Thursday, December 1, 2022

गाँजा पीने से क्या होता है?

 नमस्कार दोस्तो आज हम बात करने वाले है।कि गाँजा पीने से क्या होता है।अगर आप भी गाँजा पीते है।तो ये पोस्ट धयान से पढ़ियेगा।ओर आप नही पीते है।और आपके घर मे कोई वेक्ति गाँजा पिता है।तो ये पोस्ट आप जरूर पढ़ना।कियुकि गाँजा से रिलिटेड पोस्ट में आज लेकर आया हु।


भारत मे हजारों सालों से गांजा का सेवन किया जा रहा है।अत्रवेद में इनकी गिनती 5 महान पौधों में है।1985 से पहले इन पर कोई रोक टोक नही था।फिर राजीव ग़ांधी के सरकार 1985 में NDPS यानी नार्कोटि डार्कक्स सर्टिपोटिक सस्पेंट्स लेकर आई और गांजे पर बैंड लग गयी।
गाँजा पीने से क्या होता है?
कई लोग गांजे को हेल्थ के लिए खतरा बताते है।और कुछ लोग इसके मेडिकल बेनिफिट की ओर इशारा करते है।पीछे दर्शको में गाँजा को लेकर लीगल states की मांग बढ़ी है।और दुनिया के कई हिस्सों में इसे लीगल कर दिया गया है।


भाँग ओर गांजे में क्या अंतर है

नमस्ते मेरा नाम prayag kumar है।सिंसकारी के अप्पीसोड में हम एक dracks की बात करेंगे।जिसका नाम है।गाँजा इसे दूसरे नामो से भी जाना जाता है।मेरूवाना विड स्टॉप मॉल पॉट ग्रास etc.लेकिन ये सब गली मोहल्ले वाले नाम है।इसका असली नाम है।


मारिजुआना क्या है

(केनिबिस)एक पौधा होता है।जिसकी कई गरीति होती है।इसमें से दो गरीति बहुत फेमस है।दो नस्ल के पौधे 1.Cannabis sativa

2.cannabis Indica

Cannabis को हिंदी में भांग का पौधा कहते है।और इस पौधे से तीन dracks तैयार होते है।


  • गाँजा

  • भाँग 

  • चरस 


गांजे का पेड़ कैसा होता है।

गाँजा केनिबिस के फूलों से तैयार किया जाता है।आम तौर पर इन फूलों को शुखाकार ओर इन्हें जलाकर धुंए को अंडर लिया जाता है।स्मोक किया जाता है।लेकिन इसे खाने और घोल कर पीने तरीके भी होते है।


चरस क्या होता है।

चरस क्या होता है।कि केनिबिस के पौधे से निकले रेजिन से तैयार होती है।रेजिन आनी पेड़ पौधे से जो चिपचिपा मेटीरियल निकलता है।हिंदी में इसे रॉल कहते है।उस से तैयार होती है।चरस इसे हशीस या हेश भी कहते है।


गांजे के औषधीय गन

भाँग केनिबिस की पत्तियों ओर बीजो को पीसकर तैयार किया जाता है।और फिर उसे शुबिधा के मुताबिक लोग खाते है।और पीते है।


तो ये तीनो गाँजा भाँग चरस Psychoactive drug है।यानी ये हमारे दिमाग मे कुछ करते है।क्या करते है।High करते है।आम भाषा मे कहा जाए तो High करते है।High यानी उसमे जो नशा चढ़ता है उसे कहते है।


लेकिन जब कोई high होता है।तो उसके शरीर मे क्या होता है।यहाँ हमे थोड़ी सी केमेस्ट्री ओर बायलॉजी देखनी होगी।सबसे पहले केनिबिस की केमेस्ट्री 


केनिबिस के पौधे में कुछ specal type के केमकल होते है।इन है कहते है।केनिबोय केनिबिस केनिबोयस केनिबिस के पौधे में लगभग 150 सौ प्रकार के केबिसरोइस पाया जाता है।इन मे से दो केमकल specal होते है।


  • THC

  • CBD

THC क्या करते है।

जैसे कि शोले मूवी में जय ओर बीरू की जोड़ी थी वैसे गांजे में THC ओर BCD का जोड़े है।THC का पूरा नाम है।Delta9-TetraHydro Cannabinol THC जय बीरू वाली जोड़ी में बीरू है।धर्मेंद्र नटखट टाइप का आदमी है।

  • गाँजा 

  • भाँग 

  • चरस

इन से जो High होते है।यानी कि जो नशा महसूस होता है।वो Thc के कारण ही होता है।जितना ज्यादा thc होगा उतना ज्यादा high होगा उतना ज्यादा नशा चढ़ेगा 


CBD से क्या होता है।

CBD सोले का जय है।गम्भीर किस्म अमिता वचन टाइप का आदमी इसके अच्छी रेटिपिशन है।इस से नशा वशा नही होता है। बल्कि ये thc का उल्टा काम करता है आनी की ये thc के sitewe infect को काम करता है।


CBD कई बार घबराहट की समस्या में मधत गार साबित होता है।इन दो केनिबोयस की मात्रा ये desite करतीं है।कि यानी thc ओर cbd का मात्रा ये desite करती है।कि कोई कैसे high होती है।खासकर thc का मात्रा लेकिन ये


गांजे का नशा कितनी देर में उतरता है

जो भी हम सोचते समझते महसूस करते हूं।वो brain के दरिये करते है।दिमाग और दिमाग ये करता है।कि न्यूरॉन के दरिये न्यूरॉन्स यानी कि वो डाकि जो कि brain के दरिये send ओर recive होते है।यानी इसके दरिये सूचना का आदान प्रदान होता है।केनिबिस के नशे दौरान इन्ही न्यूरॉन्स के फेल हो जाता है।


न्यूरॉन्स में केनिबिनोस depictiorns होते है।मतलब की कुछ ऐसी जगह जहाँ केनिबोर्स जाके फिट हो सके।रिसेप्टर की कुर्सी होती है।जिस पर सिर्फ केनिबोयस ही बैठ सकती है।केनिबोयस के shet पर केनिबोयस ही बैठ सकते है।बाकी ओर दूसरे type के रेस्पेक्टर भी होते है।


एनिहि में से कुछ कुर्सियों पर यानी रेसिपेटर साइट पर thc जाकर फिट हो जाता है।और दिमाग मे हेरा फेरी हो जाती है।अब कहेंगे आर brain में केबिनाएड रिसपेस्ट पहले से मोहजूद है।इसका मतलब हमारा brain चाहता है।कि सेंइबिनाइएड हमारी बॉडी गाँजा फूंकने के लिए ही बनी है।


नही ऐसा नही है।कुछ केनिबिनाएड हमारी शरीर के अंदर ही बनते है।इन्हें इंडो केनिबिनाएड कहा जाता है।ये रेसिपेटर जो केनिबिनोएड चेप्टर हमारी न्यूरॉन्स में इन्ही सेंइबिनाइएड के किये बनी होती है।जो हमारी शरीर के अंदर में तैयार होते है।हमारे शरीर के अंदर एक केनिबोयस बनाता है।जिसका नाम है।एनडेमेंड इसका नाम संसकीर्ति आनद से आया है।


आनंद को एनमेंड बोलते है।ना वो लोग तो कई दौड़ने या exercise के बाद बहुत आनंद आता है।फ्रेश आता है।ऐसे ranahigh कहते है।आम भाषा मे आनी दौड़ने से ये आधी high हो जाता है।ये renshigh का अनुभव हमे ndds के कारण होता है।जिससे हमारा शरीर खुद ही आनद बनाता है।


एक कमाल की बात बताये केनिबिस में मोहजूद thc एस ndds माइंड की नकल करता है।जब कोई गाँजा फूंकता है।तो उसके खून से होते हुए सेंइबिनाइएड मार्ग में पहुँच जाता है।

दिमाग की जिन्हें सेंइबिनाइएड septar की मात्रा ज्यादा होती है।


उन्हें नशा ज्यादा होता है।हमारे brin के 3 हिस्से है।जहाँ केनिबीएड septar के अच्छी खाशी मात्रा होती है।

  • हिपोकैंपस

  • सेरेबेलम

  • बेसल गंगिलिया

ये होती है।से जहाँ सेंइबिनाइएड अच्छी खासी होती है।जब thc cbd जैसे सेंइबिनाइएड इन्हें 3 हिस्सो में जाते है।तो उन्से जुड़े हमारे brain के जो functions है।वो परभावित होते है।इन से जुड़े functions जैसे कि 

  • शॉर्ट-टर्म मेमोरी

  • केओडिनेशन

  • लर्निग

  • प्रॉब्लम सोलिविंग

  • प्लेजर

लोगो को काफी महसूस होता है।यानी कि मजा आता है।टाइम पर सेक्शन वेगेरा भी हिल जाता है।यानी कि समय की सूझ भुझ नही रहतीं है।ये सब एपेक्ट हर किसी के लिए अलग अलग होते है।


लेकिन ये सब फूंकने के दौरान होता है।यानी सॉर्ट फुकसेंसे होते है।


चरस पीने का नुकसान

गाँजा फूंकने से होने वाले नुकसान पर बहोत लिमिटेड research इलीगल है।इसके आबेद होने के करण ये अलग अलग लोगों पर अलग अलग असर करता है।लेकिन ये बात पक्की है।कम उम्र में गांजे का सेवन करने वालो का brain बुरी तरह के प्रभित होता है।जब तक हम 20 साल के नही होते है।हमारा दिमाग पूरी तरह से डेवलप नही होता है।


डेप्वाप सविंग्ग में होता है।और कई स्टेप में पाया गया है।की किसोर अवस्ता में गाँजा फूंकने वालो की brain पर बुरा असर पड़ता है।यानी सोचने समझने और ज्ञान हासिल करने की छमता प्रभवित होती है।वो पूरी तरह से us के acedamy sons साइंसेस एंजेरिंग मेडिसिन ने मेरूवाना की रिसर्च कर recive किया यानी कि गाँजा में पाया गया कि गांजे का सेवन कुछ लोगों के लिए खतरा खतरनाक सभीत हो सकता है।


किन लोगों के लिए वो जिन्हें सच संबंधित समस्या है।या pargents महिलाएं या जिनमें मेन्टल हेल्थ डिस्प्लेमट होने का रिस्क है।तो इन लोगों में पक्का गाँजा पीने में खतरा है।यानी ये बिगड़ते मानशिक सवसाथ को ओर बिगाड़ सकता है।सात ही इनका अधिक सेवन करने से इसपर निर्भरता बढ़ती है।यानी कि इसके बिना रहने से अजीब सा लगता है।


दिपेमेंड हो जाती है।गांजे पर जो ज्यादा सेवन करता है।नेशनल accedamy research रेचिभ्यु ने इसके मेडिकल बेनिफिट भी बताये है.इस रिपॉर्ट के मुताबिक क्रोनिक पैड नॉजिया लिमिटेड जैसे कई दिकतो में मेडिकल बेनिफिट से पुख्ता प्रमाणित देखे गए है।


दूसरे बीमारियों में भी इसके बिनीफिट बताये जाते है।लेकिन अभी और रिसर्च हुए थे।उनके पुख्ता प्रमाण नही है।पिछले कुछ सालों में केनिबिस लीगल करने को लेकर भेहस बहुत तेज हुई है।लीगलिएसन मांग की पीछे की दर्द हमे जान लेना चाहिए।


दिल्ली और मुम्बई गांजे के मामले में दुनिया के top टेंसन शहरों में से है।यानी ये बात तो है।कि बैंड होने के बाबजूद भी गाँजा बिक रहा है।और इसका सेवन भी किया जाता है।बलिक इसके इलीगल होने से उल्टा नुकसान ये हो रहा है।की लोग किस तरह के गांजे का सेवन कर रहे है।पता तक नही है।


जहाँ पर गाँजा इलीगल है।वहां उनके पैकेट पर thc ओर bcd की मात्रा लिखी होती है।जिसे देख कर लोग अपनी छमता ओर मुड़ में समाए ओर अपने मोके के मुताबिक से नशा करते है।


पिछले दर्शको में अनदर ground बिकने वाली गांजे में thc की मांग की मात्रा बढ़ी है।यानी लोग पहले से भी ज्यादा माल फूक रहे है।ये लोगो को ओर अदीस बना सकता है।और कई केसेस में मानसिक पर बुरा असर डाल सकता है।


जैसे शराब पीने वालों को पता हित है।कि उनके पेट मे कितनी मात्रा में अल्कोहल है।कितना उनका प्रतिशत है।वैसे ये गांजे पीने वालों को पता होना चाहिए।की उनके स्टेप्स में किनते thc है।


दूसरा तर्क ये है।कि गाँजा शराब सीक्रेट से कम डेडली हूं।और ऐसे तो मेडिकल बेनिफिट भी है।ऐसा कभी नही हुआ है।कि गांजे के ओवरडोज से किसी की मौत दर्ज की गई हो।जैसे कि हर साल शराब और दूसरे darks के साथ होना आम बात है।


कई सदियों में सामने आया है।कि गांजे के तुलना में शराब ज्यादा अडीपी है।तो तुलनात्मक रूप से शराब से होने वाले रोड असीसीडेंट ओर हिंसक बेहवार के चांस ज्यादा होता है।केनिबिस स्पोर्ट्स केहना है।कि शराब और सेक्रेट कम होने के बाबजूद भी ऐसे इलीगल समझ से परे है।


2017 में एक स्टेपड़ी नए पाया कि अमरीका के राज्यो में मेरूवाना इलीगल होने के बाद अल्कोहल फ्री में 15 % गिरावट किया ऐसा मानना है।कि गांजे की लीगल होने से एल्कोहल टॉपको ओर फार्मा कंपिनयों के शेयर कम हो जाएगा हालांकि ये प्रसानो के काम बटा हुआ है।


ये त्रिकीब है कि ऐसे लीगल एसे होने के बाद सरकार के पास एक ओर सो जाएगा यानी कि ये सरकार के लिए अच्छी बात है।पिछली सालो में दुनिया के कई हिस्सों में मेरूवाना इलीगल स्टेट्स में हासिल किया है।कही मेडिकल यूज़ के लिए कही भी पर्सनल यूज़ के लिए यानी कि मौज मस्ती के लिए


आपको screenshot नक्शा जो नजर आ रहा है।उसमें हरा इलाका का मेडिकल यूज़ वाला है।और नीला रंग का मेडिकल ओर इंजीनियरिंग दोनों के लिए है।और इंडिया समय जो ग्रे इलाका है।वहाँ पे मेरूवाना यानी कि गाँजा तैयार होता है।मेरूवाना यानी कि गाँजा के इलीगल को लेकर आपके क्या रॉय है।वो हमें comments सेक्शन में बातए ओर इस सिंसकारी के जो grapic होते है।वो भी ऐसे तैयार करते है।


तो दोस्तो कैसा रहा ये मेरा पोस्ट अगर आपको अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के पास जरूर शेयर करे।कियोकि अगर आपके दोस्त भी गाँजा पिता होगा तो वो समझ जाएं की इस से क्या होता है।


तो दोस्तो हम चलते है।फिर मिलेंगे नई पोस्ट के साथ तब तक के लिए जय हिंद जय भारत दोस्तो मेरा पूरा पोस्ट पढ़ने के लिए आपको बहुत - बहुत धन्यवाद


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