Tuesday, December 27, 2022

Vastu tips वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए

 

दोस्तों वास्तु शास्त्र में भवन के द्वारों का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। जिस भवन के द्वार नहीं होते हैं, उस भवन में लक्ष्मी प्रवेश नहीं करती है। भवन के मुख्य द्वार से ही समस्त देवी देवता तथा सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। मुख्य द्वार को हमेशा ही वास्तु के नियमों के अनुसार बनवाना चाहिए तभी उसके सुब परिणाम प्राप्त होते हैं। 

Vastu tips वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए


यदि घर का मुख्य द्वार वास्तुशास्त्र के नियमों के आधार पर नहीं बनाया जाता है तो ऐसा द्वार बहुत ही अशुभ परिणाम देता है। ऐसे द्वार के कारण धन का नाश होता है। लक्ष्मी घर में निवास नहीं करती है और सारा धन खर्च हो जाता है। इसीलिए मुख्य द्वार को बनाते समय वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना चाहिए। 


वस्तु शास्त्र में भवन के मुख्य द्वार की दिशा मुख्य द्वार का आकार और मुख्य द्वार के पास रखी जाने वाली शुभ वस्तुएं आदि के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी गए हैं ।  भवन का मुख्य द्वार बनाते समय वास्तु शास्त्र के इन नियमों को ध्यान में रखें और अगर मुख्य द्वार पहले से ही बना हुआ है तो उस पर शुभ निशान लगाकर उस से जुडे वस्तु दोष को समाप्त किया जा सकता है। 


Vastu tips वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए

आज हम आपको मुख्य द्वार से जुड़े सभी वास्तु नियम बताएंगे। साथ ही जानेंगे मुख्य द्वार के ऊपर कौन सी चीजें रखना शुभ होता तो चलिए जान लेते हैं मुख्य द्वार के संबंध में महत्वपूर्ण वास्तु नियम। 


मुख्य द्वार की दिशा 

वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार की दिशा का बहुत अधिक महत्व है। गलत दिशा में बना हुआ मुख्य द्वार अशुभ फल देता है। मुख्य द्वार के लिए सर्वोत्तम दिशा उत्तर पूर्व तथा उत्तर पूर्व दिशा ही सर्वथा उचित मानी गई है। इन दिशाओं में मुख्य द्वार बनाने से उस भवन में रहने वाले लोगों का विकास होता है। घर में सुख-शांति बनी रहती है। मुख्य द्वार कभी भी दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम अथवा दक्षिण पूर्व दिशा में नहीं बनवाना चाहिए। 


मुख्य द्वार का आकर

वास्तु शास्त्र के अनुसार आयताकार मुख्य द्वार ही सर्वश्रेष्ठ होता है। भवन का मुख्य द्वार हमेशा ही दो पल्लो का होना चाहिए। लकड़ी से बना मुख्य द्वार श्रेष्ठ फल देने वाला होता है। मुख्य द्वार घर के अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए। यह वास्तुशास्त्र में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह परिवार के लिए सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आता है। 


मुख्य द्वार के पास दहलीज

वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार के पास दहलीज होना अनिवार्य होता है। जिस भवन के द्वार पर दहलीज नहीं होती है, उस भवन में लक्ष्मी प्रवेश नहीं करती है। इस नकारात्मक शक्तियों को घर में आने से रुकती हैं। साथ ही यह बुरी शक्तियों से परिवार की रक्षा करती हैं। 


द्वार पर दहलीज होने से मान सम्मान में वृद्धि होती है। मुख्य त्योहारों पर दहलीज की पूजा आवश्यक करनी चाहिए वास्तु शास्त्र के अनुसार दहलीज पर बैठना नहीं चाहिए और ना ही दहलीज पर बैठकर भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी रूठ जाती है। 


मुख्य द्वार के सीढियां

मुख्य द्वार के सामने ऊपर की तरफ जाती हुई सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए। यह परिवार के सदस्य की उन्नति होने नहीं देती है। यह सीढ़िया प्रवेश करने वाली सकारात्मक ऊर्जा के मार्ग में बाधक बनती हैं, लेकिन अगर आप मुख्य द्वार के पास घर में प्रवेश करने के लिए सीढ़ियां बनाते हैं तो यह सीढ़िया  हमेशा विषम संख्या में होनी चाहिए। 


उम्मीद करता हूं कि ये जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । आज के लिए इतना ही हमारे ब्लॉग के साथ अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,



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