Wednesday, December 14, 2022

पुष्पा फ़िल्म की असली कहानी क्या है ?


दोस्तो एक बार फिर से स्वागत है। हमारे blogg में , फिल्म नहीं यह है असली पुष्पा मूवी की चौका देने वाली कहानी साउथ इंडियन फिल्मों के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा ने सभी जगह पर तहलका मचा रखा है ।

पुष्पा फ़िल्म की असली कहानी क्या है ?

पुष्पा फ़िल्म की असली कहानी क्या है ? 

इसकी कहानी से लेकर डायलॉग तक हर एक चीज को हैरान करने वाली जोड़ी बनाकर रख दिया है। ऊपर से फिल्म में दिखाया जाने वाला लाल चंदन उसकी तस्करी और जंगलों के बीचो बीच तमिलनाडु और कर्नाटक बॉर्डर को देखकर आपको ऐसा तो लगा होगा। 


आपने कुछ ना कुछ ऐसा पहले देखा है। तो दोस्तों यह बात बिल्कुल सही है। यह फिल्म पूरी तरह से एसे डाकू से इंस्पायर होकर बनाई गई है जिसने पूरे 40 सालों तक तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों में राज किया है और उस डाकू का नाम है। वीरप्पन जिसकी जिंदगी इंस्पापर होकर बनाई गई।

पुष्पा फ़िल्म की असली कहानी क्या है ?


यह फिल्म पुष्पा आज बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा रही है। लेकिन अभी भी बहुत सी ऐसी चीज है जिसे फिल्म में दिखाया नहीं किया पर आप चिंता मत करो क्योंकि आज की इस पोस्ट में मैंने आपका दोस्त  आपको फिल्म के असली कहानी बताने वाला हूं । जिसे पढ़कर आप और हैरत में पड़ जाएंगे।


 

वीरप्पन डाकू को कब मारा था ? 

18 अक्टूबर 2006 देश में सिर्फ एक ही खबर गूंज रही थी। दक्षिण भारत का खतरनाक डाकू वीरप्पन एनकाउंटर में मारा गया। एक ऐसा डाकू जिसे पकड़ने के लिए पुलिस वालों ने एड़ी चोटी का बल लगा दिया । यहाँ तक कि इसी पकड़ने के लिए बड़े-बड़े सर्च ऑपरेशन किए गए जिसमें करोड़ों रुपए पानी की तरह सरकार में बहा दिए ।


लेकिन वीरप्पन किसी की हाथ नहीं लग रहा था। ऐसे में जब वीरप्पन के एनकाउंटर की खबर आई तो लोग समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। इस पर कोई यकीन करने को तैयार ही नहीं था और दोस्तों वाकई में वीरप्पन का एनकाउंटर हो चुका था। वैसे तो चंबल से लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों तक एक से बढ़कर एक डाकू का राज रहा है। 


वीरप्पन डाकू कहाँ राज करता था ? 

लेकिन दक्षिण भारत के वीरप्पन एक अलग ही पहचान बनाई। बहुत ही लंबे समय तक इसने जंगलों में राज किया जाता है। कहा जाता है । जंगल का घर हुआ करता था और जंगल का ऐसा कोई कोना नहीं था। उसके बारे में वीरप्पन को ना पता हो। इन्हीं जंगलों में रहकर उसमें कर्नाटक और तमिलनाडु की पुलिस की आंखों में धूल झोंकी और बड़े आराम से अपनी जिंदगी जी पूरे 40 साल तक जंगलों में राज करने के बाद। 

पुष्पा फ़िल्म की असली कहानी क्या है ?


पुलिस वालों की लंबी प्लानिंग की वजह से वीरप्पन को पकड़ा गया और जैसे वीरप्पन पुलिस वालों के सामने आया। पुलिस ने ना आव देखा ना ताव और बिना एक पल की देरी की लगातार वीरप्पन पर 338 Round की फायरिंग की तब जाकर कहीं वीरप्पन को पकड़ा जा सका। वरना अगर पुलिस गोलियों की बरसात ना करती तो हो सकता है।


वीरप्पन डाकू कब बना कितने इनके उम्र थे और क्या कारण था ? 

अभी भी यह डाकू जंगलों में अपनी हुकूमत कर रहा होता। दोस्तो वीरप्पन के डाकू बनने की कहानी 1962 में शुरू होती है। जब यह सिर्फ 10 साल का था। इस छोटी सी उम्र में इसने एक तस्कर का कत्ल किया और उसी वक्त वन विभाग के तीन अफसरों को भी उसने मार गिराया।


गांव वालों का कहना था कि यह बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखता था और उस वक्त स्मगलिंग करने के लिए वन विभाग के कुछ अफसरों ने उसे उकसाया था। पर जब इसने स्मगलिंग की दुनिया में कदम रखा और पैसा छापना शुरू किया तो अधिकारी खुद से मारने को तैयार हो गए। 


जिसके बाद वीरप्पन अपनी जान बचाने के लिए जंगलों में रहना शुरू कर दिया। तब शुरू हुई एक नई कहानी जहां मात्र 17 साल की उम्र में पहले तो उसने एक हाथी को मारा और फिर हाथों में मारने का सिलसिला इसी तरह चलता रहा। जहाँ इसने करीब 2000 हाथियों को मौत की नींद सुला दिया।


हाथियों को मारकर उनके दांतो की स्मगलिंग किया करता था। इसके अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों में पाए जाने वाला सबसे कीमती लाल चंदन के पेड़ों को काटकर उसकी लकड़ियों की स्मगलिंग करता था। जब कभी भी कर्नाटका की पुलिस उसे पकड़ने जाती थी। 


तो ये भाग कर border क्रॉस करके तमिलनाडु पहुंच जाता था और ठीक इसी तरह से तमिलनाडु पुलिस के साथ भी करता था। इसी तरह लुका छुपी का खेल खेलते हुए । इसने जंगलों में काफी आतंक मचाया। इतने करीब 184 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा था और पैसों के लिए कुछ भी कर सकता था। 


फिर चाहे तस्करीतो हो या फिर बड़े बड़े व्यापारियों का अपहरण तो दोस्तो इन सबके अलावा कहा जाता है। वीरप्पन को दौलत के साथ शोहरत का भी बड़ा शौक था। वो लोगों के बीच मशहूर होना चाहता था।


वीरप्पन को फेमस होने का शोक था ? 

वीरप्पन चाहता था कि देश का बच्चा-बच्चा उसे जाने इसलिए वीरप्पन ने रजनीकांत जैसे सुपरस्टार को किडनैप करने का प्लान बनाया। वो अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया ।

पुष्पा फ़िल्म की असली कहानी क्या है ?


वीरप्पन ने कोंन से हीरो को किडनैप किया था ? 

लेकिन फिर 1997 में इसी जंगल में एक इंसान की आंखों पर पट्टी बांधकर इन जंगलों में लाया गया और वह आदमी कोई और नहीं बल्कि कन्नड़ फिल्मों का बहुत बड़ा सुपरस्टार राजकुमार था । 

पुष्पा फ़िल्म की असली कहानी क्या है ?


जैसे ही राजकुमार की किडनैपिंग की खबर लोगों तक पहुंची। हर जगह हड़कंप मच गया और हर कोई वीरप्पन का नाम जानने लगा । वीरप्पन के देहस्त फैलती जा रही थी । इसे पकड़ने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गए है। लंबे समय तक सर्च ऑपरेशन चलता रहा । लेकिन मजाल है।  


वीरप्पन को कोई पकड़ पाता । क्योंकि जिस जंगल में वीरप्पन रहता था उसे वीरप्पन से बढ़िया कोई जानता ही नहीं था। जैसे कोई वीरप्पन को पकड़ने के लिए जंगल में घुसता। वैसे ही वीरप्पन को इसकी खबर लग जाती है और वह तुरंत अपने छुपने का बंदोबस्त कर लेता। 


वीरप्पन को पकड़ने के लिए कितने रुपये का इनाम रखा था ? 

वीरप्पन की दहशत इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि सरकार उसे पकड़ने के लिए अपने आप को लाचार महसूस कर रही थी। इसके बाद सरकार ने वीरप्पन को पकड़ने के लिए 5 करोड़ के नाम रख दिया। पर इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। 


ओर इसी बिच विजय कुमार को एसडीएम का चिप बनाया गया जैसे विजय कुमार ने अपनी कमान संभाली । उन्होंने वीरप्पन की सारी जानकारी इकट्ठी करनी शुरू कर दी क्योंकि विजय कुमार ही जान चुके थे। वीरप्पन को पकड़ना बिल्कुल भी आसान नहीं है। 


वीरप्पन को कैसे मारा ? 

उन्हें पहले से ही सारी प्लानिंग करके रखनी पड़ेगी और इसके लिए विजय कुमार ने वीरप्पन की गैंग में अपने आदमी को घुसाना शुरू किया। वक्त बदलता जा रहा था। वीरप्पन की गैंग में भरोसेमंद लोग धीरे-धीरे कम होने लगे और अब पुलिस के आदमी गैंग में अपनी पकड़ बना चुके थे। 


इन सबके बीच विजय कुमार को पता चला कि वीरप्पन की एक आंख में दिक्कत है जिसका इलाज कराने के लिए वह जल्दी कुछ ना कुछ करेगा और फिर वह दिन आया। जब सालों की मेहनत कामयाब होने वाली थी क्योंकि पुलिस के आदमियों ने वीरप्पन से कहाँ  सड़क किनारे Ambulance आएगी  ।


जो  हॉस्पिटल ले जाएगी। सब कुछ प्लान के मुताबिक चल रहा था। वीरप्पन और उसके कुछ साथियों एंबुलेंस में बैठ गए और एंबुलेंस चल पड़ी। थोड़ी दूर जाकर ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और उसी बीच एंबुलेंस में बैठे ड्राइवर ओर उनके साथ तुरंत निकल कर भाग गए। 


जहां पर गाड़ी रुकी थी। वही ढेर सारे पुलिस वाले हथियारों के साथ पूरी तरह तैयार थे जिन्होंने लगातार फायरिंग शुरू कर दी और करीब 338 राउंड फायरिंग के बाद वीरप्पन की कहानी खत्म हो गई । 


तो दोस्तो उम्मीद है। जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । कि ये पुष्पा राज फ़िल्म की कहानी अब आपको समझ मे आ गया होगा । कि ये फिल्में किस कहानी पर बनाया गया है। तो दोस्तो अब हम चलते है। फिर मिलेंगे नई जानकारी के साथ तब तक हमारे blogg के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,,



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