Saturday, April 13, 2024

मृत्यु के बाद कितने दिनों तक आत्मा धरती पर रहती है

मृत्यु के बाद कितने दिनों तक आत्मा धरती पर रहती है

 दोस्तो मृत्यु जीवन का शासन सकती है। लेकिन मृत्यु को लेकर कई लोगों के मन में अलग-अलग धारणाएं होती है। इस संबंध में अक्सर लोग प्रश्न करते रहते हैं। कि क्या वाकई में मृत्यु के समय कोई मिलती है। क्या मृत्यु के बाद यमलोक की यात्रा शुरू होती है यह सब कुछ भ्रम है। और अगर ऐसा होती है तो आखिर मृत्यु के कितने दिनों के बाद आत्मा यमलोक पहुंचती है।

मृत्यु के बाद कितने दिनों तक आत्मा धरती पर रहती है


सज्जन है तो वह आसानी से अपने प्राण त्याग देता है परंतु यदि वह आती है तो हम दूसरों के भय से ग्रस्त होकर आह आह की आवाजें निकालते हुए सरपंच अब्दुल उसके गले में पांच बांधकर उसे ही यमलोक ले जाते हैं। अजूबा रास्ता अंधेरे और घर में बालू से भरा होता है।


 यमलोक पहुंचने पर पापियों को यातनाएं दी जाती है फिर उसे धर्मराज के कहने पर 13 दिनों तक के लिए अपने उत्तर कार्यों की पूर्ति हेतु आकाश मार्ग से घर पर छोड़ दिया जाता है घर आकर वह जीवात्मा अपने शरीर में फिर से घुसने का प्रयास करती है लेकिन यमदूत के पाश से मुक्त नहीं हो पाती है जब तक उस आत्मा के वंशज आधार पुत्र आदि उसका पिंड दान नहीं करते हैं तब तक वह आत्मा भूखी प्यासी रहती है।


 फिर दसवे दिन किए गए पिंडदान से उक्त आत्मा को चलने की शक्ति मिलती है पिंड दान करना आवश्यक माना गया है हिंदू धर्म में पिंडदान करना आवश्यक माना गया है मृत्यु के यमदूत यमलोक की यात्रा तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं जिन्हें फिर शुरू होती है यमलोक की यात्रा तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं। अर्जी मार्ग आज श्रीमाधोपुर ब्रह्मलोक की यात्रा के लिए होता है।


 सर्वोच्च मार्ग माना गया है वहीं धूम मार्ग की यात्रा के लिए होता है और सब शांति मार्ग उत्पत्ति में राजमार्ग है जो कि नर्क की यात्रा के लिए होता है उसका सबसे खराब माना गया है इसमें मृत आत्मा को वेतन नहीं नदी को पार करना पड़ता है जिसे पार करने में उसे पूरे 47 दिनों का समय लगता है और 47 दिनों का यह सफर बहुत ही कष्टदायक होता है प्यास से बेचैन आत्मा यमलोक पहुंचती है यमलोक में भगवान चित्रगुप्त पुष्प रानी के सभी कर्मों का लेखा जोखा धर्मराज के समक्ष प्रस्तुत करते हैं फिर आधार पर धर्म राज्य निश्चित करते हैं कि आपकी आत्मा को किस नर्क में भेजा जाएगा गरुड़ पुराण में लगभग 36 प्रकार के नामों का उल्लेख किया गया है जो मनुष्य की कल्पना से भी ज्यादा पाया व और कष्टदायक है।दोस्तो जो मनुष्य धर्म का पालन कर सत्कर्म करता है वह बिना किसी कष्ट के सीधा स्वर्ग जाता है।


 स्वर्ग के समर्थकों को भोक्ता है ऐसा मनुष्य अपनी इच्छा अनुसार नया जीवन प्राप्त कर सकता है अथवा जन्म मृत्यु के बंधनों से मुक्त होकर सीधे परमात्मा में विलीन हो जाता है तो मित्रों यदि कथा मृत्यु के बाद के सफर की जैसे आप जान ही गए होंगे कि मनुष्य को जीते जी के साथ कैसा करना चाहिए ऐसा नहीं हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी यदि आप भी कुछ एक सकारात्मक विचार रखते हैं। अगर आपको इसके विषय मे कुछ कहना है।तो कमेंट करे


मिलते है नई पोस्ट के साथ तब तक के लिए जय हिंद जय भारत

धन्यवाद

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