Friday, May 5, 2023

भारत - पाकिस्तान का बटवारा कब हुआ ।। India-Pakistan partition - 14/15 अगस्त की रात के पूरा सच पढ़िए?

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दोस्तो एक बार फिर से स्वागत है आपका हमारे blogg  में 14 अगस्त की रात का सच जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे। 15 अगस्त 1947 ये वो तरीके है जिसमें पूरे भारतवर्ष का नक्शा बदल कर रख दिया

भारत - पाकिस्तान का बटवारा ।। India-Pakistan partition - 14/15 अगस्त की रात के पूरा सच पढ़िए?

भारत - पाकिस्तान का बटवारा ।। India-Pakistan partition - 14/15 अगस्त की रात के पूरा सच पढ़िए?

एक समय हुआ करता था कि भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश के तीनों एक ही मुल्क हुआ करते थे। जिसे  दुनिया भारत के नाम से जानते थे लेकिन अंग्रेज आए और उन्होंने ऐसी टिगदं बैठाई। कि जाते-जाते भारत को दो हिस्सों में बांट कर चले गए हैं। 


हालांकि बांग्लादेश वाला इलाका भी पाकिस्तान कहलाया जाता था, लेकिन अब यह भी अपने आप में एक मुल्क है।  यहां पर सबसे बड़ा। सवाल यह आता है कि जब 14 अगस्त की रात को भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो रहा था तो देश में किस तरह का माहौल था।


 लोगों के मन में क्या चल रहा था। यानी कि साफ शब्दों में कहा जाए तो मैं यानी   आपका दोस्त Prayag Verma  आज के post  में आपको 14 अगस्त की रात का वह हैरान कर देने वाला सच बताने जा रहा हूं, जिसे सुन ने कहा कि हर भारतीय को है।


भारत - पाकिस्तान का बटवारा ।। India-Pakistan partition - 14/15 अगस्त की रात के पूरा सच पढ़िए?

 दिल्ली में 14 अगस्त की रात से ही जोरदार बारिश हो रही थी। लेकिन फिर भी रात के 9:00 बजते बजते रायसीना हिल्स पर करीब 500000 लाख लोग इकट्ठे हुए थे। रात के करीब 10:00 बजे सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद और माउंटबेटन वायसराय हाउस पहुंचे।


 यह लोग पहुंचे तो सारी तैयारियां हो रही थी और 14 अगस्त 1947 की रात  को 12:00 बजने में जब कुछ मिनट बाकी थे तब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आजादी की अपनी स्पीच शुरू की है क्योंकि यह बात तय की गई थी कि पंडित नेहरू को अपने बीच 12:00 बजे के पहले समाप्त करनी थी। 


 ऐसा क्यों तो इसके बारे में हम आपको बताएंगे, लेकिन जैसे-जैसे जवाहरलाल नेहरू अपनी स्पीच देते हुए आगे बढ़ रहे थे। लाखों लोगों के हुजूम में खड़े हर एक शख्स का सीना गर्व से चौड़ा होता चला जा रहा था।  


How many Hindus were killed in the riots of 1947?कितने हिन्दू 1947 के दंगों में मारे गए?


क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि पहले मुगलों और अंग्रेजों के शासन के बाद अंत में सालों बाद हमें आजादी से जिंदगी जीने का मौका मिलेगा। हर किसी की आंखों में खुशी के गले चमक दिखाई दे रही थी। लेकिन एक तरफ जहां लोगों के मन में खुशियां थी, वह इस बात का गम भी था। एक ही रात में भारत ने अपना 346738 स्क्वायर किलोमीटर का अपना पूरा एरिया और करीब 8 करोड़ 1500000 लोगों में एक झटके में खो दिया। 


हमारा पूरा देश 2 टुकड़ों में बांट चुका था। एक तरफ था हिंदुस्तान और दूसरी तरफ पाकिस्तान दोस्तों अगर आपको लगता है। ये आजादी  केवल 1 दिन की है। तो आप बिल्कुल गलत है।


15 अगस्त से पहले ब्रिटिश सरकार का हुकूमत था? 

क्योंकि 15 अगस्त के बहुत दिनों पहले ही ब्रिटिश हुकूमत का अंत शुरू हो गया था। महात्मा गांधी के जन आंदोलन से  देश में एक नई क्रांति की शुरुआत हुई थी और वहीं दूसरी तरफ सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों की नाक में दम कर के रख दिया था। ऊपर से दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश की सरकार में इतनी ताकत नहीं थी।


When did the British take the decision to declare India independent? अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्र घोषित करने का निर्लय कब लिया था? 

 क्यों भारत पर लंबे समय तक अपनी पकड़ बनाए रख सकें। इसलिए माउंटबेटन को भारत का आखिरी वायसराय बनाया गया था ताकि भारत को आधिकारिक तरीके से स्वतंत्रता दी जा सके और सब कुछ नियम कानून के मुताबिक हो। वैसे तो अंग्रेजों ने भारत को 3 जून 1948 को स्वतंत्र घोषित करने का निर्णय लिया था।


मोहम्मद अली भारत - पाकिस्तान का बटवारा क्यो किया था? 

 लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना की शर्त थी कि वह भारत का पहला प्रधानमंत्री बनेंगे वरना वह पाकिस्तान नामक अपना एक अलग मुल्क बनाएंगे और वह अपनी इस बात पर इतना ज्यादा अड़ गए कि देश में कई जगह पर सांप्रदायिक हिंसा शुरू हो गई थी। 


अब इस तरह की परिस्थिति को देखकर अंग्रेज समझ गए थे कि जितना ज्यादा यहां पर वह चीजों को संभाले कोशिश करेंगे। उतनी ज्यादा प्रस्तुति खराब होती चली जाएगी। इसलिए अंग्रेजों ने फैसला किया कि जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी भारत को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया जाए।


 ताकि वह यहां से छुट्टी लेकर अपना मुल्क वापस लौट सके। अब आपके दिमाग में यह सवाल कभी ना कभी तो चला ही होगा कि आखिर स्वतंत्रता के लिए 15 अगस्त का दिन ही क्यों चुना गया।



15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में क्यों चुना गया क्या आपको लगता है कि 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए चुना जाना चाहिए था टिप्पणी?


 तो दोस्तों केवल हम भारतीय शुभ और अशुभ जैसी चीजों में नहीं मानते थे। 


बल्कि अंग्रेज भी इन चीजों को उतना ही ज्यादा मानते थे और माउंटबेटन का ही मानना था कि 15 अगस्त का दिन शुभ रहेगा क्योंकि 15 अगस्त 1945 के दिन ही जापान ने शरणागत है। स्वीकार की थी। माउंटबेटन का यह मानना था कि 15 अगस्त के दिन उनके लिए शुभ है। 


अगर हम रात 12:00 बजे की बात करें तो भारतीय ज्योतिषियों का मानना था कि वक्त देश की आजादी के लिए बिल्कुल सही रहेगा जैसा कि हमने आपको बताया पंडित नेहरू को रात 12:00 बजे से पहले अपना भाषण खत्म कर देना था ।


और उसके बाद शंख नाथ के समय स्वतंत्र भारत की शुरुआत होगी और ठीक है। ऐसा ही हुआ। 15 अगस्त सुबह 8:30 पर जवाहरलाल नेहरू और उनके पूरे कैबिनेट ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। रात में लगातार बारिश होने के बाद सुबह आसमान बिल्कुल साफ था।


पंडित जवाहर लाल नेहरू ने झंडा कहा लहराया था ?

 और लोग लाखों की संख्या में इस बात का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि वह आजाद भारत के तिरंगे को लहराते हुए पहली बार देखेंगे। हालांकि देश के तिरंगे को जवाहरलाल नेहरू ने रात 12:00 बजे ही पार्लिमेंट सेंटर हॉल में लहराया था 


और फिर दूसरी बार सुबह 8:30 पर। भय ध्वज को जनता के साथ। ब्रिटिश राष्ट्रीय ध्वज को उतारकर लहराया गया जिसका नजारा देखकर हर एक भारतीय खुशी से झूम उठा। आपको बता दे। आजादी के तुरंत बाद अंग्रेजों ने भारत को नहीं छोड़ा क्योंकि आजादी के बाद भी कई आला ब्रिटिश अफसर भारत का हिस्सा रहे।


     अंग्रेजों ने भारत को कब छोड़ा 

 1500 सैनिकों की पहली टीम 17 अगस्त 1947 के दिन अपने देश के लिए रवाना हुई और जो अंग्रेजी सैनिकों की आखिरी टीम थी वह 27 अगस्त 1948 को रमना हुई।


यानी अंग्रेजों को भारत से जाने में पूरे 1 साल का वक्त लग गया। पर दोस्तो इन सभी चीजों में सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो यह थी कि अंग्रेजों ने पहले तो हमारे भारत को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया और फिर बंटवारे के टाइम ऐसा अपनापन दिखाने लगे कि भारत ही भूल गया कि इन्होंने हमारे देश के सुर वीरों का क्या किया था। 


अंग्रेजों का बिदाई वक्त सवागत कैसे किया ? 

तभी तो जब अंग्रेजों की आखिरी टीम जा रही थी तो लोगों ने इन्हें से विदा किया। जैसे ही कोई मेहमान हो। इनकी आखरी फौज ने जब मुंबई के बंदरगाह से विदाई ली तो विदाई देने वाला गीत बैंड बाजों के साथ बजाया गया ठीक उसी तरह जिस प्रकार पहली बार अंग्रेज भारत में कारोबार करने के बहाने से आये थे। 


उनका स्वागत किया गया था और कारोबार करते करते वह इस भारत को अपना बना ले गए कि वो राजा और हम गुलाम बन गए। करीब 200 सालों तक गुलामी की जंजीरों में बने रहने के बाद आज हम इसकी सबसे बड़ी वजह वो स्वतंत्रता सेनानी है।


 जिन्होंने हमें आजाद कराने के लिए अपनी जान निछावर कर दी। हमारे इस पोस्ट के माध्यम से हम उन सभी को सलाम करना चाहते हैं। अगर आप भी ऐसा करना चाहते हैं तो कमेंट में जय हिंद लिखना ना भूलें । ओर ऐसे तरह के पोस्ट  देखकर रहने के लिए हमारे website को subscribe जरूर करे।


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विभाजन से पूर्व भारत को क्या कहा जाता था

1947 में भारत का विभाजन किस आधार पर हुआ था

भारत विभाजन का दर्द




तो दोस्तो ऐसे ही अमेज़िंग फैक्ट्स के लिए हमारे blogg के अंत तक बने रहे। हम फिर मिलेंगे नई चीज के जानकरी के साथ तब तक के लिए जय हिंद जय भारत 

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