Saturday, January 21, 2023

रबर कैसे बनती है


दोस्तो तो एक बार फिर से स्वागत है आपका technical prithvi में दोस्तों क्या आपको मालूम है रबड़ कैसे बनती है शायद नहीं मालूम होगा और क्या आपको मालूम है रबड़ किस पेड़ से बनती है जैसा कि आपकी स्क्रीन पर दिख रहा होगा कि आदमी कितनी आसानी से रबड़ निकाल रहा है। इस पोस्ट में बताते हैं। रबड़ बनाने की प्रक्रिया क्या होती है।

रबर कैसे बनती है

 दोस्तों अगर हम बचपन में सुनी सुनाई बातों को सच मान लेते हैं और उसे सच को जिंदगी भर दोहराते रहते हैं वैसे आपने बचपन में सुना होगा कि पेंसिल के छिलके को दूध में डालकर अगर उबाला जाए तो उससे रबड़ बनती है अब आप का तो पता नहीं लेकिन हम नहीं इसके बारे में कई बार सुना और बचपन में तो हम इसे सच भी मान बैठते थे लेकिन आज हमें पता है कि यह सब बातें झूठी है 


क्योंकि रबड़ बनने का तरीका बिलकुल अलग होता है रबड़ हमारी डेली लाइफ में बहुत ही ज्यादा यूज़फुल है क्योंकि गाड़ी के टायर से लेकर इंटरनेशनल स्पोर्ट्स में खेली जाने वाली बॉल के साथ-साथ ऐसी और भी कई सारी चीजें रबड़ से बनती है जिनका इस्तेमाल हमें रोजमर्रा की जिंदगी में करना होता है अब सवाल ये आता है कि रबड़ कैसे बनती है। तो बनती कैसे इसका जवाब बहुत ही ज्यादा इंटरेस्टिंग है।


 जिसे आज मैं यानी आपका दोस्त prayag kumar अपनी इस पोस्ट में आपके साथ शेयर करने वाला हूं तू तो बिना एक पल की तेरी किए चले शुरू करते हैं हमारे आज की शानदार पोस्ट शुरू करने से पहले एक छोटी सी रिक्वेस्ट है।की हमारे technical prithvi website को subscribe जरूर करे।ताकि पोस्ट मिली आपको सबसे पहले 


सबसे पहले तो हम आपको बता दें जो चीज ग्रोवर को सबसे खास बनाती है वह उसकी प्रॉपर्टी है जैसे कि 10 साल ट्रेन इलास्टिसिटी ऑफ नेट पूजा रबड़ भी दो प्रकार के होते हैं पहली नेचुरल रबड़ यानी कि प्राकृतिक रबड़ दूसरा संस्कृत प्रकार के होते पहली नेचुरल रबर यानी कि प्राकृतिक रबड़ दूसरे से प्राकृतिक रबड़ हम आपको बता दें कि सिंथेटिक रबड़ पॉलीमर जैसी होती है जो पॉलीमराइजेशन प्रोसेस बंद कर तैयार होती है जा सिंथेटिक रबड़ एक तरह की प्लास्टिक समझ लीजिए जिसकी क्वालिटी इतनी ज्यादा हाई नहीं होती पर अगर हम बात करें


 प्राकृतिक रबड़ की तो दोस्तों इसे प्राकृतिक रूप से पेड़ों से पाया जाता है का केमिकल नेम पॉलीसपोरिन है जो कि विशेष प्रकार का पॉलीमर होता है जिसे इलास्टमर कहते हैं दोस्त और रबड़ बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है पेड़ों से लेटेस्ट निकालने से जो दूध जैसे पदार्थ होता है वैसे तो 25 से ज्यादा पेड़ है जिनसे हमें लेटेस्ट प्राप्त होता है लेकिन सबसे हाई क्वालिटी और ज्यादा मात्रा में जिस पेड़ से लेटेस्ट निकलता है उसका नाम है हीविया बृजेश डबल ट्री के नाम से जाना जाता है


 जहाँ की खेती सिर्फ और सिर्फ रबर के उत्पादन के लिए बहुत बड़े पैमाने में की जाती है पेड़ से लेटेस्ट निकालने के लिए पेड़ की छाल में खास तरह से टिकट लगाए जाते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लेटेस्ट लगातार गिरता रहे और से इकट्ठा करने के लिए एक बाल्टी लगा दी जाती है लेटेस्ट लगातार गिरता रहता है जैसा कि आप इस पोस्ट में देख पा रहे हैं।


 और इसी तरीके से कई सारी बाल्टियों में लेटेस्ट को अलग-अलग भीड़ इकट्ठा कर लिया जाता है और फिर सारी बाल्टियों के लेटेस्ट को एकता करके इन बड़े बाल्टियों में जमा कर दिया जाता है। और जैसा कि हम जानते हैं कि दूध में से पनीर अलग करने के लिए हमें उस में नींबू का रस जो कि हिसाब से एसिड होता है उसमें डालना होता है दूध और नींबू का रस आपस में व्यक्त करते हैं जिसकी वजह से पनीर और पानी अलग अलग हो जाता है।


 उसी प्रक्रिया को कहा जाता है इसी तरीके से हम रबड़ के दूध यानी लेटेस्ट से भरे हुए टैंक में कॉपी कैसे डालते हैं और से 12 घंटे के लिए छोड़ दें फिर 12 घंटे बाद को गुलशन प्रोसेस की वजह से रबड़ और पानी अलग अलग हो जाता है रबड़ की मोटी परत ऊपर की तरफ से नहीं लगती है जिससे आराम से हाथों से अलग कर लिया जाता है और फिर उस रबड़ की परत को हवा में सूखने के लिए टांग दिया जाता है और जब रूठ जाती प्यारी लगती है आराम से हाथों से अलग कर लिया जाता है। 


और जो भी रबड़ की सीट पूरी तरह से सूख जाती है 10 घंटा घर के आगे की प्रोसेस के लिए प्रेरित किया जाता है दोस्तो तो हम आपको बता दें कि जब यह रबड़ की सीट फैक्ट्री में पहुंचती है तभी बहुत ही ज्यादा मुलायम और कमजोर होती है। जिनसे हम रबड़ बैंड के टायर जैसी कोई भी चीज नहीं बना सकते है।


 हम तो इलास्टिसिटी बनाने के लिए सल्फर के  जिससे आराम से हाथों से अलग कर लिया जाता है और जब यह रबड़ की सीट पूरी तरह से सूख जाती है इलास्टिसिटी बनाने के लिए सल्फर के साथ 140 डिग्री सेल्सियस में उनकी गैरमौजूदगी में सल्फर के मॉलिक्यूल स्ट्रांग बॉन्ड बना ले प्रोसेस को वल्केनाइजेशन कहते हैं और वल्केनाइजेशन के इस मैसेज के बाद रबड़ किस प्रांत और इलास्टिसिटी कई गुना बढ़ जाती है कृष्ण कहते हैं और वल्केनाइजेशन के इस प्रोसेस के बाद रबड़ किस प्रांत और इलास्टिसिटी कई गुना बढ़ जाती है।


 पॉलीसपोरिन के बीच में बनते हैं और इस प्रोसेस को वल्केनाइजेशन कहते हैं और वल्केनाइजेशन के इस प्रोसेस के बाद रबड़ किस प्रांत और इलास्टिसिटी कई गुना बढ़ जाती है उसको वल्केनाइज्ड रबर बहुत ही ज्यादा स्ट्रांग होते हैं वह इतनी ज्यादा हार नहीं होती शशि उदय क्योंकि रबड़ की डेंसिटी बहुत कम होती है और उसकी डेंसिटी बढ़ाने के लिए कार्बन ब्लैक पाउडर के साथ रेप करवाते हैं इसे वल्केनाइज्ड रबर की डेंसिटी बढ़ जाती है जिसके कारण दो बड़की हार्नेस भी कई गई गुना बढ़ जाती है दोस्तों हम आपको बता दें कार्बन ब्लैक पाउडर रबड़ का कलर ब्लॉक कर देता है इसलिए आपने नोटिस किया होगा कि टायर वगैरह जो हार्ड रबड़ के बने होते हैं


 वह भी काले कलर के होते हैं रुपेश रबड़ बनकर तैयार होता है जो हमारे और आप तक भारी मात्रा में पहुंचा जाता है बाकी अगर आपको इस चीज में हल्की से भी कंफ्यूजन हुई है तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताइए हम आपके सभी कंफ्यूजन को दूर कर देंगे अब आप हमें बता सकते हैं कि आप किस बारे में जानना चाहते हैं हम आप उसी बारे में पोस्ट लाने की पूरी कोशिश करेंगे साथ ही अगर आपको इसी तरह की और मैन टचिंग पोस्ट को लगातार पढ़ना चाहते है। तो दोस्तों हमारे website technical prithvi को subscribe जरूर करे और हम फिर मिलते हैं तब तक के लिए जय हिंद जय भारत

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