Tuesday, October 10, 2023

अघोरी बाबा कहाँ मिलेंगे

दोस्तो तो एक बार फिर से स्वागत है। आपका Technical prithvi में। आज के इस पोस्ट में जानिए अघोरी साधुओं से जुड़े रहस्य जो आप नहीं जानते होंगे भांग और धतूरे के नशे में लीन भर राख से सने हुए अघोरी बाबाओं के बारे में आप लोगों ने सुना ही होगा

अघोरी बाबा की जानकारी

पर आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्होंने कुंभ के मेले में इनका साक्षात दुरूप देखा होगा ऐसा कहा जाता है। कि अघोरी साधु शिव का रूप होते हैं। लेकिन इनके जीवन की असली सच्चाई क्या होती है। और उनसे जुड़े ऐसे कौन से रहते हैं। जो हम इंसानों को पता नहीं है। इन सभी चीजों को जानने के लिए मेरे यानी अपने दोस्त prayag kumar के इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।


आज हम अघोरी बाबाओं के बारे में कुछ ऐसी बातें बताने वाले हैं। जो शायद ही आपने कभी सुनी होंगी चली post को शुरू करते हैं। लेकिन post शुरू करने से पहले छोटी सी रिक्वेस्ट है। पोस्ट के नीचे रेड कलर का सब्सक्राइब बटन दिख रहा होगा उस पर क्लिक करके सब्सक्राइब करें। ताकि आपको पोस्ट मिले सबसे पहले


दोस्तो कई सारे लोगों की मान्यता है। कि अघोरी कलयुग में भगवान शिव का जीवित रूप है। शिवजी के 5 रूपों में से अघोरी और भी ग्रुप है। और यही कारण है। कि अघोरी बाबा अधिकतर शिवजी की आराधना करते हैं। हालांकि वो अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए मां काली की पूजा करते हैं। और इन्हीं सब अघोरी साधुओं के बारे में हमेशा लोगों को जिज्ञासा रहती है।


भांग धतूरे के नशे में चूर है। साधु लोगों से दूरी बनाकर रखते हैं। और इन्हें जीवन यापन करने के लिए किसी भी प्रकार की सुख सुविधाओं की जरूरत नहीं होती है। ये भी कहा जाता है। कि अघोरियों के पास भूतों और परितो से बात करने के लिए खास प्रकार का यंत्र मौजूद होता है। भूत की बात भी सुनने में आती है। कि अघोरी बाबाओं के पास काली शक्तियां भी होती है।


इसी वजह से वह मरे हुए लोगों से भी बात कर सकते हैं। तो वैसे भी मानना है। कि अघोरी बाबा जल्दी किसी को आशीर्वाद नहीं देते पर यदि वह किसी को आशीर्वाद दे दे तो उसका जीवन सुख में हो जाता है। और ऐसा होने की सबसे बड़ी वजह यह है। कि इनका जीवन बहुत ही ज्यादा सरल तरह का होता है। क्योंकि राख से लिपटी इंसानी मांस खाने वाले और जादू टोना करने वाले अघोरी एक अलग ही तरह के तो रखते हैं।


पूरी शब्द का संस्कृत में मतलब होता है। उजाले की ओर शब्द को पवित्रता और सभी प्रकार की बुराइयों से मुक्त भी समझा जाता है। यूं तो अघोरियों के रूप में कोई भी बेवकूफ बनाने आ सकता है। लेकिन अघोरियों की सबसे बड़ी पहचान यही है। कि वह कभी किसी से कुछ मांगते नहीं है। इसके अलावा यह शमशान में आते जाते समय या फिर कुंभ के मेले में आपको दिखाई देंगे।


 अगर आप इलाहाबाद में लगने वाले कुंभ के मेले में जाएंगे तो आपको अघोरियों की बड़ी भारी संख्या देखने को मिलेगी वरना इन सब के बावजूद ये हिमालय या फिर किसी अकेली जगह पर अपनी साधना में लगे रहते हैं। दोस्तों यह बात भी सच है। कि बहुत सारे इंटरव्यूज और डॉक्यूमेंट्री इसमें कई सारे अघोरी बाबाओं ने बात मानी है। कि वह इंसानों का मांस खाते हैं। सिर्फ अघोरी श्मशान घाट में रहते हैं। और लाशों का मांस खाते हैं। उसके अलावा यह मर चुके शरीर के अंदरूनी का प्रयोग भी करते हैं।


 जिससे इनका यह मानना है। कि ऐसा करने से उनकी शक्तियां बढ़ जाती है। दोस्तों जिन चीजों को मनुष्य गलत मानता है। होने अघोरी बनाते हैं। अब जैसे आपको शायद ही कोई शख्स घूमता तहलका दिख जाएगा क्योंकि उसके अंदर शर्म होती है। और यह महसूस होता है। कि कोई उन्हें देखता है। लेकिन यह भावना अघोरियों के मन में बिल्कुल भी नहीं होती दोस्तों अघोर विद्या इंसान को ऐसा बनाती है। कि वह अपने और पराए का अंतर भूलकर हर व्यक्ति को समान रूप से देखना शुरू कर देता है।


तुम्हें कहा जाए तो अगोरी उसे कहते हैं। जिसके अंदर अच्छे बुरे सुगंध दुर्गंध प्रेम नफरत इस तरह के सारे भाग मिट जाते हैं। सभी तरह के वैराग्य को प्राप्त करने के बाद यह साधु श्मशान में कुछ दिन गुजारने के बाद उन्हें हिमालय और जंगल में चले जाते हैं।


अघोरियों के बारे में यह भी कहा जाता है। कि बड़े प्रवृत्ति के इंसान होते हैं। जो खाने-पीने में भी किसी तरह का कोई परहेज नहीं करते यानी कि रोटी मिले तो रोटी मिले तो खाता है। बकरा मिले तो बकरा और अगर कुछ ना मिले तो मानो का शरीर भी खा सकते हैं।


और यह तो फिर भी ठीक है। अघोरियों चढ़ते पशु का मांस तक खा जाते हैं। जिससे आप इनके व्यक्तित्व का अंदाजा लगा सकते हैं। कि किस तरह की जिंदगी जीते हैं। हालांकि यह गाय का मांस छोड़कर बाकी सभी जीवो का मांस खाते हैं। अघोरियों के लिए गाय पवित्र होती है। और इसी वजह से यह लोग गाय का मांस नहीं खाते है। 


अगर किसी भी जीव का मानदेय दिया जाए कि खा सकते हैं। दोस्तों अगर आप लोगों ने सच्चे अघोरियों की तस्वीर देखी होगी तो आपने पाया होगा कि इनके पास इंसानी खोपड़ी जरूर होती है। आपको यह जानकर आश्चर्य हो लेकिन इन्हीं खूबियों को भोजन के पात्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं।


अघोरियों करने की नेपाली भी कहा जाता है। और कहा जाता है। कि प्रेरणा भी इन्हें शिव से ही मिली है। क्योंकि कहानियों के अनुसार एक बार शिव ने ब्रह्मा का सिर काट दिया था और उनका सिर लेकर उन्होंने पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाए थे और उनका सिर लेकर उन्होंने पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाए थे और यही कारण है।


 कि अघोरी भी अपने साथ हमेशा इंसान का शरीर रखते हैं। वैसे अगर इंसान के शरीर की खोपड़ी ना हो तो उसी के प्रति की कोई माला भी पहन लेते हैं। हाथ में चिमटा कमंडल कान में कुंडल कमर में कमर बंद और पूरे शरीर पर रख मिले हुए काफी तरह के चित्र रूप धारण किए रहते हैं।


अब प्रश्न उठता है। कि इन सब चीजों के साथ इनका असली संबंध क्या है। आखिर इन सब चीजों को धारण करने की इनके असली वजह क्या है। दोस्तों तांत्रिक विद्या की मानें तो मांस मदिरा मत्स्य मैथुन मुद्रा के प्रयोग से अघोर तंत्र शक्तियां और ज्यादा प्रबल हो जाती है। लेकिन यह बात बहुत जरूरी है। कि इन सभी वस्तुओं को कि वघुर दीक्षा के प्रयोग में ही लाया जाए


इसे अघोरी ही धारण कर सकता है। क्योंकि सांसारिक लोगों को इसका सेवन और प्रयोग दोनों ही वर्जित है। अगर हम कम शब्दों में कहें तो अघोरियों की जिंदगी काफी ज्यादा अलग होती है। जाम की जिंदगी जीने का एकमात्र मकसद ऐसी शक्तियों को प्राप्त करना होता है। जिससे वह इंसान ही दुनिया के साथ-साथ दूसरी दुनिया के लोगों के साथ भी संपर्क बना सके।


 तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही उम्मीद है। आपको हमारी आज की post काफी पसंद आई होगी बाकी आप अघोरियों के बारे में क्या कहना है। हमें कमेंट करके जरूर बताना और ऐसे इंटरेस्टिंग पोस्ट को लगातार देखते रहने के लिए हमारे website को सब्सक्राइब जरूर करे।और अपने दोस्तों के पास जरूर शेयर करे।तो दोस्तो हम फिर मिलेंगे नई पोस्ट के साथ तब तक के लिए जय हिंद जय भारत

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