दोस्तो आज के इस पोस्ट के माध्यम से जानेगे। की क्या भागवत गीता में श्री कृष्ण अर्जुन से कहा था। क्या यही मनुष्य का विनाश का कारण है। तो दोस्तो आप इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।
श्री कृष्ण भागवत गीता ज्ञान ? मनुष्य का विनाश कब होता है?
क्रोधा भवति समोहा, समोहा विर्त्री व्रिधमा अस्मिति भव: बुद्धि नाशो बुद्धि नाशा नमस्ते:
है पार्थ
सामान्य पुरुष विषय का ध्यान करता है। और विषय का ध्यान उसको असत बना देता है। इस अस्सक्ति या लगाव से काम का जन्म होता है।
जब काम की पूर्ति नही होती तब क्रोध उत्पन होता है। जब क्रोध उत्पन्न होता है। तो विषय के प्रति मोह ओर बढ़ जाता है।
ओर जब मोह ओर बढ़ जाता है। पार्थ तो सोचने की शक्ति भटक जाती है। जब सोचने की शक्ति भटक जाती है। तो बुद्धि का नाश होता है।
श्री कृष्ण भागवत गीता ज्ञान ? मनुष्य का विनाश कब होता है?
ओर जब बुद्धि का नाश होता है। तो मनुष्य का सर्वांश हो जाता है। और हे कुंती के पुत्र तुम्हारा ये मोक्ष तुम्हे बुद्धि के विनाश की ओर ले जा रहा है।
दोस्तो mahabharat में बहुत कुछ बताया गया है। जो बताने लगे तो लगता है। बहुत ज्यादा लिखना पढ़ेगा। तो दोस्तो आज के खातिर इतना ही
तो दोस्तो क्या आपको कुछ इस विषय मे पूछना है। तो comment करके जरूर पूछे। तो उम्मीद करता हूं। कि ये पोस्ट आपको काफी ज्यादा पसन्द आया होगा।
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तो आज के लिए इतना ही अब हम चलते है। फिर मिलेंगे नई पोस्ट के साथ तब तक हमारे blogg के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो का दिल से धन्यवाद,,
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