Sunday, April 30, 2023

कौन सा कर्म करने से स्त्री का जन्म मिलता है

 

गरुड़ पुराण में जन्म मरण से लेकर अगले जन्म तक की तमाम बातों का जिक्र किया गया है। यानी कि किन किन तिथियों में एक पुरुष को अगले जन्म में स्त्री का शरीर धारण करना पड़ता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि आत्मा अजर और अमर है जिस तरह से व्यक्ति अपने वस्त्रों को बदलता है, आत्मा भी उसी तरह से नया जन्म लेकर अपना शरीर बदलती है। 

कौन सा कर्म करने से स्त्री का जन्म मिलता है

यह सिलसिला तब तक चलता रहता है जब तक उस आत्मा को मुक्ति ना मिल जाए। गरुड़ पुराण में भी आत्मा के बार-बार जन्म लेने का जिक्र सुनने को मिलता है। लेकिन ऐसे में कई बार मन में एक प्रश्न आता है कि आत्मा का तो कोई जेंडर नहीं है। फिर जन्म के समय कैसे निर्धारित होता होगा कि कौन सी आत्मा को पुरुष का शरीर मिलेगा और कौन सी आत्मा को स्त्री का । 


इसके अलावा जो आत्मा वर्तमान में पुरूष शरीर में है। वह क्या अगले जन्म में भी पुरुष ही बनेगी यह उसे स्त्री का शरीर भी मिल सकता है। इन सभी सवालों के जवाब भी गरुड़ पुराण में देखने को मिलते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार जब आत्मा को नया जन्म लेता है तो जन्म पुरुष का हो या स्त्री का आत्मा को उस शरीर के अनुरूप व्यवहार में धर कर अपना कर्म करना होता है। 


कौन सा कर्म करने से स्त्री का जन्म मिलता है

शरीर के जरिए कर्म करके ही एक आत्मा अपने जन्म के उद्देश्य को सार्थक भी बना सकती है और निरर्थक भी अच्छे कर्म करके आत्मा मुक्ति के मार्ग की ओर अग्रसर हो सकती है और वही बुरे कर्म करके अपनी स्थिति को भविष्य में बदतर बना सकते है । यदि कोई पुरुष महिलाओं वाला आचरण करता है। स्वभाव में महिलाओं वाले आदतें ले आता है या वही काम करना चाहता है जो एक महिला को करना चाहिए। ऐसे पुरुषों की आत्मा अगले जन्म में स्त्री का शरीर धारण करती है। 


ठीक इसी तरह अगर कोई मनुष्य पशु के समान व्यवहार करता है उन्हीं चीजों का सेवन करता है जिस्का पशु सेवन करते हैं तो ऐसे लोगों को निश्चित रूप से अगले जन्म में पशु बनना पड़ता है। इसके अलावा गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के अंतिम समय में मनुष्य की आ सकती। जिस चीज की ओर होती है उसका अगला जन्म भी उसी पर निर्भर करता है। यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के अंतिम क्षण में किसी स्त्री को याद करते हुए प्राण त्याग ता है तो उसे अगले जन्म में स्त्री बनना पड़ता है। 


मनुष्य जन्म कब मिलता है

वहीं अगर वह अंतिम क्षण में परमेश्वर का नाम लेता है तो वह मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है। यानी मृत्यु के अंतिम क्षण का विचार उसके अगले जन्म का आधार बनता है। इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है कि मरते समय हमेशा राम का नाम लेना चाहिए या फिर जिस भी ईश्वर को आप मानते हैं जिनमें आपकी आस्था है, उनका ध्यान करना चाहिए ।


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