भगवान श्री कृष्ण कहते हैं जब सागर में तूफान आ जाता है तो वह अपनी सीमाओं को लांघ कर विनाश कर डालता है। जब नदी अपना रास्ता बदल लेती है तो बड़े-बड़े शहरों को डुबो देती है। किसी संत जलाशय में भी अगर पत्थर डाल दिया जाए तो उसमें भी लहरें उठने लगती है। तात्पर्य यही है कि जब भी किसी की सहन करने की क्षमता समाप्त हो जाती है तो वह अपना रौद्र रूप धारण ही करता है।
यही प्रकृति का नियम है जब सामने पापी और दुराचारी खड़ा हो तो मनुष्य को कभी उसके अन्याय की सामना नहीं करना चाहिए। श्री कृष्ण कहते हैं जंगल में सीधे पेड़ो को ही काटा जाता है और टेढ़े मेढे वृक्षों को छोड़ दिया जाता है। कमजोर पशुओं को तो साधारण से साधारण मनुष्य भी प्रताड़ित करता है। किंतु विषैले सर्प और खूंखार शेर का मुकाबला करने की हिम्मत कोई नहीं करता।
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मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है
इसी कारण से जो व्यक्ति खुद को दुर्बल। और कमजोर समझता है वह जीवन भर दुख ही भोक्ता है जो अपने अंदर मौजूद उस ईश्वर के सामर्थ्य को जान लेता है। वह कभी पराजित नहीं होता। श्री कृष्ण कहते है जिस मनुष्य को खुद के बल पर विश्वास होता है। ईश्वर उसी का साथ देते हैं। श्री कृष्ण के अनुसार मनुष्य के दुखी रहने के तीन कारण होते हैं।
No.1 दूसरों से कुछ ज्यादा ही उम्मीद रखना वह खुद का पेट पालने के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहता है। खुद की रक्षा का जिम्मा भी दूसरों को दे देता है। दूसरों के ऊपर निर्भर रहने वाले को दुख के अलावा कुछ नहीं मिलता है।
No.2 जो मनुष्य खुद को बदलने की कोशिश नहीं करता, श्री कृष्ण के अनुसार जो मनुष्य परिस्थिति के अनुसार नहीं बदलता है, उसका भी पतन अवश्य ही हो जाता है। मुश्किल परिस्थिति में पत्थर की तरह कठोर हो जाना चाहिए ताकि आने वाले हर तूफान का सामना करने वाले ताकत मनुष्य के अंदर आ जाएं।
No.3 ढोंग करना श्री कृष्ण के अनुसार जो व्यक्ति ढोंग करता है, वह कभी खुश नहीं रह पाता। दूसरों से झूठी प्रशंसा पाने के लिए अच्छा बनने का ढोंग करने वाले लोग सदा ही निराश रहते हैं। मनुष्य के पास जो कुछ भी है, उसको स्वीकार लेना चाहिए। गरीब है तो अमीर होने का ढोंग नहि करना चाहिए अर्थ ज्ञान हो तो ज्ञानी होने का ढोंग नहीं करना चाहिए। अन्यथा वह खुद का ही विनाश कर डालता है तो दोस्तों इस प्रकार से भगवान श्री कृष्ण ने मनुष्य को महत्वपूर्ण उपदेश दिए हैं ।
मनुष्य का सबसे बड़ा पाप क्या है ?
दोस्तों इस संसार में सबसे बड़ा पाप कौन सा है? गरुड़ पुराण के अनुसार एक बार गरुड़ जी ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा हे प्रभु मैंने इस समस्त सृष्टि का भ्रमण किया है। मनुष्य नाना प्रकार के पाप करते हैं। कोई किसी का धन चुराता है। कोई किसी की हत्या करता है। कोई पशुओं पर अत्याचार करता है। कोई दूसरों की स्त्रियों का हरण करता है।
ऐसे कई प्रकार के पाप कर्म मनुष्य करते हैं, किंतु इन सभी में सबसे बड़ा पाप कौन सा है। कृपया आप मुझे बताने की कृपा करें। उत्तर में भगवान श्रीकृष्ण ने गरुड़ जी को संसार के सबसे बड़े बाप के बारे में बताया है और उस पाप से मिलने वाली सबसे भयानक सजा का भी वर्णन किया है। आइए जान लेते हैं भगवान श्री कृष्ण के अनुसार कौन सा पाप करने से कौन सी सजा मिलती है और सबसे बड़ा पाप कौन सा है।
गरुड़ पुराण के अनुशार सबसे बड़ा पाप कोण सा है ?
श्री कृष्ण कहते हैं मनुष्य अपने जीवन काल में कई प्रकार के पाप करता है। पाप कई प्रकार के होते हैं और हर प्रकार के पाप के लिए नर्क में सजा निर्धारित की गई है। किंतु यदि कोई मनुष्य अपने पापों का प्रायश्चित कर लेता है तो उसे मृत्यु के बाद नर्क में जाना नहीं पड़ता है। लेकिन संसार का एक बाप ऐसा भी है कि जिसका कोई प्रायश्चित नहीं है,
दुसरे के स्त्री से शारीरिक संबंध बनाना पाप है ?
उस पाप को करने पर मनुष्य को नर्क में जाना ही पड़ता है। आइए जानते हैं उन पापों के बारे में श्री कृष्ण के अनुसार दूसरों की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना पाप है जो स्त्री अपने पति के साथ धोखा करती है और जो पुरुष अपनी पत्नी के साथ धोखा करता है, उन्हें मृत्यु के उपरांत नर्क में ही जाना पड़ता है।
उन्हें नर्क में गर्म लोहे की सलाखों से बांधा जाता है जो किसी अल्पायु कन्या के साथ संबंध बनाता है अथवा किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध उसके साथ बलात्कार करने वाले मनुष्य को भी नरक में भयंकर सजा दी जाती है। उसे नरक की सजा मिलने के बाद दूसरा जन्म अजगर का प्राप्त होता है। किंतु भगवान श्री कृष्ण के अनुसार सबसे बड़ा पाप है भ्रूण हत्या किसी बालक के जन्म होने से पहले ही उसकी गर्भ में ही हत्या कर देना सबसे बड़ा पाप होता है।
महाभारत में जब अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करके उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने का प्रयास किया था तभी भगवान श्री कृष्ण ने कह दिया था कि भ्रूण हत्या सबसे बड़ा पाप है। जो भी गर्भ में ही बच्चे को मार डालता है। उसे अनंत काल तक नर्क में सजा भुगतनी पड़ती है और इस पाप का कोई प्रायश्चित नहीं है तो दोस्तों उम्मीद है। आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी।
तो दोस्तो क्या आपके मन में कोई सवाल हैं तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । तो आज के लिए इतना ही अब हम चलते है । फीर मिलेंगे न्यू जानकारी के साथ तब तक हमारे ब्लॉग के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,,
व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे
भगवत गीता जीवन का मूल मंत्र
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