Monday, November 13, 2023

दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कौन जिम्मेदार है?


दोस्तों इंटरनेट पर कंट्रोवर्सी हर साल खड़ी होती है कि दीवाली में पटाखे जलाने से कितना पोलूशन होता है। अब यह तो हम सबको पता है कि भगवान श्री राम रावण को हराने के बाद माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ वापस अयोध्या लौटे थे और उस दिन अमावस्या की रात थी। जिस वजह से अयोध्या में बहुत ज्यादा अंधेरा था । 

दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कौन जिम्मेदार है?

दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कौन जिम्मेदार है?

तो अयोध्या वासियों ने श्री राम के स्वागत के लिए पूरे अयोध्या में घी के दीए जलाए और तब से लोग आज तक दिवाली में दीपक जलाते हैं । लेकिन समय के साथ-साथ हमारा दिवाली मनाने का तरीका भी बदलता चला गया । वैसे तो 14 शताब्दी से भारत में जंग के लिए गन पाउडर का इस्तेमाल होने लगा था । 


लेकिन इससे कई सालों पहले चीन में फायर क्रैकर्स इस्तेमाल 12 वीं शताब्दी के आसपास ही होने लगा था और समय के साथ-साथ धीरे-धीरे चीन के कल्चरल इवेंट्स में फायरक्रैकर का इस्तेमाल बढ़ गया और आज चीन के न्यू ईयर के दौरान पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा फायर क्रैकर्स का इस्तेमाल होता है ।


जबकि हमारे भारत में फायर क्रैकर्स कन्वेंशन बहुत देर से हुआ । 19 वी शताब्दी में कोलकाता में जब मैट्रिक की फैक्ट्री इस्टैबलिश्ड हुई तो साउथ इंडिया में रहने वाले दो भाई नादर ब्रदर्स कोलकाता गए और जब उन्होंने गन पाउडर का इस्तेमाल सीख लिया तब जाकर उन्होंने बाद में शिव कासिम में अपना खुद कि फैक्ट्री बनाई । 


जिसका नाम नेशनल फायर वर्क था । समय के साथ-साथ बड़े-बड़े पटाको और फुलझड़ी वगैरा बनने लगे और फिर नेशनल फायर वर्क्स ओं ए वैरायटी में पटाखे बनाने शुरू कर दिए । और समय के साथ-साथ दो वैरायटी मार्केट में बहुत अच्छे से बिकने लगी। जिसकी सेल्स दिवाली पर बहुत ज्यादा हाई हो गई । 


दिल्ली प्रदूषण से लोगों को क्या कहना है ? 

सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन तभी कुछ सेलिब्रिटी एनवायरमेंटलिस्ट और रिपोर्ट में यह नारा लगाने वालों की पटाखे जलाने से वातावरण प्रदूषित होता है और यह नारा तब से आज तक चला रहा है नॉन स्टॉप हर साल फायरक्रैकर को बैन करने की मांग की जाती है ।  तो दोस्तों यह तो बी सिक्स बात तो गया। अब जरा सच्चाई पर नजर डालते हैं। 


हम यह नहीं कह रहे कि दीवाली में पटाखे चलाना सही है लेकिन पोलूशन का पूरा बेधा दिवाली पर डाल देना यह सही है क्योंकि वह लोग जो कहते हैं । दिवाली की वजह से पोलूशन होता है या फिर जानवरों को तकलीफ होती है। वही लोग न केवल अपनी शादियों में धूम धड़ाके से पटाखे चलाते हैं बल्कि जानवरों का मांस खाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते । 


इसलिए चलिए इस तरह की बातों पर ध्यान ना देते हुए आपको दुनिया की सच्चाई से रूबरू करवाते हैं। क्योंकि दिवाली में पटाखे ना जलाने है की हिदायत तो हर कोई देता है । तो कोई असली पॉल्यूशन के बारे मै कोई नही कहता है । 


पटाके से पोलिशन होता है? 

लंदन में जब न्यू ईयर सेलिब्रेट किया जाता है, उसमें जलने वाले पटाखों के बारे में कोई अपनी राय नहीं देता। इतना ही कनाडा और फ्रांस में तो फायर क्रैकर्स का एक कंपटीशन भी कराया जाता है। ओर जापान में हरा भी फेस्टिवल में पूरे महीने फायरक्रैकर्स चलाए जाते हैं। एनवायरमेंटल में सबसे आगे रहने वाला अमेरिका भी कुछ कम नहीं है ।


क्योंकि दिवाली शादी फंक्शन वगैरह को मिलाकर जितने पटाखे भारत में पूरे साल नहीं छुटाए जाते हैं, उससे कहीं ज्यादा वहां पर न्यू ईयर में फोड़े जाते हैं । एक तरफ हमारे भारत में दो हजार करोड़ के पटाखे जला देते हैं । 


वहीं अमेरिका ये आंकड़ा 10 हजार करोड़ का है। है। दोस्तों भारत में भी पटाखों की इंडस्ट्री काफी ज्यादा घनिष्ठ हैं जिस वजह से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है लेकिन क्रेकर्स बैन होने की वजह से उस पर बहुत गलत असर पड़ेगा और कई सारे लोगों की अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी।


दिल्ली पॉल्यूशन का असली वजह क्या है ? 

दिल्ली के पॉल्यूशन का असली वजह है वहा के सड़के और वहा के गाड़िया से होने वाले प्रदूषण साथ ही दिल्ली में बड़े - बड़े प्रदूषण फेलाने वाले फैक्ट्रियां और लोग पटाखे पर बैन लगाते हैं । 


दोस्तों इस से ज्यादा हम आप सभी को क्या बताएं । आपके मन में कोई सवाल है । तो कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । हमारे साथ जुडे रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,,

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