैं कि इस दुनिया में एक दुष्ट व्यक्ति से ज्यादा जहरीला कोई नहीं होता। 


दुष्ट व्यक्ति पर भरोसा कभी नही करना चाहिए 

यह सच्चाई है कि सांप का जहर उसके दांत में होता है और बिच्छू का जहर उसकी पूंछ में लेकिन दुष्ट व्यक्ति का कण-कण विश से भरा होता है। कभी भी किसी दोस्त पर भरोसा करना बहुत बड़ी गलती है। दरअसल एक दुष्ट व्यक्ति कभी किसी का मित्र नहीं हो सकता। इसीलिए चाणक्य दुष्ट लोगों के साथ ठीक वैसा ही व्यवहार करने को कहते हैं जैसा कि एक जहरीले सांप के साथ किया जाता है। 


चाणक्य कहते हैं। अगर हाथ में जहर फैल जाए तो उसे काट देना ही बेहतर है क्योंकि अगर उस जहरीले हाथ को नहीं काटा गया तो जहर पूरे शरीर में फैल कर शरीर के दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है बल्कि इससे उस व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। चाणक्य कहना चाहते हैं कि अगर आपको किसी ऐसे शख्स के बारे में पता चल जाए जो आपके बेहद करीबी है ।


दुश्मन का पहचान कैसे करें 

लेकिन वह अंदर ही अंदर आपका बुरा चाहता है। तब आपको ऐसे में तुरंत उस शख्स से दूरी बना ली नहीं चाहिए। यही वह दुश्मन है जो आपको सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। यह दुश्मन आपका भाई दोस्त रिश्तेदार या यहां तक कि आपकी पत्नी भी हो सकती है। दरअसल ऐसे लोगों उपर से दिखाते हैं कि वह आपके रिश्तेदार और शुभचिंतक है। 


लेकिन अंदर ही अंदर वह आपसे बहुत नफरत करते हैं और इससे पहले कि वह आपको इस नफरत की आग में जलाएं आपको ऐसे लोगों को अपने से दूर कर देना चाहिए। चाणक्य कहते हैं कि आपको अपने दुश्मन से कभी भी नफरत नहीं करनी चाहिए क्योंकि जब इंसान किसी से नफरत करता है तो उसके बारे में सोचने और समझने की क्षमता खो देता है और ऐसे में उसे अपने दुश्मन की कमजोरियां ही नजर आती है। 


जबकि उसे ताकत की परवाह नहीं होती। इसीलिए अपने दुश्मन को हमेशा दोस्त की नजर से देखना चाहिए। उसके हर बात की पूरी जानकारी रखनी चाहिए ताकि आप उसे हर तरफ से घेर सके। आप उस पर जब हमला करें तब उससे बचने का कोई रास्ता ना मिले। ऐसे में युद्ध जीतने की संभावना काफी बढ़ जाती है। 


आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपने दुश्मन पर पहला हमला कभी भी हथियारों से नहीं करना चाहिए। सबसे पहले आपको अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके दुश्मन को अपने जाल और कूटनीति में फसाना चाहिए। किसी शत्रु को कमजोर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसे उन लोगों से अलग कर दिया जाए जो उसकी सबसे बड़ी ताकत है। फिर जब आपको लगे कि आपका शत्रु अब अकेला होकर कमजोर हो गया है ।


तो आप को पूरी ताकत से उस पर हमला करना चाहिए क्योंकि ऐसे में आपका एक हमला आपके दुश्मन को हमेशा के लिए खत्म कर देगा और आप को कम से कम हानि होगी। हर इंसान के लिए जरूरी है कि वह सच बोले और जो कुछ भी कहना हो, सीधे मुंह पर ही कहे जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की बुराइयों और कमजोरियों के बारे में बात करता है तो ऐसा करके वह बिना किसी कारण के लोगों को अपना दुश्मन बना लेता है। 


क्योंकि जब आप किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की बुराईयों और कमजोरियों के बारे में बात करते हैं और किसी तरह से व्यक्ति को पता चल जाता है कि आप उसकी पीठ पीछे उसकी बुराई कर रहे हैं तो वह आप से नफरत करने लगता है और इस तरह ना चाहते हुए भी आप अपने लिए एक नया दुश्मन बना लेते हैं। इसीलिए अगर आपको लगता है कि कोई व्यक्ति कुछ गलत कर रहा है या किसी व्यक्ति में कोई कमी है तो आप कोई बात किसी और से कहने के बजाय उस व्यक्ति के मुंह पर साफ-साफ बोल देनी चाहिए



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