Friday, February 9, 2024

संभोग करते समय कोण सबसे ज्यादा मजा लेता है स्त्री या पुरुष

 

यह काफी पुरानी डिबेट है। दोनों में से वह कौन है जो संभोग के समय ज्यादा आनंद को प्राप्त करता है। एक बार युधिष्ठिर अपने पितामह भीष्म के पास गए और बोले है तात श्री क्या आप मेरी एक दुविधा शुझालयेंगे । क्या आप मुझे सच सच बताएंगे कि स्त्री या पुरुष दोनों में से वह कौन है जो संभोग के समय ज्यादा आनंद को प्राप्त करता है। 

संभोग करते समय कोण सबसे ज्यादा मजा लेता है स्त्री या पुरुष


संभोग करते समय कोण सबसे ज्यादा मजा लेता है स्त्री या पुरुष

इस पर भी भीष्म बोले इस संबंध में तुम्हें भागश्वाना और सकरा की कथा का वर्णन करता हूं। भागशवाना और सकरा की कथा बहुत समय पहले भंगश्वाना नाम का एक राजा रहता था। वह न्याय प्रिय और बहुत यशस्वी था, लेकिन उसके कोई पुत्र नहीं था। उस राजा ने एक अनुष्ठान किया जिसका नाम था जिसका नाम था अग्निस्था क्योंकि उस हवन में केवल अग्नि भगवान का आदर हुआ था। 


इसीलिए देवराज इंद्र काफी क्रोधित हो गए। इंद्र ने अपने गुस्से को निकालने के लिए एक मौका ढूंढने लगी ताकि राजा भंगश्वना से कोई गलती हो और वे उसे दंड दे सके पर भंगशवाना इतना अच्छा राजा था कि इंद्र को कोई मौका नहीं मिल रहा था। जिस कारण से इंद्र का गुस्सा और बढ़ता जा रहा था। 1 दिन राजा शिकार पर निकला इंद्र ने सोचा यही सही समय है। 


अपने अपमान का बदला लेने का और इंद्र ने राजा को सम्मोहित कर दिया। भंगश्वान जंगल में इधर-उधर भटकने लगा। अपनी सम्मोहित हालत में प्रस्तुत खो बैठा था। ना उसे दिखाएं समझ आ रही थी और ना ही अपने सैनिक दिख रहे थे । भूख प्यास ने उसे और व्याकुल कर दिया था। अचानक उसे एक छोटी सी नदी दिखाई दी। जो किसी जादू से सुंदर लग रही थी। 


राजा उस नदी की तरफ बढ़ा और पहले उसने अपने घोड़े को पानी पिलाया और फिर खुद पिया परंतु जैसे ही राजा ने नदी के अंदर प्रवेश किया और पानी पिया। उसने देखा कि वह बदल रहा है। धीरे-धीरे वह एक स्त्री में बदल गया। शर्म से वोजल पर आ जा जोर-जोर से विलाप करने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा उसके साथ क्यों हुआ था। राजा ने सोचने लगा हे प्रभु इस अनर्थ के बाद मैं कैसे अपने राज्य वापस जाऊं। 


मेरे अग्निस्ट का अनुष्ठान से मेरे 100 पुत्र हुए हैं। उन्हें मैं अब कैसे मिलूंगा। क्या कहूंगा मेरी रानी महारानी जो मेरी प्रतीक्षा कर रही है, उन से कैसे मिलूंगा। मेरे पोरोश के साथ-साथ मेरा राजपाट सब चला जाएगा। मेरी प्रजा का क्या होगा। इस तरह से विलाप करता राजा अपने राज्य वापस लौटा। स्त्री के रूप में जब राजा वापस पहुंचा तो उसे देखकर सभी लोग अचंभित रह गए। 


स्त्री को सबसे ज्यादा मजा कब आता है? 

राजा ने सभा बुलाई और अपनी रानियों पुत्रों और मंत्रियों से कहा कि में अब राजपाट संभालने के लायक नहीं रहा हूं। तुम सभी लोग सुख से यहां रहो और मैं जंगल में जाकर अपना बाकी का जीवन व्यतीत करूंगा। ऐसा कहकर वह राजा जंगल की तरफ चला गया वहा जाकर व स्त्री रूप में एक तपस्वी के आश्रम में रहने लगी, 


जिनसे उसने कई पुत्रों को जन्म दिया। कुछ समय पश्चात अपने उन पत्रों को अपने पुराने ना चली गई और अपने पुराने बच्चों से बोली, तुम मेरे पुत्र हो जब मैं एक पुरुष था। यह मेरे पुत्र है। जब मैं एक स्त्री हूं। तुम सब मेरे राज्यों को मिलकर भाई की तरह संभालो। और फिर सभी भाई मिलकर रहने लगे। सबको सुख से जीवन व्यतीत करता देख देवराज इंद्र और ज्यादा क्रोधित हो गए और उनमें बदले की भावना फिर से जागने लगी।


इंद्र सोचने लगा कि ऐसा लगता है कि राजा को स्त्री में बदलकर मैंने उसके साथ बुरे की जगह अच्छा कर दिया है। ऐसा कहकर इंद्र ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया और पहुंच गया। राजा भागश्वान के राज्य में वहा जाकर उसने सभी राजकुमारों के कान भरने शुरू कर दिए। इंद्र के भड़काने की वजह से सभी भाई आपस में लड़ पड़े और एक दूसरे को मार डाला। जैसे ही भंगशवाणा को इस बात का पता चला पर शोकाकुल हो गया। 


संभोग में सबसे ज्यादा मजा कैसे आता है?

ब्राह्मण के रूप में इंद्र राजा के पास पहुंचा और पूछा कि वह क्यों रो रही है। भंगश्वनाआ ने रोते-रोते पूरे घटना इंद्र को बताई तो इंद्र ने अपना असली रूप दिखा कर राजा को उसकी गलती के बारे में बताया। इंद्र ने कहा क्योंकि तुमने सिर्फ अग्नि को पूजा और मेरा अनादर किया, इसलिए मैंने तुम्हारे साथ यह खेल रचा। 


यह सुनते ही भंगश्वन ने इंद्र के पैरों में गिर गया और अपने अनजाने में किया। अपराध के लिए क्षमा मांगी। राजा की ऐसी दयनीय दशा देखकर इंद्र को दया आ गई। इंद्र राजा को माफ करते हुए बोले हैं। है स्त्री रूबी राजन अपने बच्चों में से किन्ही एक को जीवित कर लो। भंगशवान ने इंद्र से कहा, अगर ऐसी ही बात है तो मेरे उन पुत्रों को जीवित कर दो जिन्हें मैंने स्त्री की तरह पैदा किया है। 


हैरान होते हुए इंद्र ने इसका कारण पूछा तो राजा ने जवाब दिया है। इंद्र एक स्त्री का प्रेम एक पुरुष के प्रेम से बहुत अधिक होता है। इसीलिए मैं अपनी कोख से जन्मे बालकों का जीवन दान मांगते हैं। भीसम ने इस कथा को आगे बढ़ाते हुए युधिष्ठिर को कहा कि इंद्र यह सब सुनकर प्रसन्न हो गए और उन्होंने राजा के सभी पुत्र को जीवित कर दिया। इसके बाद इंद्र ने राजा को दोबारा पुरूष रूप देने की बात की। 


इंद्र बोले, तुमसे खुश होकर हे भंगशवा मैं तुम्हें वापस पुरुष बनाना चाहता हूं। पर स्त्री रूपी राजा ने साफ मना कर दिया। स्त्री रूपी राजा  ने बोला है देवराज इंद्र में स्त्री रूप में ही खुश हूं और स्त्री ही रहना चाहता हूं ये कि सुनकर उत्सुक हो गए और पूछ बैठे कि ऐसा क्यों राजन क्या तुम वापस पुरुष बनकर अपना राजपाट नहीं संभालना चाहते। 


राजा बोला क्योंकि संभोग के समय स्त्री को पुरूष से कई गुना ज्यादा आनंद और सुख मिलता है। इसीलिए मैं स्त्री ही रहना चाहूंगा। इंद्र ने तथास्तु कहा और वहां से प्रस्थान कर गया। हे युधिष्ठिर यह बात स्पष्ट है कि स्त्री को संबंधों के समय पुरुष से ज्यादा सुख मिलता है। 


दर्शकों यह बात सौ फ़ीसदी सही है कि स्त्री-पुरुष से कई गुना ज्यादा संवेदनशील होती है। आपका क्या कहना है इस विषय के बारे में आप इसका जवाब हमें नीचे कमेंट बॉक्स बताए । 



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