Monday, July 17, 2023

मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता है

 

सिंदूर शब्द सुनते ही सबसे पहले दो दृश्य आंखों के सामने उपस्थित होने लगते हैं। एक स्त्री की मांग और दूसरा लाल या पीला रंग, यह लाल रंग, एक स्त्री की खुशियां, ताकत सुंदरता आदि से सीधे जुड़ा है। हजारों हजार वर्षों से यह रंग विवाहित स्त्री की पहचान और उसके सामाजिक तत्व का पर्याय बना हुआ है। 

मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता है

मांग में सिंदूर क्यों लगाया जाता है

एक दौर ऐसा भी आया जब इसे दकियानुशी और व्यथित मान लिया गया जिससे सिर्फ रीति रिवाज मानने वाली स्त्रियां ही लगाती है, लेकिन देखा जाए तो इसका चलन कम जरुर  हुआ था, मगर खत्म कभी नहीं हुआ। अब हर तबके की स्त्रियां लगाती हैं। किसी के लिए यह स्वास्थ्य समृद्धि और मानसिक ताकत से जुड़ा है ।


तो वही सिलेब्रिटीज के लिए यह एक फैशन स्टेटमेंट बन चुका है । दुसरी और एक आम स्त्री के लिए यह एक अनिवार्य परंपरा है। जेसे उसे हर हाल में निभाना है। लेकिन क्यों लगाते हैं? स्त्रियां सिंदूर आइए जानते हैं आज की इस पोस्ट में । 


स्त्री मांग में सिंदूर क्यों लगाती है 

सिंदूर लगाने या सिन्दूर दान का इतिहास लगभग 5000 साल पहले का माना जाता है। धार्मिक और पौराणिक कथाओं में भी इसका वर्णन मिलता है जिसके अनुसार देवी माता पार्वती और मां सीता भी सिंदूर से मांग भारती थी। ऐसा कहा जाता है कि पार्वती अपने पति शिवजी को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए सिंदूर लगाती थी। 


मां सीता अपने पति राम की लंबी उम्र की कामना तथा मन की खुशी के लिए सिंदूर लगाती थी। महाभारत महाकाव्य में द्रौपदी नफरत और निराशा में अपने माथे का सिंदूर पोछ देती थी। एक अन्य मान्यता भी है कि लक्ष्मी का पृथ्वी पर पांच स्थानों पर वास है। इनमें से एक स्थान सिर फिर भी है। 


इसीलिए विवाहित महिलाएं मांग में सिंदूर भर्ती हैं ताकि उनके घर में लक्ष्मी का वास हो और सुख समृद्धि बनी रहे। सिन्दूर का चलन भले ही पौराणिक समय से रहा हो लेकिन तब से आज के आधुनिक युग तक इसका सबसे बड़ा महत्व एक स्त्री के लिए उसके पति की लंबी उम्र की कामना और विवाहित होने के दर्जे से ही है ।


क्या लड़किया भी सिंदूर लगा सकती है 

जब एक लड़की की मांग में सिंदूर भर जाता है तो उसकी एक अलग सामाजिक पहचान कायम हो जाती है। अतः सिंदूर स्त्रियां विवाह के बाद ही लगा सकते हैं। विवाह एक पवित्र बंधन है। इस पवित्र बंधन में बनने से पहले कई रस में संपन्न होते हैं। इनमें से सबसे अहम सिन्दूर दान है। 


हिंदू समाज में जब एक लड़की की शादी होती है तो उसकी मांग में सिंदूर भरा जाता है। यह सिंदूर पति भरता है। वहीं कई कई जगहों में पति की मां यानी विवाहिता की सास भी अपनी बहू की मांग भर्ती है। इस प्रकार जो पहचान बनती है, उसका अटूट संबंध पति से होता है। मान्यता है कि विवाहित स्त्री जितनी लंबी मांग भरती है । पति की आयु भी इतनी लंबी होती है। 


इसीलिए ज्यादातर महिलाएं मांग भर कर सिंदूर लगाते हैं। सिन्दूर का संबंध जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना और अच्छे स्वास्थ्य के साथ ही पत्नी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ भी है। मांग में सिंदूर भर जाने के बाद एक स्त्री का नया जन्म होता है। इस नए जीवन के साथ उसको कई नए जिमेदारिया और दायित्व विरासत में मिलते हैं। जीवन की इस नई पारी में उसको खुशियों के साथ-साथ मानसिक तनाव भी मिलता है। 


स्त्रियां माथे पर ही सिंदूर क्यों लगाती है 

कहते हैं कि सिंदूर तनाव को भी कम करता है। लाल रंग, शक्ति और स्फूर्ति का भी परिचायक माना जाता है। अतः इस ताकत का एहसास होता है। ज्योतिष के अनुसार मेष राशि का स्थान माथे पर माना जाता है जिसका स्वामी मंगल है। मंगल का रंग सिंदूरी है, जिसे शुभ मानते हैं। 


इसे शुभ की कामना के लिए स्त्रियां माथे पर सिंदूर सजाते हैं। आपको बता दें कि भगवान हनुमान की पूजा सिन्दूर से की जाती है। उनके शरीर पर यही लाल सिंदूर लगाया जाता है। मंदिरों में बहुत से देवियों को सिंदूर लगाया जाता है। हमारे देश में कई पर्व है जिनमें सिंदूरदान की परंपरा रही है छठ, पूजा, नवरात्रि, तीज, करवा, चौथ आदि त्योहारों स्त्रियों की मांग में सिंदूर भरा जाता है। 


छठ पूजा में तो स्त्रियां नाक से लेकर सिर तक लंबा से दूर लगाते हैं। मान्यता है कि इससे पति की आयु लंबी होती है और सुख समृद्धि बढ़ती है। छठ पर्व पर स्त्रिया पीला सिंदूर लगाती हैं। 


सिंदूर कैसे बनता है 

सिंदूर दो रंग का और दो तरह का होता है। लाल और पीला सिंदूर यह अलग-अलग अवसरों पर उपयोग में लाया जाता है। आजकल संधारित सिंदूर अधिक जिसमें पारा या शीशा होता है, इसमें सिद्धटिक दाई और सल्फेट भी मिलाया जाता है जो शरीर के लिए नुकसानदायक है। इससे बाल झड़ने लगते हैं। त्वचा में जलन होती है और कैंसर जैसी जानलेवा रोग का भी खतरा बढ़ जाता है। बड़ी-बड़ी कंपनियां सिंदुरिया कुमकुम बनाने में जो धातु में और रसायन इस्तेमाल करती हैं ।

मांग में सिंदूर किस दिन नहीं लगाना चाहिए  पति से सिंदूर लगाना चाहिए कि नहीं  पीला सिंदूर किस दिन लगाना चाहिए


उनका खुलासा नहीं करती । आरोट सफेद पथर जिन्नात फिर उस में नकली लाल पीला या नारंगी रंग मिलाकर संस्थापक सिंदूर बनाकर बाजार में बेच दिया जाता है। वही प्राकृतिक और ऑर्गेनिक तरीके से तैयार सिंदूर का कोई कुप्रभाव नहीं होता। 


कोण सा सिंदूर लगाना चाहिए 

यह हल्दी फिटकरी सुहागा और नींबू के रस से घर पर भी तैयार किया जा सकता है। आजकल तरल यानी कि लिक्विड सिंदूर भी आने लगा है। लाल या पीला सिंदूर सिंदूर दान एक परंपरा है। एक विश्वास है। एक पहचान है और पत्नी की कामनाओं की अभिव्यक्ति भी है। ऐसी मान्यता है कि माता सती पार्वती की शक्ति और ऊर्जा लाल रंग से व्यक्त हुई है। 

मांग में सिंदूर किस दिन नहीं लगाना चाहिए  पति से सिंदूर लगाना चाहिए कि नहीं  पीला सिंदूर किस दिन लगाना चाहिए


इसीलिए अधिकतर स्त्रियां लाल रंग का सिंदूर लगाती हैं, जबकि विवाह में पीले सिंदूर का भी चलन है। छठ पूजा में तो पीले रंग का ही सिंदूर इस्तेमाल होता है। इस पर पर स्त्रीया लंबा सिंदूर लगाते हैं। नवरात्रि में आखिरी दिन में स्त्रियाआ पंडाल में विराजमान देवी दुर्गा को भी सिंदूर लगाती है। इसे सिन्दूर खिला कहा जाता है। कुछ समय पहले तक वर्षों पुराने इस परंपरा में केवल विवाहित स्त्रियां ही भाग लेती थी ।


एक चुटकी सिंदूर का कीमत क्या है 

जिसमें लाल रंग की साड़ी पहनकर माथे पर एक दूसरे को सिंदूर लगाया जाता था। हालांकि अब सिंदूर खेला में सभी महिलाएं हिस्सा लेती हैं। यहां पर भी सिंदूर खेला। स्त्री की एक सामाजिक पहचान से जुड़ा हुआ है। एक चुटकी सिंदूर की कीमत कोई नहीं जान सकता ना रमेश बाबू और ना ही और कोई क्योंकि एक चुटकी सिंदूर औरतों के लिए हकीकत में बदला एक सपना है। 


एक ताकत है, एक विश्वास है। एक परंपरा है और सौभाग्य है। एक रिवाज है और सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह एक नारी की पहचान है। एक सम्मान है। वैज्ञानिक महत्व, पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अलावा कुछ अन्य मनायतए भी हैं, जिनके आधार पर सिंदूर का प्रचलन सदियों से चला आ रहा है इनका संबंध मन और शरीर से है शरीर के जिस हिस्से यानी सिर पर सिंदूर लगाया जाता है, वह बहुत ही कोमल होता है। 


इस स्थान को ब्रह्मरंध्र कहते हैं। सिंदूर में पारा होता है। जो एक दवा का काम करता है। यह रक्तचाप यानी कि ब्लड प्रेशर को नियंत्रित में रखता है। जिससे तनाव और अनिद्रा दूर भागते हैं। साथी ही ये चेहरे पर झुरिया भी नहीं पढ़ने देता है। 


वास्तु के अनुसार सिंदूर 

आपने देखा होगा कि कुछ लोग अपने दरवाजे पर सरसों का तेल और सिंदूर का टीका लगाकर रखते हैं। खासतौर पर दिवाली के दिन तो जरूर ही तेल और सिंदूर लगाते हैं। क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण वास्तु विज्ञान के अनुसार दरवाजे पर सिंदूर और तेल लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है।


यह घर में मौजूद वास्तु दोष को भी दूर करने में कारगर माना जाता है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से दरवाजे पर तेल लगाने से दरवाजा लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। इसीलिए दरवाजे पर सिंदूर लगाने की परंपरा रही है। 


तो दोस्तो उम्मीद करता हू कि आपने ये समझ गया होगा । की सिंदूर क्यों लगाते हैं । और सिन्दूर की कीमत क्या है । आज के लिए इतना ही हमारे ब्लॉग के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,



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