Saturday, September 23, 2023

महिला आरक्षण बिल कब से लागू होगा

 

लोकसभा और विधानसभाओं में जब दर्शकों के इंतजार के बाद महिला आरक्षण का रास्ता साफ होता दिख रहा है तब यह सवाल भी उठने लगे हैं कि यह अपनी मंजिल तक कब पहुंचेगा। महिला आरक्षण 2023 में आ तो गया । लेकिन क्या यह 2024, 2029 या उसके बाद भी हकीकत बन पाएगा । 

महिला आरक्षण बिल कब से लागू होगा

इस सवाल के उठने का कारण है। परिसीमन जैसे कराए बगैर महिला आरक्षण कानून लागू नहीं हो सकता। परिसीमन यानी निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया सवाल यह भी उठता है कि जब सभी राजनीतिक दल इसके समर्थन में है तो इसके लागू होने की समय अवधि पर सवाल क्यों उठ रहे हैं । 


लेकिन एक समस्या जो प्रस्तावित बिल का हिस्सा है वह यह कहती है कि आरक्षण आधारित बदलाव जनगणना के बाद ही लागू होंगे और सभी निर्वाचन क्षेत्रों को जनगणना के डाटा के आधार पर फिर से तैयार किया जाएगा । 


महिला आरक्षण बिल कब से लागू होगा

महिला आरक्षण के मुद्दे पर भले ही विपक्षी दलों ने अपना समर्थन दिया हो लेकिन साथ ही सरकार को सवालों के कटघरे में भी डाल दिया है। दरअसल विपक्ष का कहना है कि बिल तो पास हो जाएगा और कानून भी अस्तित्व में आ जाएगा। लेकिन असल में महिलाओं को किस चुनाव में आरक्षण मिलेगा  । 


इसका सटीक जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। भारत में समय-समय पर जनसंख्या के आधार पर लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन किया जाता है। इसी को परिसीमन कहा जाता है। इस परिसीमन के साथ ही बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप संसद और विधानसभाओं में उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या भी बढ़ने की उम्मीद है। 


भारत में वर्ष 1976 में संवैधानिक संशोधन के बाद लोकसभा में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या का विस्तार वर्ष 2001 तक के लिए रोक दिया गया था। फिर 2001 में संविधान संशोधन करके इसे वर्ष 2026 तक के लिए फ्रिज कर दिया गया। वर्ष 2008 में देश के कुछ राज्यों में निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन किया गया और 2009 में अगले आम चुनाव हुए ।


लेकिन इसमें सीटों की संख्या नहीं बढ़ाई गई और लोकसभा सदस्यों की संख्या 543 ही रही। इस दौरान देश की जनसंख्या में वृद्धि होती गई। भारत में जनसंख्या के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। विभिन्न राज्यों में शहरीकरण की गति अलग-अलग दर से बढ़ रही है। फल स्वरुप हर मतदाता को प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए लोकसभा सदस्यों की संख्या बढ़ाना जरूरी हो गया है। 


अब सरकार कह रही है कि महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद ही लागू होगी। इसका मतलब है कि आरक्षण भविष्य में बढ़ाई जाने वाली सीटों के आधार पर दिया जाएगा । 


ताजा जनगणना को स्वाभाविक रूप से निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्गठन और विस्तार का आधार माना जाता है। भारत में आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी। हर 10 साल में यह प्रक्रिया होती है लेकिन 2021 में जनगणना नहीं हो पाई थी। अगली जनगणना कब होगी इसको लेकर भी अनिश्चितता है। भारतीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार 2001 के संविधान संशोधन के अनुसार लोकसभा सदस्यों की संख्या 2026 के बाद ही बढ़ाई जा सकती है। 


यानी साल 2026 के बाद 2031 में होने वाली जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और विस्तार किया जाएगा। तब तक 2001 की जनगणना के अनुसार मौजूदा निर्वाचन क्षेत्रों की संरचना वही रहेगी । 


महिला आरक्षण 2024 में नहीं तो कब ?

इस सवाल पर विचार करने से पहले यह जान लेते हैं कि निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन यानी परिसीमन का अर्थ क्या है। दरअसल परिसीमन का अर्थ है। जनसंख्या के अनुसार देश में लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचन क्षेत्रों की जनसंख्या का निर्धारण करना ।


बेशक समय के साथ बदलती आबादी के हिसाब से यह एक सतत प्रक्रिया है। इसके लिए कानून बनाकर परिसीमन आयोग की स्थापना की जाती है। इस आयोग का गठन साल 1952, 1962, 1972 और 2002 में कानून के जरिए ही किया गया था। इस आयोग को संविधान द्वारा शक्तियां और स्वायत्तता प्रदान की गई है। 


उनके लिए गए निर्णय को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। जनसंख्या किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की सीमा तय करने का मापदंड है। प्रत्येक राज्य को उसकी जनसंख्या के अनुपात में लोकसभा सीटें मिलती है। यह एक व्यक्ति एक वोट के फार्मूले पर तैयार होता है। 


यानी हर वोट का प्रतिनिधित्व संसद में होना चाहिए। छह विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर एक लोकसभा क्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र है। उन्हें 2021 की जनगणना के अनुसार 2002 में गठित आयोग ने तय किया था। साल 2002 में किए गए संविधान संशोधन के अनुसार 2026 तक इन निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा यथावत रहेगी ।


2026 के बाद पहली जनगणना 2031 में होगी। इस जनगणना के बाद अंतिम आंकड़े आने में भी थोड़ा वक्त लगेगा और इसके बाद परिसीमन आयोग का काम शुरू होगा। उस प्रक्रिया को पूरा करना और आखिरकार पुनर्गठन और बड़े हुए निर्वाचन क्षेत्रों की घोषणा करना भी एक लंबी प्रक्रिया होगी। इसमें कुछ साल लग सकते हैं । 


महिला आरक्षण 2029 में लागू होगा ? 

अगर जनगणना योजना के अनुसार 2031 में होती है तो महिला आरक्षण 2029 के चुनावों के बाद ही वास्तविकता बन सकता है। इससे पहले भी महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने आ चुके हैं।। अब ऐसे में यह मुद्दा यह है कि महिला आरक्षण कैसे लागू किया जाएगा। यह मतदाताओं के लिहाज से भी अहम है। 


सवाल यह है कि मतदाता यह मानेंगे कि सालों से लंबित आरक्षण अब कानून के जरिए लागू होगा या फिर यह मतदाताओं की ना खुशी की वजह बनेगा क्योंकि आरक्षण निकट भविष्य में तो लागू नहीं हो पाएगा। आगामी चुनावों में महिला उम्मीदवारों के लिए कोई आरक्षण नहीं होगा। लेकिन यह तय है कि आरक्षण का यह मुद्दा चुनावों में गर्म रहेगा। 

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