Saturday, April 13, 2024

manushya apna bhagya badal sakta hai ?

 

नमस्कार आपका स्वागत है दोस्तों इस दुनिया में जिस किसी भी मनुष्य ने जन्म लिया है। उसका यही प्रश्न रहा है कि क्या उसका भविष्य यानी उसका भाग्य निश्चित है या उसे बदला जा सकता है। अगर उसका भाग्य निश्चित है तो कर्म करने की क्या आवश्यकता है। 

manushya apna bhagya badal sakta hai ?

अगर भाग्य अनिश्चित तो कर्म करने से क्या उसे बदला जा सकता है। कर्मों में विश्वास करने वाले व्यक्ति और भाग्य को अपरिवर्तित भविष्य मानने वाले व्यक्ति का विश्वास कई बार डागमगा  जाता है की क्या भविष्य को बदला जा सकता है । आ नही तो सभी प्रश्नों का उत्तर हमारे सनातन धर्म के ग्रंथ गरुड़ पुराण में मिलता है। हमारे सनातन धर्म के ग्रंथों के अनुसार हमारे भाग्य को कभी बदला नहीं जा सकता है। 


manushya apna bhagya badal sakta hai ? 

हमें ईश्वर ने जिस भाग्य या भविष्य को दिया है उसे हम बिल्कुल भी परिवर्तन नहीं कर सकते है । जो ईश्वर ने हमारे भाग्य में लिखा है। वह होकर ही रहेगा । और यही अटल है ।  रामायण में रावण का श्री राम के द्वारा मारे जाना। यह वाल्मीकि ने रामायण में सैकड़ों वर्ष पहले ही लिख दिया था। वह कंस का श्री कृष्ण के द्वारा मारे जाना। 


यह भविष्यवाणी थी । इस कंस ने बदलने की अनेकों कोशिश की परंतु असफल रहा और अंत में भविष्यवाणी के अनुसार श्री कृष्ण के द्वारा कंस का अंत हुआ। इस प्रकार से हमारे पुराण बताते हैं कि भविष्य निश्चित है और उससे बदला नहीं जा सकता। लेकिन सनातन धर्म में एक दूसरा पक्ष भी है जो यह कहता कि मनुष्य के भाग्य को परिवर्तित किया जा सकता है । 


श्री कृष्ण ने महाभारत में गीता का उपदेश दिया था कि कर्म से मनुष्य अपने भाग्य को बदल सकता है। उसके द्वारा किए गए पुण्य कर्म भविष्य में तय हो चुके बुरे वक्त या बुरे भाग्य को बदल सकते हैं। परंतु मनुष्य को अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए ना कि उसे प्राप्त होने वाले फल पर अन्यथा उसके द्वारा किए गए सभी कर्मों का फल नष्ट हो जाता है । 


और जो भविष्य में अशुभ होने वाला होता है। वह घटित होता है । अगर मनुष्य निश्चिंत होकर आपने पुण्य कर्म करता है । तो दैवीय कृपा से उसके सभी असुब कार्य सुभ कार्यों में परिवर्तित हो जाते हैं। इसका उदाहरण हमें शिवपुराण में मिलता है । 


क्या ज्योतिष बदल सकता है ?

शिव भक्त मारकंडेय को मात्र 16 वर्ष का जीवन मिला था। लेकिन जब यमराज उन्हें लेने आए तब मार्कण्डेय शिव लिंग से चिपक और मृत्युंजय मंत्र का पाठ करने लगे। इससे महादेव प्रसन्न हो गए और उन्हें आजीवन अमर रहने का वरदान दिया। जिस बालक का जीवन मात्र 16 वर्ष लिखा गया था, 


उसे आजीवन होने का वरदान मिलना उसके द्वारा किए गए पुण्य कर्मों के द्वारा ही हुआ था। अपने पुण्य कर्मों से मार्कंडेय ने अपने भविष्य को परिवर्तित कर दिया था, जो यह बताता है कि अपने अपने कर्मों से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को परिवर्तित कर सकता है। इतना ही नहीं किसी व्यक्ति का भाग्य उसके पूर्वजन्म के कर्मों के आधार पर ही निश्चित होता है। 


मनुष्य को इस जन्म में उसके सभी पूर्व जन्मों के संचित फल प्राप्त होते हैं। अगर वह मनुष्य पूर्वजन्म में अधिक पाप करता है तो उस मनुष्य को वर्तमान जन्म में अपने पुण्य कर्मों से अपने पाप कर्मों को धोना होता है अन्यथा उस मनुष्य का भाग्य अपरिवर्तित और बड़ा ही कष्टमय बन जाता है जो मनुष्य मात्र एक जन्म से अपने भाग्य को नहीं बदल सकता है ।  उसे कई जन्म लेने पड़ते हैं। 


इस सबके अलावा प्रत्येक मनुष्य का भाग्य उसके वर्तमान समय पर अधिक निर्भर करता है कि वर्तमान समय में किस प्रकार के कर्म कर रहा है। अगर मनुष्य अपने वर्तमान समय में उन कर्मों को कर रहा है जिससे उसका भविष्य सुरक्षित और अच्छा बन सके। तब वह मनुष्य अपने भविष्य को परिवर्तित कर सकता। है । अन्यथा अपने वर्तमान समय में बुरे कर्मों या पाप कर्मों को करके वह अपने भाग्य को नष्ट कर डालता है। 


इसलिए मनुष्य को अपने वर्तमान समय अधिक से अधिक पुण्य कर्म करने चाहिए ताकि उसके पूर्व जन्मों के संचित कर्म समाप्त होने के पश्चात उसका अच्छा भाग्य बन सके। चाहे रावण हो या कंस उन्हें अपने बुरे कर्मों का फल मिल गया था। वह मारकंडे की भविष्यवाणी में उम्र मात्र 16 वर्ष थी। लेकिन आपने पुण्य कर्मों से उसे पूर्ण जीवन प्राप्त हुआ। 


महाकाव्य और पुराणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भाग्य कर्म का फल है जो जैसा कर्म करता है उसे उसका फल वैसे ही मिलता है ।


तो दोस्तो उम्मीद करता हूं कि ये जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । तो क्या आपके मन में कोई सवाल है । तो आप हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । और इसे ही जानकारी के लिए आप हमारे ब्लॉग को Subscribe जरूर करें।  हमारे साथ बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,



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