Wednesday, December 14, 2022

क्या साईं बाबा सच में भगवान थे?


दोस्तो भारत में अनेकों धर्म है जिन मैं हिंदू मुस्लिम सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन मुख्य है और इन समुदायों के लोग अपने अपने भगवान को मानते हैं, लेकिन इस दुनिया में एक एसा सिद्ध पुरुष ने भी जन्म लिया था जिन्होंने किसी भी धर्म में कोई भेदभाव नहीं रखा। 

क्या साईं बाबा सच में भगवान थे?

उनका नाम था साईं बाबा जीने लोग चमत्कारिक पुरुष भी कहते हैं और ऐसा माना जाता है कि साईं बाबा हर धर्म के अंशों से जन्मे थे । इसलिए वो हर धर्म को उच्च मानता था। यही कारण है कि साईं बाबा को हर धर्म और जाति के लोग पूजते हैं और उनके बारे में हर छोटी बातें जानना चाहते हैं। 


इसके चलते आज हम आ गए चमत्कारों से भरे शिर्डी के साईं बाबा के जीवन सच्य लेकर अगर आप भी  साईं बाबा की जीवन की सादगी को समझना चाहते हैं तो बने रहे हमारे साथ ब्लाग के अंत तक तो ।


क्या साईं बाबा सच में भगवान थे?

दोस्तो जिस तरह पर्वतों में हिमालय को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। बिल्कुल ऐसे ही संतों में साईं बाबा का नाम सबसे उच्च माना जाता है। साईं के नाम के आगे थे, लगाना उचित नहीं माना जाता क्योंकि विद्वानों के मुताबिक आज भी साईं बाबा हमारे बीच हैं ।


दोस्तो साईं बाबा के बारे में एक भ्रम रहा है की वो हिंदू थे या मुस्लिम क्या वो कबीर नामदेव और पांडुरंग के अवतार थे तो कुछ लोग यह भी कहते हैं कि वह शिव के अंश थे ।  और कुछ को मैं दत्तात्रेय का अंश भी देखता है, लेकिन असल में वो एक भारतीय आध्यात्मिक रहे हैं जिन्हे संत फकीर एक शांत गुरू और भगवान का अवतार ही समझते हैं ।


साईं बाबा का जन्म कहा हुआ था ? 

दोस्तो उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें हैं। आज हम आपको बताएंगे दर्शल साईं बाबा के जन्म  शिर्डी में हुआ, लेकिन उनका जन्म किसके घर  में जन्म हुवा ये अभी भी मतभेद है। फिर भी ऐसा बताया जाता है कि एक ब्राह्मण जोड़े के यहां पाथरी गांव में जन्मे साईं बाबा को बाद में एक फकीर को सौंप दिया गया था। 


ये उनके आखिरी दिनों में उन्हीं के द्वारा बताए गए सबद है । वही उनके जन्म की तारीख भी तय नहीं है और पहली बार बाबा 16वे साल में महाराष्ट्र के शिरडी गांव पहुंचा था। लोगों ने देखकर हैरान रह गया था क्योंकि एक लड़का जिसकी उम्र बहुत कम है। नीम के पेड़ के नीचे आसन बिछाए ध्यान लगा रहा है। बिना खाए पिए उन्होंने कई दिन ऐसे ही व्यतीत कर दिया और उसके बाद लोग इस युवा पर बहुत आस्था रखने लगे । 


गांव के प्रमुख की पत्नी बैजाबाई ने बचपन में साईं बाबा के कल्याण के बारे में पूछताछ की और धीरे-धीरे बाबा के लिए और खाना भी लाया करते थे। दोस्तो शिर्डी के कुछ लोगों का यह भी कहना है कि साईं का जन्म 28 सितंबर 1835 को महाराष्ट्र के पत्री गांव में हुआ, लेकिन उनके माता-पिता और बचपन की कोई जानकारी नहीं है। 


साईं बाबा का बचपना कैसे बीता ? 

उनके बारे में साईं सत्चरित्र किताब में ऐसा लिखा है कि शिर्डी में उस नीम के पेड़ के नीचे इन्होंने कई बरसात सर्दी गर्मी बीता दी । इतनी कठोर तपस्या करने के बाद गांव वालों ने इन पर ध्यान देना शुरू किया और इनके पास आकर बैठने लगे तो वहीं कुछ लोग इन्हें पागल भी कहते थे तो वही कुछ लोग इनके ऊपर पत्थर फेकते थे ।


जिसके चलते साईं बाबा एक दिन अचानक इस गांव से चले गए। और फ़िर इनका पता नहीं चला। 3 सालों तक शिर्डी में रहने के बाद वह गायब है और 1 साल बाद फिर शिरडी लौट कर आए तो आखिरी समय तक यही रह गए ।  साल 18 सो 58 में साईं बाबा शिरडी लौट कर आए और इस बार उन्होंने अपनी वेशभूषा को अलग तरह का कर लिया था, 


जिसमें उन्होंने घुटनों तक का एक कफानी बागम और कपड़े की टोपी पहने हुए थे। उनके भक्तों के अनुसार वह शिर्डी आए तो उन्होंने फकीर की तरह कपड़े और कमर तक लंबे बाल रखें थे । 


उनके कपड़ों को देखकर वह सूफी संत नजर आ रहे थे जिसे देखकर लोगों ने मुस्लिम फकीर समझने लगे। इसी कारण हिंदू गांव ने उन्हें स्वीकार नहीं किया। 5 सालों तक वह शिर्डी के जंगलों में भटकते रहे और वो किसी से ज्यादा नहीं बोलते थे। लंबे समय तक उन्होंने तपस्या की और बाद में वह एक जर्जर मस्जिद में रहने लगे । 


वहा पर बैठने से लोग उन्हे विक्चा देने लगे । इससे उनका जीवन यापन होता रहा। उस मस्जिद में उन्होने एक ध्वनि जलाई थी । जिससे निकली राख को वो उनसे मिलने वाले को देते थे । ऐसा माना जाता है की उस राख में चिकित्सकीय शक्ति थी ।  शिर्डी साईं बाबा से मिलने वालों को आध्यात्मिक शिक्षा मिलते थे और उन्हें पवित्र हिंदू ग्रंथों के साथ कुरान पढ़ते भी देखा गया जो हमसे किसी ने पूछा कि वह हिंदू है या मुस्लिम तो एक ही बात कहते थे। सबका मालिक एक है। 


साल 1910 के बाद साईं बाबा के प्रसिद्ध है। मुंबई तक फेल गए और अनेक लोग उनसे मिलने जाया करता था क्योंकि उनके चमत्कारी तरीकों के कारण लोगों ने संत मानथे ।  इसके अलावा साईं बाबा हर दिन लोगों से विक्षा मगाने जाया करते थे। 



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