Wednesday, November 2, 2022

Sad shayari

मेरे खेत की मिटी से पलता है
तेरा शहर का पेट और तेरा शहर मेरे गाँव को
गवार कहता है अरे आज भी पहुच रहा है
दूध सब्जी और अनाज और तेरा सहर
मेरा गाव को देसी गवार कहता है😆😆😆😆😆😆

कभी ओ बोला करती थी
की मैं किसी और के साथ
कैसे रह सकती हूं
लेकिन आज मैं साथ रहने
की दूर की बात है
मेरा हाल तक नही पूछती है
की जिंदा भी हु या नही,,,,,,,,,

तू चली गयी ना छोड़ के कोई बात नही
बस तू खुस रहे मुझे और कुछ नही चाहिए
अगर वो तुझे छोड़ देगा तो आपस आ जाना
वही मिलूंगा जहाँ तूने मुझे छोड़ा था


अरे बिन बताये ना जाने कियु उसने दूरी कर दी
अरे बिछड़ कर उसने मोहबत ही अधूरी कर दी
अरे मेरे मुक्कदर मैं गम आये तो क्या हुआ
अरे कम से कम खुदा ने उसकी ख्वाहिस तो पूरी कर दी,,,,,,,,,

अरे वो कहती थी मैं तुम्हारी हु
तुम्हारी ही रहूंगी यह वादा कर के वो
किसी और के हो गयी और मैं आज
अकेला हु उसका वादा पूरा करने के लिए
संबंध
उसी आत्मा से जुड़ता है
जिनका हमसे पिछले जन्मों का
कोई रिश्ता होता है वरना दुनिया
की इस भीड़ मैं कौन किसको जानता है,,,,,,,😢😢😢

पहुँच गयी है गिनती हजारो मैं
इसे लाख मत होने दो
रुक जाओ अपने घरों मैं
देश को राख मत होने दो


तुमसे दूर जाने का इरादा ना था
सदा साथ रहने का वादा था
तुम याद नही करोगे यह जानते थे
हम इतनी जल्दी बदल जाओगे
ये अंदाजा ना था,,,,,,,,,,,,


बड़ी खूबसूरत थी जिंदगी जब ना किसी से मोहबत थी
नफरत जिंदगी मैं एक ऐसा मोड़ आया मोहबत
एक से हुई और नफरत गाव  वालो हो ग...........

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