Saturday, November 26, 2022

इंसान को अपने कर्मों का फल कैसे मिलता है?

 

नमस्कार दोस्तों स्वागत है। आपका हमारे ब्लॉग में ज्योतिष कहता है कि मनुष्य अपने ही कर्मों का फल पाता है। हमारा कर्म हमे कैसे फल देता है। यह एक बहुत ही ज्ञानवर्धक छोटी सी कहानी से समझें। तो दोस्तो चलिए आपको बताते हैं । 

इंसान को अपने कर्मों का फल कैसे मिलता है?


इंसान को अपने कर्मों का फल कैसे मिलता है?

एक दिन एक राजा ने अपने तीन मंत्रियों को दरबार में बुलाया और पूछा कि हमारे राज्य में सबसे अच्छे बगीचे कौन-कौन से हैं। तीनों मंत्रियों ने अलग-अलग बगीचों के नाम बताएं। तभी राजा ने अपने तीनों मंत्रियों को आज्ञा दी कि एक एक थैला लेकर बगीचे में जाएं और वहां से अच्छे-अच्छे फल जमा करें। 


तीनों अलग-अलग बाग में प्रविष्ट हो गए। पहले मंत्री ने प्रयास किया कि राजा के लिए उसकी पसंद के अच्छे-अच्छे तथा स्वादिष्ट फल जमा किए जाएं। उसने काफी मेहनत के बाद बढ़िया और ताजा फलों से थैला भर लिया। 


दूसरे मंत्री ने सोचा राजा हर फल का परीक्षण तो करेगा नहीं। इसलिए उसने जल्दी-जल्दी थैला भरने में ताजा और कच्चे गले सरे फल भी ठेले में भर लिए। 


तीसरे मंत्री ने सोचा राजा को तो सिर्फ भरे हुए ठेले से ही मतलब होगा । वह खोल कर देखेगा भी नहीं कि इसमें क्या है। उसने समय बचाने के लिए जल्दी-जल्दी इसमें घास और पत्ते भर लिए और अपना समय बचाया। 


दूसरे दिन राजा ने तीनों मंत्रियों को उनके ठेलो के साथ दरबार में बुलाया और पूछा कि क्या सभी थैले में फल भर के लिए आए हैं। तीनों मंत्रियों ने हां में उत्तर दिया। राजा बहुत प्रसन्न हुआ, लेकिन उनके थैली खोल कर भी नहीं देखें और आज्ञा दी कि तीनों को उनके ठेलो समेत दूर स्थान के एक जेल में 15 दिन के लिए कैद कर दिया जाए। 


किस कर्म से कौन सी बीमारी होती है

ऐसा सुनकर तीनों मंत्री बहुत ही हैरान हुए। अब जेल में उनके पास खाने-पीने को कुछ भी नहीं था। सिवाय उन फल से भरे थैलों के । तो जिस मंत्री ने अच्छे अच्छे फल जमा किए थे, वह तो आनंद से खाता रहा और उसके 15 दिन बहुत आराम से व्यतीत हो गए। 


फिर दूसरा मंत्री जिसने ताजा कच्ची गली सड़े फल जमा किए थे, वह कुछ दिन तो ताजा फल खाता रहा। फिर उसे सड़े फल खाने पड़े जिससे वह बीमार हो गया और उससे बहुत कष्ट उठाना पड़ा ।


और तीसरा मंत्री जिसने ठेले में  घास और पत्ते जमा किए थे। वह कुछ ही दिनों में भूख से मर गया। अंत में कहानी का शिक्षक यह है। अब आप अपने आपसे पूछे कि आप क्या जमा कर रहे हो। 


कर्म का फल कब मिलता है

आप तीनों मंत्रियों के सम्मान इस जीवन रूपी बाग में है। जहां चाहे तो अच्छे कर्म जमा करें। चाहे तो बुरे कर मगर याद रहे जो आप जमा करेंगे। वही आपको जन्मों-जन्मों तक काम आएगा। 


दोस्तो उम्मीद करता हू कि ये जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । अगर आप ऐसे ही जानकारी अगर आप पढ़ना चाहते हैं । तो आप हमारे ब्लॉग को subscribe जरूर करें । हमारे ब्लॉग के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,



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