Thursday, October 13, 2022

सीआरबी पैसे कैसे छापते है।

 दोस्तों तो एक बार फिर से स्वागत है। आपका Technical prithvi में दोस्तों क्या आपको मालूम है। कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कैसे काम करता है। आखिर आप सभी लोगों तक पैसा कैसे पहुंचता है। यह सवाल सबके मन में आता होगा और आपके मन में भी आया होगा लेकिन कोई बात नहीं है।

सीआरबी पैसे कैसे छापते है।

 आपको आज के इस पोस्ट में मालूम चल जाएगा भारत के हर नोट पर एक वचन लिखा होता है।मान लीजिए अगर कोई ₹500 का नोट है। तो उसमें ही लिखा होगा कि मैं धारक को ₹500 अदा करने का वचन देता हूं। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है। यह वचन क्यों हर नोट पर छपा रहता है। और इसके पीछे आरबीआई के गवर्नर के सिग्नेचर क्यों होते हैं।


 या फिर कभी ना कभी आपके दिमाग नहीं सवाल जरूर होगा कि आखिर भारत में गरीबी क्यों आ रही है जबकि हम जितना चाहे उतना पैसा छाप सकते हैं जिसे छापने के लिए कागज और स्याही ही तो चाहिए और अगर आप में से कई सारे लोग खबरें में पढ़ते होंगे कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कितने करोड रुपए भारत सरकार को दिए ऐसे 


रिजर्व बैंक भारत की सरकार कितने पैसे देता क्यों है यह सब चीजें चलती है और यह पैसों का लेनदेन कैसे होता है दोस्तों आज आपके रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से जुड़े सभी सवालों का जवाब नहीं आपका दोस्त विशाल प्रजापति अपनी इस वीडियो में देने वाला हूं इसलिए बिना एक पल की दूरी कितनी शुरू करते हैं हमारी आज की शानदार बड़ी हो लेकिन वीडियो शुरू करने से पहले एक छोटी सी रिक्वेस्ट है वीडियो के नीचे बटन दिख रहा होगा उस पर क्लिक करके सब्सक्राइब करें और साइड में कौन देख रहा होगा उस पर भी क्लिक करें ताकि आपको मिले


तू तो सबसे पहले बात करते नोटों की छपाई की जहां बैंक नोट इशू करने की पावर आरबीआई के पास है और आरबीआई की जो इकाई यह काम करती है उसका नाम भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रन प्राइवेट लिमिटेड हम आपको बताना चाहेंगे कि आरबीआई ज्यादा से ज्यादा 10000 का नोट छाप सकती है क्योंकि अगर आरबीआई को इससे भी बड़ा नोट छापने जो सरकार को आरबीआई एक्ट 1934 में बदलाव करना होगा अलग ही हमें तो नहीं लगता कि 10000 का नोट छापने की भी नौबत आएगी क्योंकि अभी 2000 का नोट सबसे बड़ा नोट है.


 अगर बात करेंगे सभी नोट छपते कहां है पति कहां है तो इसके लिए भारत में 4 प्रिंटिंग प्रेस है महाराष्ट्र के नासिक में मध्यप्रदेश के देवास में कर्नाटक के मैसूर में और वेस्ट बंगाल के सलबोनी में और इनमें से नासिक और देवास की प्रिंटिंग प्रेस को भारत सरकार कंट्रोल करती है और बाकी की दो प्रिंटिंग प्रेस जो सलबोनी और मैसूर में है उसे आरबीआई कंट्रोल करता है दोस्तों हर साल की शुरुआत में ही आरबीआई प्रिंटिंग प्रेस को एक शेड्यूल दिया जाता है जिसमें लिखा होता है कि कब कब कितने नोट छापने और उसके लिए आरबीआई पहले से ही पूरी तैयारी करके रखता है और यह तैयारी आरबीआई के मुताबिक की जाती है।आरबीआई पहले ही गणना कर लेता है कि कितने नोट सरकुलेशन में यानी कि चल रहे हैं कितने नोट खराब हो चुके हैं और कितने नोट खराब हो चुके हैं और कितने नोटों को नष्ट कर दिया गया है।


इतने खराब नोटों को बदलकर नए नोट बनाने इन्हीं सब चीजों के मुताबिक यह फैसला लिया जाता है। कि इस साल कितने नोट छापे जाने हैं। नोटों की छपाई की बात आते ही नहीं बल्कि भारत सरकार के हाथ में होता है। और सिक्कों की छपाई पूरे भारत में इन 4 जगहों पर की जाती है। इस एक्ट के मुताबिक भारत में ज्यादा से ज्यादा ₹1000 तक का सिक्का बना जा सकता है। पर अभी सबसे बड़ा सिक्का ₹10 का है।


सरकार एक बार मे पूरा पैसे क्यों नही छपये करते है।

 तो अब अगला सवाल आता है। कि अगर आरबीआई और सरकार के पास इतना अधिकार है। कि वह जितना चाहे उतने नोट छाप सकती है। तो वह क्यों इतने नोट छापते क्यों नही हैं। कि जितने की जरूरत है। इससे देश की गरीबी मिट जाएगी 


पैसे के ऊपर अर्जित आर पटेल क्यों लिखा होता है।

ऐसे में आपको एक बात समझनी होगी जो नोट आपके हाथ में वह सिर्फ और सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है। लेकिन जब आरबीआई गवर्नर का उस पर सिग्नेचर हो जाता है। तो उस कागज के टुकड़े की कीमत बन जाती है। और उसी के साथ ही वह कागज का टुकड़ा आरबीआई के लिए लायबिलिटी यानी कि दायित्व बन जाता है। अब यह सोचने वाली बात तो यह है। कि आरबीआई के पास ऐसा क्या है।


 जिसके बदले में आरबीआई का गवर्नर नोट पर धारक को पैदा करने की बात करता है।दोस्तो तो इसका साफ सुथरा जवाब यह है। कि पैसे के बदले आरबीआई के पास कीमती धातुओं सोना फॉर्म निर्भर होता है। और जितना ही सोना है फोन कर उनके पास होता है। तो उसी हिसाब से नोट की छपाई करते हैं। ऐसा ही होता है।


पैसे ज्यादा छपाई हो जाएगा तो क्या होगा

 क्योंकि अगर आरबीआई ने इससे ज्यादा करेंसी शुरू की तो उसकी वैल्यू गिर जाएगी की कीमत को बढ़ाकर रखने के लिए आरबीआई और सरकार को संतुलन बना कर चलना है। और अगर अभी भी आपको ही चीज समझ में नहीं आई तो हम आपसे बताना चाहेंगे कि माल हर इंसान के पास लाखों रुपए मौजूद है। लेकिन लाखों रुपए के हिसाब का कोई भी सामान मार्केट में मौजूद नहीं है। ऐसे में अगर आज किसी middle-class आदमी की तनख्वाह ₹30000 तो वह जब एक लाख हो जाएगी तो भी वह मैडम क्लासिकल आएगा।


 क्योंकि तब सूची से उसे हजारों मिलती होंगी उनकी कीमत अब 5000 हो गई होंगी ऐसी को मेंटेन किया गया तो वह देश में फेल तो हो जाएगी लेकिन उसकी कीमत कौड़ियों की भाव जाएगी इसके सिवाय समस्या की और कुछ नहीं होगा 


भारत में एक नोट ऐसे भी है।जिनमे गर्नवार का सिंगनेसर नही होता है।

पर क्या आपको यह पता है कि भारत में एक नोट ऐसा भी है। जिसमें रिजर्व बैंक के गवर्नर सिग्नेचर नहीं होते और ना ही उसमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लिखा होता है। क्योंकि वह लोड रिजर्व बैंक के नहीं बल्कि भारत सरकार के अंडर में आता है। और वह लोड कोई और नहीं बल्कि एक रुपए का नोट है।


 एक रूपीए के सीके में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया लिखा होता है।

 जिसके ऊपर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया लिखा होता है। क्योंकि इस नोट को छापने का अधिकार आरबीआई नहीं बल्कि भारत सरकार के हाथ में होता है। और इस नोट पर वित्त सचिव यानी कि फाइनेंस सेक्रेटरी के सिग्नेचर होते हैं।


₹1 रूपीस नोट के हैसियत क्या है।

 और ₹1 के नोट से जुड़ी एक और बात है। जो शायद आपको ना बताओ और कोई एक ही ग्रुप ए का नोट है। ऐसा अकेला नोट है। जिसे लायबिलिटी नहीं बल्कि एसेंट मारना चाहता है। यानी कि से दायित्व नहीं बल्कि पूंजी की तरह लिया जाता है। यही कारण है कि इस नोट पर किसी भी तरह का कोई वादा नहीं किया जाता समझ में आ गया होगा क्यों किसी देश में लिमिटेड तौर पर नोटों की छपाई होती है।


 और किस तरह और कहां-कहां पर ही काम पूरा किया जाता है। ऐसे में अगर आपको इस विषय से जुड़ा और कोई संदेह है। तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं। बाकी इस पोस्ट के बारे में आपका क्या कहना है। वह भी हमें कमेंट करके जरूर बताइए साथ ही साथ ऐसे ही इंटरेस्टिंग पोस्ट को लगातार देखने के लिए वेबसाइट को लाइक शेयर सब्सक्राइब करना बिल्कुल ना भूलें और हम फिर मिलेंगे नई पोस्ट के साथ तब तक के लिए जय हिंद जय भारत

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