Sunday, November 27, 2022

महाभारत के सबसे खतरनाक हथियार

  

प्राचीन या पौराणिक काल में पांच सबसे महाप्रलयंकारी अस्त्र थे । पहला ब्रह्मास्त्र, दूसरा नारायणास्त्र, तीसरा, पाशुपतास्त्र और चौथा वज्र, पांचवा सुदर्शन चक्र आइए जानते हैं। ब्रह्मास्त्र के बारे में 10 खास बातें आज की पोस्ट में ।

महाभारत के सबसे खतरनाक हथियार


ब्रह्मास्त्र के 10 खतरनाक हथियार

ब्रह्मास्त्र छोड़े जाने के बाद भयंकर वायु जोरदार तमाचा मारने लगी। तभी उल्का आकाश से गिरने लगे। भूत मात्र को भयंकर महा भय उत्पन्न हो गया। आकाश में बड़ा शब्द हुआ आकाश जलने लगा। पर्वत और अन्य वृक्षों के साथ पृथ्वी हिल गई। 


किसने बनाया ब्रह्मास्त्र

वेद पुराणों आदि में वर्णन मिलता है। जगत पिता भगवान ब्रह्मा ने देत्याओ के नाश हेतु ब्रह्मास्त्र की उत्पत्ति की थी। ब्रह्मा का अर्थ होता है। ब्रह्म आनी ईश्वर का अस्त्र । इंसानों को मिला। ब्रह्मास्त्र प्रारंभ में ब्रह्मास्त्र देवी और देवताओं के पास ही हुआ करता था। प्रत्येक देवी-देवताओं के पास उनकी विशेषता अनुसार अस्त्र हुआ करता था । देवताओं ने सबसे पहले गंधर्व को इस अस्त्र को प्रदान किया था और बाद में यह इंसानों ने हासिल किया। 


कितनी बार हुआ ब्रह्मास्त्र का प्रयोग 

कहते हैं कि प्राचीन भारत में कहीं-कहीं ब्रह्मास्त्र के प्रयोग किए जाने का वर्णन मिलता है। रामायण में भी मेघनाथ से युद्ध हेतु लक्ष्मण ने जब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहा तब श्रीराम ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि अभी इसका प्रयोग उचित नहीं है क्योंकि इससे पूरी लंका साफ हो जाएगी। लेकिन कहते हैं कि राम रावण युद्ध में ब्रह्मास्त्र का प्रयोग हुआ था। इसके बाद महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने किया था। 


किस किस के पास ब्रह्मास्त्र था

रामायण और महाभारत काल में यह अस्त्र गिने-चुने युद्धों के पास ही था। रामायण काल में जहां विभीषण और लक्ष्मण के पास ये अस्त्र था वही महाभारत काल में यह द्रोणाचार्य अश्वत्थामा , कृष्ण , कुलाश्व , युधिष्ठिर करण और अर्जुन के पास था। अर्जुन ने इसे गुरुध्रोनाचय से प्राप्त किया था। 


ब्रह्मास्त्र से पहले उत्पन्न हुआ था

ब्रह्मास्त्र कई प्रकार के होते थे। छोटे बड़े और व्यापक रूप से संघारक संरक्षित रासायनिक दिव्य तथा मानसिक अस्त्र आदि माना जाता है कि दो ब्रह्मास्त्रों के आपस में टकराने से प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी। इससे समस्त पृथ्वी के समाप्त होने का भय रहता था। महाभारत में सॉफ्ट पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के परिणाम दिए गए हैं। 


ब्रह्मास्त्र का परिणाम 

महर्षि वेदव्यास लिखते हैं कि जहां ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता था, वहां 12 वर्षों तक पर्जन्य दृष्टि यानी जीव-जंतु पेड़-पौधे आदि की उत्पत्ति नहीं हो पाती थी। महाभारत में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मास्त्र के कारण गांव में रहने वाली स्त्रियों के गर्भ मारे गए थे। यहां हम गौर करें कि हिरोशिमा में रेडिएशन फॉल आउट होने के कारण गर्भ मारे गए थे और उस इलाके में 12 वर्ष तक अकाल रहा। 


इससे यह सिद्ध होता है कि ब्रह्मस्त्रा भी परमाणु बम जैसे ही रहा होगा। ब्रह्मास्त्र कि काट इस अस्त्र शस्त्र का काट किसी के भी पास नहीं था कहते हैं कि ब्रह्मास्त्र को ब्रह्मा से ही रोका जा सकता है या इसे वापस लेकर इसके परिणाम से बचा जा सकता है। अश्वत्थामा ने जब अर्जुन और श्री कृष्ण पर ब्रह्मास्त्र चलाया था तब ऐसा ही हुआ था। माना जाता है कि यह अचूक और सबसे भयंकर अस्त्र है जो व्यक्ति इस अस्त्र को छोड़ता था। 


वह इसे वापस लेने की क्षमता भी सकता था। लेकिन अश्वत्थामा को वापस लेने का तरीका नहीं याद था, जिसके परिणाम स्वरूप उसने उतरा के घर की ओर इसे मोड़ दिया था, लेकिन इसके असर से मृत जन्मे शिशु को श्री कृष्ण ने जीवित कर दिया था। प्रत्येक शस्त्र पर भिन्न-भिन्न दिव्या देवी का अधिकार होता है । 


और मंत्र तंत्र के द्वारा उसका संचालन होता है। ब्रह्मास्त्र है अचूक शत्रु है । को शत्रु का नाश करके ही छोड़ता है। इसका प्रतिकार दूसरे ब्रह्मास्त्र से ही हो सकता है। अन्यथा नहीं ।


क्या ब्रह्मास्त्र परमाणु बम कैसा था? 

शोध कार्य के बाद विदेशी वैज्ञानिक मानते हैं कि वास्तव में महा भारत में परमाणु बम का प्रयोग हुआ था। 42 वर्ष पहले पुणे के डॉक्टर व लेखक पद्माकर विष्णु वर्तक ने अपने शोध कार्य के आधार पर कहा था कि महाभारत के समय जो ब्रह्मा से इस्तेमाल किया गया था, वह परमाणु बम के समान ही था। 


डॉक्टर वातक  ने 1969 से 70 में एक किताब लिखी। स्वयंभू में इसका उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि आधुनिक काल में जे रोबोट ओपन हाईवे ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए ब्रह्मास्त्र की संघार क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया। शिरणीति आनी त्रिदेव । 


महाभारत का असर आज भी है 

रोबोट के नेतृत्व में 1939 से 1945 के बीच वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया। 16 जुलाई 1945 को इसका पहला परीक्षण किया गया। क्या सिंधु सभ्यता ब्रह्मा से हो गई थी नष्ट, सिंधु घाटी, सभ्यता, मोहनजोदड़ो, हड़प्पा आदि में हुए अनुसंधान से ऐसे कई मिले हैं। 


जो लगभग 5000 से 7000 ईसा पूर्व अस्तित्व में थे। इन नगरों में मिले नर कंकालों की स्थिति से ज्ञात होता है कि मानो इन्हें किसी अकस्मात प्रहार से मारा गया है। इसके भी सबूत मिले हैं कि यहां किसी काल में भयंकर उसमा उत्पन हुई थी । इन नर  कंकालों का अध्ययन करने से पता चलता है कि इन पर रेडिएशन का असर भी था। 


दूसरी ओर शोधकर्ताओं के अनुसार राजस्थान में जोधपुर से पश्चिम दिशा में लगभग 10 मील की दूरी पर 3 वर्ग मील का एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर रेडियोएक्टिविटी की राख की मोटी परत जमी है। इस परत को देखकर उसके पास एक प्राचीन नगर को खोज निकाला गया जिसके समस्त भवन और लगभग 500000 निवासी आज से लगभग 8000 से 12 साल पूर्व किसी विस्फोटक के कारण नष्ट हो गए थे।


मुंबई का गड्ढा 

मुंबई से उत्तर दिशा में लगभग 400 किलोमीटर दूरी पर स्थित 2154 मीटर की परिधि वाला एक विशालकाय का एक गड्ढा मिला है ।  शोधकर्ताओं के अनुसार इसकी आयु लगभग 50000 वर्ष है और इस गड्ढे के शोध से पता चलता है कि प्राचीन काल में भारत में परमाणु युद्ध हुआ था ।


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