Thursday, December 8, 2022

भगवान परशुराम ने कर्ण को श्राप क्यों दिया था?

 

दानवीर कर्ण के बिना महाभारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। साथी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कौरवों के सेनापति करण अपने प्रतिद्वंदी अर्जुन से भी बड़े धनुर्धर थे । जिसकी तारीफ स्वयं भगवान कृष्ण ने की थी। करन ना ही एक शक्तिशाली योद्धा थे बल्कि बहुत बड़े दानवीर भी थे। वह बिना युद्ध का परिणाम सोचे अपने कवच और कुंडल तक दान में दे चुके थे। 

भगवान परशुराम ने कर्ण को श्राप क्यों दिया था?

लेकिन कहते हैं कि कुल संगति का असर घातक होता है और यह करण की दुर्योधन से मित्रता का ही परिणाम था जिसके कारण उन्होंने कई गलतियां की जिसने ना ही सिर्फ करण को महाभारत के युद्ध में कमजोर बनाया । बल्कि अंत में यह कर्ण की मृत्यु का कारण भी बना। आज की पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि भगवान परशुराम ने कर्ण को क्यों श्राप दिया था । वह श्राप जो कर्ण के लिए प्राणघातक सिद्ध हुआ साथ ही जब करण के अंतिम समय में  भगवान परशुराम करण से मिलने पहुंचे तो उन्होंने उस समय करण से क्या कहा था। आइए जानते हैं । 


भगवान परशुराम ने कर्ण को श्राप क्यों दिया था?

दर्शकों आप सभी को पता है कि कुंती पुत्र कर्ण का पालन पोषण एक रत चालक के घर हुआ था जिसके कारण उन्हें सूत पुत्र भी कहा जाता है। उनकी वीरता को देखते हुए दुर्योधन ने उन्हें अंग देश का राज देश का सिंघासन दिया । और जरासंध की हारने के बाद कर्ण को चंपा नगरी का राजा भी बनाया । ऐसी दानवीर कर्ण जैसे महान योद्धा का जीवन किसी तपस्या से कम नहीं था। 


कर्ण को कई ऐसे कर्मों का परिणाम भी भोगना पड़ा जिसमें उनकी कोई गलती नहीं थी । लेकिन फिर भी अनजाने में किए हुए कर्म और दूसरों की भलाई के कारण वश उन्हें 3 श्राप मिले जो प्राणघातक हुए और उन्हें महाभारत के निर्णायक युद्ध में अर्जुन के हाथों वीरगति प्राप्त हुई। 


कर्ण को श्राप किसने दिया था 

दोस्तों आपको बता दें कि कर्ण को जो 3 श्राप मिले थे । उनमें से 2 श्राप 2 ब्राह्मणों ने दिए थे। यह दोनों श्राप उन्हें अनजाने में बाण चलाने के लिए मिले। इसके अलावा तीसरा श्राप उन्हें भगवान परशुराम ने दिया था। भगवान परशुराम ने कर्ण को श्राप क्यों दिया था। करण को परशुराम ने श्राप में क्यों दिया । इसका उत्तर महाभारत की एक कथा में मिलता है। 


करण जब धनुर्विद्या सीखने के लिए गुरु द्रोणाचार्य के पास पहुंचे तो उन्होंने करण के सूत पुत्र होने की वजह से उन्हें। शिक्षा देने से मना कर दिया करण इससे निराश होकर भगवान परशुराम के पास पहुंचे। परशुराम जी ने कर्ण की प्रतिभा को देखकर कर्ण को अपना शिष्य बना लिया। एक दिन अभ्यास के समय जब परशुराम जी थक गए थे तो उन्होंने करण से कहा कि मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूं। 


तब कर्ण ने परशुराम जी के सिर को अपने जांघ पर रखा और परशुराम जी आराम करने लगे थोड़े समय बाद एक बिच्छू आया जो करण की जांघ पर डंक मारने लगा तब कर्ण ने सोचा कि यदि मैं अपनी जंघा हटा लूंगा तो गुरुदेव की नींद टूट जाएगी। इसीलिए कर्ण हिला तक नहीं और उससे बिच्छू के डंक मारने दिया । 


भगवान परशुराम ने करण को क्या श्राप दिया 

जिसके कारण उनकी जांघ से काफी खून बहने लगा और करण को भयंकर कष्ट होने लगा। जब रक्त धीरे-धीरे परशुराम के शरीर तक पहुंचा। तब भगवान परशुराम की नींद खुल गई। परशुराम जी उठ गए और यह देखकर भगवान परशुराम क्रोधित हो गए और कहने लगे कि इतनी सहनशीलता किसी क्षत्रिय में ही हो सकती है। पश्चात पर क्रोधित होकर बोले, तुमने मुझसे झूठ बोलकर ज्ञान प्राप्त किया है। 


इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि जब भी तुम्हें मेरी दी हुई विद्या की जरूरत होगी, उस समय तुम्हें वह काम नहीं आएगी। दरअसल भगवान परशुराम क्षत्रियों को ज्ञान नहीं देते थे। उन्होंने करण को ब्राह्मण पुत्र जानकार ही ज्ञान दिया था ऐसे में क्रोधित होकर उन्होंने कर्ण को श्राप दिया और अंत में महाभारत के युद्ध के दौरान जब करण और अर्जुन के बीच युद्ध चल रहा था तब भगवान परशुराम की दी हुई विद्या को करण भूल गए। 


करन के अंतिम समय में भगवान परशुराम क्यों आया रणभूमि में 

महाभारत की रणभूमि में जब करण अपने आखिरी समय में थे तब भगवान परशुराम उनके पास आए और कहने लगे कि इसी दिन के लिए तो मैंने कर तुम्हें श्राप दिया था। हे पुत्र इस युद्ध में विजय होने से तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा यदि वासुदेव कृष्ण के होते हुए। तो विजय हो भी गए तब भी कंगाल हो जाओगे। 


इसलिए है दानवीर कर्ण विजय पर सिर्फ पांडु का ही अधिकार है और तुम लेने के लिए प्रसिद्ध नहीं हो, तुम तो देने के लिए ही प्रसिद्ध हो। अपने भाग्य से संधि कर लो। अभिमन्यु की हत्या में भाग लेकर तुम दुर्योधन के ऋण से मुक्त हो चुके हो। सबकुछ जानकर अनजान ना बनो । 


हे पुत्र मेरे आशीर्वाद की छाया में आओ और याद रखो। मृत्युलोक हो, चाहे स्वर्ग लोग जब भी वीरो महा वीरो की सभा में तुम्हारा नाम लिया जाएगा तो सभी वीर तुम्हारे नाम की जय जयकार करेंगे ।


तो दोस्तो उम्मीद करता हूं कि ये जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । ऐसे ही जानकारी के लिए आप हमारे ब्लॉग को subscribe जरूर करें । हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,


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