Tuesday, November 17, 2020

ट्रैन पटरी पर कैसे चलती है।

दोस्तों एक बार फिर से स्वागत है। आपका Technical prithvi में इस दुनिया में बहुत सी ऐसी चीज है। जो होती तो हमारे सामने लेकिन हम उनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता सकते और ना ही लोग उनके बारे में जानने की कोशिश करता है। क्योंकि सभी का मन हमारे और आप जैसा जिज्ञासु तो नहीं होता

ट्रैन पटरी पर कैसे चलती है।

 लेकिन हमें पूरा यकीन है। कि अगर आपने हमारी इस पोस्ट पर क्लिक किया है। तो पक्का आप को तरह-तरह की नॉलेज लेने का बड़ा शौक होगा और हमारे पोस्ट भी कुछ उसी तरह की होती है।


ट्रैन पटरी कैसे बदलती है

 आज आप कुछ ऐसी बुद्धि के बारे में जानेंगे कुछ और नहीं बल्कि यह हमारे ट्रेन ट्रैक पर गाड़ियां कैसी चलती कैसे है। और कैसे उनका मैकेनिज्म काम कैसे करता है। जहां वह इतनी स्पीड में चलने के बावजूद भी गिरती नहीं है।


 तो दोस्तों आज की पोस्ट में यानी आपका दोस्त prayag kumar आपको इन सभी सवालों के जवाब देने वाला हूं।  तो बिना देर किये चलिये शुरू करते हैं। हमारी आज की रोमांटिक पोस्ट लेकिन पोस्ट शुरू करने से पहले छोटी सी रिक्वेस्ट है। पोस्ट के नीचे रेड कलर का सब्सक्राइब बटन दिख रहा होगा उस पर क्लिक करके सब्सक्राइब करे। ताकि आपको पोस्ट मिले सबसे पहले


ट्रैन में शोर - शराबे की आवाज क्यो नही आते है।

 दोस्तों जब कभी भी आप ट्रेन में दिन में सफर करते हैं। तो आपको ट्रेन की चलने की आवाज उतनी तेजी से नहीं आती होगी क्योंकि शोर-शराबे में वाह-वाह तब से जाती है। लेकिन जब रात के वक्त ट्रेन में सफर किया जाए तो हम पटरी पर ट्रेन के चलने की आवाज सुन सकते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में ख्याल आता होगा कि बिना पटरी से गिरी ट्रेन चल कैसे सकती है। तो दोस्तों उस चीज को जानने के लिए सबसे पहले आपको उससे ट्रेन के पहिए को बहुत गोर से देखना पड़ेगा 


दोस्तों जैसा कि आप देख सकते हैं। कि इन ट्रैन के बाहरी हिस्से अंदर वाले हिस्से से अलग है। दोस्तो पहियों के अंदर वाले हिस्से में आपको देखने को मिलेंगे और इन्हीं राउंड और इन्हीं राउंड इसको हम फ्लाइंग जट्ट कहते हैं। और हम आपको बता दें ट्रेन को ट्रैक पर बनाए रखने के लिए इनका बहुत इंपॉर्टेंट रोल होता है।

 अब आप बोलेंगे कि भला वो कैसे हो 


दोस्तों इसलिए की सारी चीजें हम 

आपको डायग्राम के दिखाते हैं। जैसा कि आप देख सकते हैं। कि जब ट्रेन चलती है। तो वह पहले इधर उधर मुंह करना शुरू कर देती है। दोस्तों वैसे तो जब तृणमूल करती है। तो इस तरह के मोमेंट्स में हमें कोई खतरा नहीं है।


क्या ट्रैन में सफर करने से कोई खतरा नही होता है।

 और बहुत नॉर्मल है। लेकिन जब पिंकी मोमेंट बहुत ज्यादा फास्ट हो जाती है। तो खतरा बन सकता है। और इसी जगह पर यह फ्लाइंग जट्ट स्क्रीन को पूरी तरह से सुरक्षित रखने में मदद करता है। क्योंकि इनके अंदर जो फ्लेंजेस बने हैं।


ट्रैन कैसी चलती है।

 उनकी मदद से अगर यह पहिए ट्रैन से फिसल कर जाना भी चाहे तो भी नहीं जा सकते हैं दोस्तों जब हम प्योर रेल ट्रैक की बात कर ही रहे हैं तो लगे हाथ हम आपके इस सवाल का भी जवाब दे देते हैं। जब प्रेम मूर्ति है। तो वह किस तरह से मुंह करके अपना आगे का सफर तय करती है।


 तो दोस्तों इस चीज का जवाब भी हमारी इस पोस्ट में आपको बहुत आराम से मिल जाएगा क्योंकि हम आपको बता दें कि जो ट्रेन के भाइयों का आकार होता है। वह बिल्कुल फ्लैट नहीं होता बल्कि थोड़ा-थोड़ा कौन शेप में होगा और अब पार्ट का जो ढाई मीटर होता है। वहीं अपार्ट के मुकाबले काफी कम होता है।

 एग्जांपल के लिए देख सकते हैं। कि अगर कोई ट्रेन लेफ्ट साइड में ट्रैन रही है। तो लेफ्ट साइड वाले ट्रैन का जो पटरी से है। और राइट साइड वाले पहिये थोड़ा कम होगा।


क्या ट्रैन के लेफ्ट साइड के पहिये कम दूरी तय करनी पड़ती है।

 कि अगर आसान भाषा में कहा जाए तो लेफ्ट साइड की ओर राइट साइड के पहिए के मुकाबले थोड़ी कम दूरी तय करनी होती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आप हरि सिंह को ही देख लीजिए क्योंकि सर्किल में होता है। क्योंकि जो रेसिंग का ग्राउंड होता है। वह सर्किल में होता है। इसलिए जो लोग साइड में खड़े होकर दौड़ते हैं। वह लोग कम डिस्टेंस कवर करनी होती है।


 ऐसे में किसी के साथ भी हुई नाइंसाफी ना हो इसी वजह से साइड में खड़े था वक्त सबसे पीछे खड़ा किया जाता है। उसके बाद जो आउटसाइड में धार खड़ा होता है। जिसको सबसे ज्यादा डिस्टेंस कवर करनी होती है। इसलिए उसको सबसे आगे खड़ा कर दिया जाता है। और इसी तरह से ट्रैन पीछे आगे होकर चलती रहती है। और दो उसको सबसे आगे खड़ा कर दिया जाता है।


 और इसी तरह से पीछे आगे होकर चलती रहती है। दोस्तों ठीक है ऐसे ही यहां पर भी होता है। जैसा कि आप देख रहे हैं। कि जब ट्रैन आगे जाकर मुड़ती है। तो यह जो लाइन होती है।जिसे हम पॉइंट ऑफ कांटेक्ट बोलते हैं। ट्रक आपस में कांटेक्ट कर रहे हैं।


 इनमें जैसे-जैसे ट्रेन में साइड में उड़ रही है। पहिये का पॉइंट कांटेक्ट में जा रहा है। यानी कि जो कम डायमीटर वाली जगह है। वहां पर जा रहे हैं। ताकि पहियों को कम डिस्टेंस कवर करनी पड़ेगी और दूसरा साइड जहां हम दूसरे कमांडेंट देख रहे हो इधर साइड की तरफ आ गया इसलिए ज्यादा डायमीटर वाली जगह पर पहुंच गया पूरा विश्वास है।


जब ट्रेन मुड़ती है।तो उसके पहिये किस तरह काम करती है।

 कि इससे डायग्राम और हमारे समझाने से आपको समझ में आ गया हुआ कि जब ट्रेन मूर्ति है। तो उसका मैकेनिज्म किस तरह काम करता है। उसके साथ ही दोस्तों एक बात और ध्यान देने वाली है। वह यह कि जब ट्रैक बनते हैं। तो उसका जो करो वह वाला पार्ट होता है। उसके आउटर पार्ट को थोड़ा ऊपर बनाया जाता है। इसी कारण से ट्रेन को मोड़ने में और आसानी होती है।


अगर हम फिजिक्स की बात करे।

 वैसे अगर हम फिजिक्स की बात करें तो यहां पर सेंट्रीफुगल फोर्स भी काफी वारंट है। और बहुत सारी कैलकुलेशन करने के बाद ही इस तरह के रेल ट्रैक बिछाए जाते हैं। किसी भी अगर इंसान का काम इस तरह के ट्रैक को डिजाइन करने का नहीं होता इन सभी चीजों के पीछे साईंस होती है। जिससे पूरी तरह से लगाकर ही पूरा काम किया जाता है।


 वरना हादसों को होने में 1 सेकंड में नहीं लगेगा तो दोस्तों हमें लगता है। कि आप इस बात को पूरी तरह समझ गए होंगे कि तेरा ड्रिंक की पटरियों पर जब ट्रेन चलती है। तो बिना किसी दिक्कत के आराम से चलती रहती है।


 बाकी दोस्तों अब वक्त है। आपसे अलविदा लेने का आपको हमारी आज की पोस्ट कैसी लगी हमें कमेंट करके बताइएगा और ऐसे इंटरेस्टिंग पोस्ट को लगातार देखने के लिए हमारे वेबसाइट को लाइक शेयर और सब्सक्राइब करना ना भूले और हम फिर मिलेंगे नई पोस्ट में तब तक के लिए जय हिंद जय भारत 

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