मित्रो अक्सर कहा जाता है कि महिलाएं हनुमान जी पूजा नही कर सकती । हनुमान जी की पूजा में नही बैठ सकती । और उनके मूर्ति को भूल कर नही छू सकती है । यहां तक मंदिरों में भी महिलाओं को हनुमान जी के मूर्ति के सामने सिर से ही प्रमाण करने को कहा जाता है ।
महिलाओं को हनुमान जी के पूजा में सिंदूर चढ़ाने से माना किया जाता है । और ना ही उनके पैर छूने के लिए कहा जाता है । मूर्ति के बहुत करीब जाने से मना किया जाता है । लेकिन ऐसा क्यों । चलिए जानते हैं ।
लड़कियां हनुमान जी की पूजा कर सकती है
कहा जाता है कि लड़कियां श्री कृष्ण जी के पूजा करके लड़कियां चाहती है कि उन्हे कृष्ण जैसा पति मिले । विवाहित महिलाएं प्रार्थना करती है कि कृष्ण उनके वैवाहिक जीवन को सुखी रखे ।
शिव पूजा में भी महिलाएं शिव जैसा पति पाने की कामनाएं करती है । यह सच है कि महिलाओं को शिव पूजा में शिवलिंग को छूने से बचना चाहिए । लेकिन वो पूजा के सभी विधियां कर सकती है ।
महिलाएं हनुमान जी की पूजा कैसे करें
हनुमान जी ब्रह्मचारी थे यानि उन्होने शादी नही की थी । और ग्रस्त जीवन से दूर ही थे । इसलिए महिलाओं या लड़कियों को दूर रहने के लिए कहा जाता है । दोस्तों लोग ये भी कहते हैं कि अगर महिलाएं हनुमान जी की पूजा करती है । तो बजरंग बली नाराज हो जाते हैं । लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है ।
वही हिन्दू धर्म ग्रंथों में महिलाओं को हनुमान जी की पूजा करने से कही माना ही नही की गई है । महिलाएं हो या फिर लड़किया सभी हनुमान जी कि पूजा कर सकती है । वे स्वयं किसी हनुमान जी के मंदिर में बैठ कर पूजा या पाठ कर सकती है ।
महिलाएं हनुमान चालीसा पढ़ सकती है या नहीं
महिलाएं भी पुरूषों के तरह बजरंग बली को प्रसाध चढ़ा सकती है । लेकिन इसके सामने अपना सर नही झुकना चाहिए । क्योंकि हनुमान जी माता सीता को अपने माता मानते थे ।
और इसलिए उनके लिए हर स्त्री माता सामान ही होता है । ऐसा कहा जाता है कि भगवान हनुमान स्वयं महिलाओ के सामने झुक सकते हैं । लेकिन उन्हे किसी महिला का अपने सामने झुकना स्वीकार नहीं है । इसलिए महिलाओं को कभी भी हनुमान जी के सामने सिर नही झुकाना चाहिए
शस्त्रों में कहा गया है कि महिलाओं को हनुमान जी का उपासना नही करना चाहिए । यदि किसी महिला ने 9 हनुमान जी के वर्त रखने का अनुष्ठान किया है । और उसे बीच में ही मासिक धर्म आ जाता है । तो ये अनुष्ठान टूट जाता है । इसलिए महिलाओं को हनुमान जी का व्रत नही करना चाहिए
पीरियड में पूजा करना चाहिए
पीरियड के दौरान महिलाओं को हनुमान चालीसा का पाठ नही करना चाहिए । ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं को इसे समय में भगवान हनुमान जी को याद भी नहीं करना चाहिए । अन्यथा भगवान क्रोधित हो जाते हैं ।
हिंदू रीति रिवाजों में देवी देवताओं के मूर्तियों पर जल चढ़ाना एक अनुष्ठान माना जाता है । भगवान के पूजा की शुरुवात जल चढ़ाने से ही होती है । महिलाएं सभी देवी देवताओं को जल भी चढ़ा सकती है ।
लेकिन महिलाओं को हनुमान जी के मूर्ति पर कभी भी जल नही चढ़ाना चाहिए । इसी तरह महिलाओं को कभी भी हनुमान जी को वस्त्र नही चढ़ाने चाहिए । ऐसा करना ब्रमचारी का अपमान माना जाता है । महिलाओं को हनुमान जी के पूजा के कभी भी सिंदूर नही चढ़ाना चाहिए । और नही उनके पैर छूने चाहिए । हनुमान जी को कोई भी चीज़ अर्पित करते समय उन्हे उनके सामने रखना चाहिए ।
बजरंग बली भगवान है या नहीं ?
शास्त्रों में हनुमान जी को भगवान नही माना गया है । लेकिन हिंदू धर्म ग्रंथों में हनुमान जी को शिव जी के 11 वे रूद्र अवतार में से एक माना गया है । ये भगवान शिव जी के 11 अवतारो में सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं ।
वे राम के सेवक हैं और उनके सेवा से प्रसन्न हों कर माता सीता ने उन्हे चरण जीवी होने का वरदान भी दिया है । वे हम सभी के उद्धार करता है । वे कलयुग के अंत तक हम सभी के रक्षा करेंगे ।
यदि स्त्रियां इसे अपना भाई माने प्रतिदिन उनके पूजा करे । तो संसार के कोई भी बुरी शक्ति उसे छू भी नहीं सकती है । लेकिन हर पूजा के कुछ नियम होते हैं । उनका पालन अवश्य करें
हनुमान जी के शादी हुवा था नही ?
हनुमान अखंड ब्रह्मचारी वा महायोगी है । इसलिए सबसे जरूरी है कि उनके किसी भी तरह के उपासना में वस्त्र से लेकर विचारों तक पावनता ब्रह्मचर वा इंद्रिया स्वयं को अपनाए
हनुमान जी ब्रह्मचारी है लेकिन सस्त्रों में हनुमान जी के विवाह का वर्णन भी मिलता है । लेकिन यह विवाह हनुमान जी ने वैवाहिक जीवन या यौन संबंध बनाने के लिए नही किया था । बल्कि उन 4 प्रमुख विद्याओ के प्राप्ति के लिए किया गया था । जिसका ज्ञान एक वैवाहिक वेक्ति को ही हो सकता था ।
पौराणिक कथा के अनुशार
हनुमान जी ने सूर्य देव को अपना गुरु बनाया था । सूर्य ने 9 प्रमुख विधाएं में से 5 विधाएं अपने शीश हनुमान जी को सिखाई थी । लेकिन जेसे ही बचे हुए 4 विधाएं को सिखाने के बारी आई ।
तब सूर्या देव ने हनुमान जी को विवाह करने को कहा । क्योंकि इन विधाएं का ज्ञान सिर्फ वैवाहिक जीवन वाक्ति को ही दिया जा सकता था । अपने गुरु के यज्ञा से हनुमान जी ने विवाह करने का निश्चय किया ।
लेकिन अब सवाल यह था कि हनुमान जी से विवाह के लिए कन्या का चयन कैसे किया जाएं । जब ये समस्या सामने आई तो सूर्य देव ने अपने पर्म तेजस्वी पुत्र सुबर्चला का विवाह हनुमान जी से करा दिया ।
सुबेचला पर्म तपस्वी थी और इस कारण विवाह के तुरंत बाद ही सुबेच्ला तपस्या में लीन हो गईं । और उधर हनुमान अपने 4 विधाएं प्राप्त करने में लग गए । इस प्रकार विवाह के बाद भी हनुमान जी के ब्रह्मचारी का वर्त नही टूटा । और विवाह के बाद भी बना रहा ।
हनुमान जी सभी महिलाओं को मां मानते हैं इसलिए किसी भी महिलाए को अपने सामने झुकते हुए नही देख सकते हैं । बल्कि वे खुद नारी शक्ती के सामने झुकते हैं । महिलाएं चाहे तो हनुमान जी के सेवा में दीपक अर्पित कर सकते हैं ।
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