Saturday, October 15, 2022

भारत का सबसे खतनाक कमांडो

भारत का सबसे खतनाक कमांडो

 दोस्तो एक बार फिर से स्वागत है। आपका Technical prithvi में पोस्ट आप स्क्रीन पर देख रहे हैं यह जांबाज सेना 12 इंच की खुखरी से दुश्मनों को करते हैं।ढेर दोस्तों जिस तरह हमारे गणतंत्र दिवस पर स्वतंत्रता दिवस पर अपने देश के लिए गर्व महसूस कर के बाबूक हो जाते हैं।

भारत का सबसे खतनाक कमांडो

 ठीक उसी प्रकार जब हमारे सामने हमारे देश के जांबाज सिपाहियों की बात आती है तो उनके बारे में सुनकर भी हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। लेकिन हमारी भारतीय सेना में एक रेजिमेंट है। जिसके बारे में कहा जाता है। कि उनका हथियार एक बार जब मेयर से निकलता है 


तो वह बिना किसी का खून बहाए बिना वापस नहीं जाते है।वारिस रेजीमेंट को भारत की सबसे खतरनाक रेजिमेंट माना जाता है जी हां हम गोरखा रेजिमेंट की बात कर रहे हैं। तो फिर इस रेजीमेंट में ऐसा क्या है इतनी ज्यादा खतरनाक होती है।इसके बारे में आज मैं यानी आपका दोस्त prayag kumar अपनी इस पोस्ट में आपको बताने वाला हूं।


 चलिए आपका सारा समय न लेते हुए पोस्ट को शुरू करते हैं पोस्ट शुरू करने से पहले एक छोटी सी रिक्वेस्ट है की पोस्ट के नीचे रेड कलर का सब्सक्राइब बटन दिख रहा होगा उस पर क्लिक करके सब्सक्राइब कर ले ताकि आपको पोस्ट मिले सबसे पहले


 सबसे पहले अगर गोरखा सैनिकों की शुरुआत की बात करें तो नेपाल में ही गोरखा नाम का एक डिस्टिक है।जो हिमालय की तराई में बसा हुआ एक छोटा सा छोटा सा गांव है। जहां गोरखा गोरखा नेपाल के मूल निवासी है। दोस्तो तो इन्हें के नाम हिंदुस्तानी योद्धा श्री गुरु गोरखनाथ ने दिया था पुर का किसी जाति के जवानों होते पहाड़ों पर रहने वाली कई जातियों के लोगों से मिलकर के बाद ही यहां के बच्चों को सिखाया जाता है।


 डर कर जीने से लाख गुना बेहतर है मर जाना अगर हम इनके हथियारों की बात दुकुर का रेजिमेंट के जवान खुखरी लेकर ही सामने वाले को मार गिराने के लिए तैयार होते हैं। रुको एक ऐसा हथियार है। जो बेहद खतरनाक होता है। लेकिन सुरक्षा के लिहाज से बहुत ही ज्यादा कारगर झाई और कुछ नहीं बल्कि 12 इंच कितनी धार वाली कतार की और हर गोरखा सैनिक के पास आप कोई कटार नहीं जाएगी।


 क्योंकि ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सैनिकों को हथियार से नवाजा जाता है जिसे पाकर वह गोरखा सैनिक होने का पात्र करते हैं अगर हम गोरखा रेजीमेंट की ट्रेनिंग की बात करें तो भारत की फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने कहा था कि अगर कोई शख्स कहता है कि से मरने से डर नहीं लगता भैया तू झूठ बोल रहा है या वह गुरु कोई दिक्कत ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है।


 जहाँ ट्रेनिंग पूरे 42 सालो  की होती है जिसमें सैनिकों को कई मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ता है। हालांकि कठिन से कठिन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला कर सके जॉनी छोटी सी छोटी हथियार से लेकर बड़े से बड़े हथियारों में महारत हासिल करवाई जाती है। ताकि वह किसी भी तरह के हथियार को आसानी से इस्तेमाल कर पाए अब यहां अगर नर भैंस की बलि की बात करें।


 तो हिंदू धर्म में अक्सर माना जाता है कि किसी जरूरी आ खतरनाक कार्य को शुरू करने से पहले देवी देवताओं के लिए बलि चढ़ाना शुभ माना जाता है ऐसे में अगर हम प्राचीन युद्ध के बारे में जाने दो वहां पर हर युद्ध से पहले वाली को शुभ माना जाता है उसी तरह गोरखा रेजीमेंट कभी भी इस रिवाज का पालन करती है तथा दशहरे के त्यौहार के समय नर भैंस की बलि दी जाती है जुबली दल के सबसे कम उम्र के सदस्य को अपने खुखरी से यार भैंस के सर को भी एक ही बार में धड़ से अलग कर देना होता है 


ऐसे में आप ही समझ सकते हैं कि इस जल के लोग अपने पुराने रीति-रिवाजों को कितना ज्यादा मानते हैं दोस्तों अगर हम विश्व युद्ध के दौरान गोरखा रेजीमेंट की बड़ी भूमिका की बात करें तो उसके बारे में सुनकर आप पूरी तरह से हैरान हो जाएंगे गोरखा रेजीमेंट ना केवल सेना में अपनी अहम भूमिका निभाती है बल्कि विश्व में भी गौर करें आपको जानकर बड़ी हैरानी होगी कि गोरखा रेजीमेंट ने पहले और दूसरे विश्व युद्ध में शामिल होकर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे बता दें कि पहले विश्व युद्ध के दौरान कुल 200000 गोरखा सैनिक शामिल हुए थे जिनमें से करीब 29000 शहीद हुए अगर हम दूसरे विश्व युद्ध की बात करें तो उसमें ढाई लाख गोरखा सैनिक शामिल हुए थे।


 जिन्होंने विश्व में देश की तरफ से काफी भारी समर्थन दिया दोस्तों अगर हम भारतीय सेना की वीरता और शौर्य की बात करें तो हमारे पास शब्द कम पड़ सकते हैं लेकिन इनके बारे में कहने के लिए बातें कभी खत्म नहीं होंगी क्योंकि हमारी भारतीय सेना इतनी ज्यादा ताकतवर है कि वह किसी भी देश की सेना से लोहा लेने के लिए कभी भी तैयार रहती है ऐसे में गोरखा सैनिक भारतीय सेना की बहुत ही मजबूत और अमूल्य भाग रहे हैं जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना में करीब 40000 गोरखा मौजूद है वाकई में बहुत बड़ी संख्या है हम आपको बता दें कि किसी ग्रह गोरखा के लिए भारतीय सेना में हर साल करीब 12 सौ से लेकर 1310 गोरखा सैनिक भर्ती होते जो कि हर मुश्किल परिस्थितियों में हमेशा अपनी जान की बाजी लगाने के लिए तैयार रहता है।


 तो आप यह जान चुके हैं कि किस तादाद में गोरखा सैनिक हमारी भारतीय सेना में मौजूद है अगर हम आपसे यह कहे कि भारत एक ऐसा देश है जिसने अपने हर दुश्मनों की बैंड बजाई है तो हम कहीं से भी गलत नहीं कहेंगे वाकई में भारत की सेना ने कई बार साबित कर दिया कि वह किस कदर अपने देश के मान सम्मान के लिए किसी को भी हराने का दम रखती है और हम आज भी हर मुसीबत के लिए खड़े हैं पर हम आपको बता दें कि भारत ने जिन्हें हम युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाई है उन सभी में गोरखा रेजीमेंट में बढ़-चढ़कर योगदान दिया जैसा कि हम आपको बता चुके हैं।


 कि गोरखा रेजीमेंट को भारत की सबसे खतरनाक पुलिस माना जाता है ऐसे में दुश्मन को सबसे खतरनाक और दर्दनाक मौत भी गोरखा सैनिकों द्वारा ही दी जाती है जान के बारे में ऐसा कहा जाता है कि अगर उन्होंने एक बार अपने खोखरी मैदान से बाहर निकाल ली तो बिना खून का कतरा बहा जो खुखरी को वापस मैदान में नहीं रखते ऐसे में आदर्श खुखरी से दुश्मनों का खून नहीं लगा तो उसके मालिक को अपना खून बहा कर उसमें लगाना होता है तभी जाकर उस बयान में डालने की इजाजत दी जाती है कि गोरखा सैनिक इतने ज्यादा ईमानदार होते हैं लेकिन जब वह किसी का खून नहीं बहाए तो वह अपना ही खून बहाकर अपनी खुखरी को सलामी देते हैं। यानी कि आप यह कह सकते हैं कि गोरखा सैनिकों की खोखरी वाकई में खून की प्यासी होती है शायद आपको यह नहीं मालूम होगा पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 की जंग में भी गोरखा राइफल्स के जवानों की अहम भूमिका रही थी संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।


 गोरखा रेजीमेंट को परमवीर चक्र महावीर चक्र जैसे तमाम शौर्य सम्मान से नवाजा जा चुका है ऐसे तमाम शौर्य सम्मान से नवाजा जा चुका है दोस्तो आज के लिए बस इतनी उम्मीद आपको गुरखा रेजीमेंट के बारे में सुनकर काफी फक्र महसूस हुआ होगा अगर हां तो हमारी भारतीय सेना के बारे में आपका क्या ख्याल है हमें कमेंट करके जरूर बताइए और ऐसे इंटरेस्टिंग पोस्ट को लगातार देखने के लिए हमारे website technical prithvi को लाइक शेयर सब्सक्राइब जरूर कर देना और हां हम फिर मिलेंगे एक नए पोस्ट के साथ तब तक के लिए जय हिंद जय भारत

No comments:
Write comment